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रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह के साथ बैठक में कर्नाटक दो रक्षा गलियारों पर जोर देगा

कर्नाटक के बड़े एवं मध्यम उद्योग मंत्री एमबी पाटिल ने मंगलवार को कहा कि वह मुख्यमंत्री सिद्धरमैया के साथ नयी दिल्ली में रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह से मुलाकात करेंगे और राज्य के लिए दो रक्षा गलियारा परियोजनाओं को मंजूरी देने का अनुरोध करेंगे। मुख्यमंत्री बुधवार शाम को राष्ट्रीय राजधानी में सिंह से मुलाकात करेंगे। पाटिल ने कहा, “एयरोस्पेस और रक्षा क्षेत्र में देश के अग्रणी योगदानकर्ता के रूप में, कर्नाटक दो रक्षा गलियारों का हकदार है- एक कोलार-चिक्कबल्लापुरा क्षेत्र में और दूसरा हुबली-बेलगावी क्षेत्र में। हम राजनाथ सिंह के साथ अपनी बैठक के दौरान यह अनुरोध करेंगे।” पत्रकारों से बातचीत में उन्होंने कहा कि दक्षिण और उत्तर कर्नाटक में एक-एक गलियारे की जरूरत है।

उन्होंने बताया कि बेलगावी में पहले से ही एक्वस जैसी अग्रणी कंपनियां काम कर रही हैं। पाटिल ने कहा कि जब तमिलनाडु और उत्तर प्रदेश को रक्षा गलियारा आवंटित किया गया था, तो कर्नाटक को भी रक्षा गलियारा दिया जाना चाहिए था। उन्होंने कहा कि केंद्र सरकार को भी इस चूक का एहसास है और राजनाथ सिंह ने खुद इसे स्वीकार किया है। उन्होंने कहा कि इस मामले पर राजनाथ सिंह की ‘ग्लोबल इन्वेस्टर्स मीट-इन्वेस्ट कर्नाटक 2025’ में भागीदारी के दौरान भी चर्चा हुई थी। उन्होंने कहा, “हम अन्य राज्यों के लिए मंजूर की जा रही परियोजनाओं के खिलाफ नहीं हैं। हम केवल वही मांग कर रहे हैं जिसका कर्नाटक को पूरा हक है।” पाटिल ने यह भी कहा कि हिंदुस्तान एयरोनॉटिक्स लिमिटेड (एचएएल) के अध्यक्ष ने हाल में उनसे मुलाकात की थी और भूमि संबंधी आवश्यकताओं के लिए सरकारी सहायता का आश्वासन दिया था।

देश के एयरोस्पेस और रक्षा क्षेत्र में कर्नाटक के 65 प्रतिशत योगदान को रेखांकित करते हुए पाटिल ने कहा कि इस क्षेत्र में राज्य राष्ट्रीय स्तर पर पहले और विश्व स्तर पर तीसरे स्थान पर है। उन्होंने कहा, “राज्य में एचएएल, सफ्रान, बोइंग, एयरबस, कोलिन्स और लॉकहीड मार्टिन जैसी प्रमुख कंपनियां हैं। हमारे पास देवनहल्ली हवाई अड्डे के पास पहले से ही एक एयरोस्पेस पार्क है। अपनी स्थिति को और मजबूत करने के लिए सरकार अब पास में एक और एयरोस्पेस और रक्षा पार्क बनाने का प्रस्ताव कर रही है। जिन किसानों की जमीन चली जाएगी, उन्हें भूमि अधिग्रहण अधिनियम, 2013 के तहत मुआवजा दिया जाएगा।

एमबीबीएस छात्र का दाखिला रद्द करने के खिलाफ दायर याचिका पर सुनवाई से सुप्रीम कोर्ट का इनकार

नई दिल्ली। उच्च न्यायालय ने एक एमबीबीएस छात्र की उस याचिका पर सुनवाई करने से मंगलवार को इनकार कर दिया जिसमें उसने ओडिशा स्थित एक मेडिकल कॉलेज में उसका दाखिला कोई पूर्व सूचना दिए बिना रद्द किए जाने को चुनौती दी थी। न्यायमूर्ति राजेश बिंदल और न्यायमूर्ति आर महादेवन की ‘आंशिक कार्य दिवस’ (पीडब्ल्यूडी) पीठ ने छात्र के वकील हर्षित अग्रवाल से कहा कि वह अपनी शिकायतें लेकर उच्च न्यायालय जाएं। पीठ ने कहा, ”याचिका को वापस लिया गया मानकर खारिज किया जाता है।” अग्रवाल ने 2024-2029 शैक्षणिक सत्र के लिए एमबीबीएस पाठ्यक्रम के लिए पुनः दाखिला दिए जाने का अनुरोध करते हुए न्यायालय का दरवाजा खटखटाया था।

उन्होंने यह भी घोषित किए जाने का अनुरोध किया कि कथित तौर पर कोई नोटिस दिए बिना या अपनी बात कहने का मौका दिए बिना दाखिला रद्द करना अवैध है और न्याय के प्राकृतिक सिद्धांतों का उल्लंघन है। याचिका में पारदर्शिता और निष्पक्षता सुनिश्चित करने के लिए सभी मेडिकल कॉलेज में अनुशासनात्मक मामलों में समान प्रक्रियात्मक कदमों को लागू किए जाने का अनुरोध किया गया। संक्षिप्त सुनवाई के दौरान पीठ ने उच्च न्यायालय न जाकर सीधे उच्चतम न्यायालय का दरवाजा खटखटाने के अग्रवाल के फैसले पर सवाल उठाया। न्यायमूर्ति बिंदल ने कहा, ”हम सीधे यहां रिट याचिका पर विचार नहीं करेंगे।” इसके कारण वकील ने याचिका वापस लेने के लिए पीठ की अनुमति मांगी, जिसे स्वीकार कर लिया गया।

जद(यू)-भाजपा ने बिहार को देश की “क्राइम कैपिटल” बनाने में कोई कसर नहीं छोड़ी : खरगे

नई दिल्ली। कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे ने बिहार में हत्या की हालिया घटनाओं को लेकर मंगलवार को सत्तारूढ़ जनता दल (यूनाइटेड) और भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) पर निशाना साधा और आरोप लगाया कि इन दोनों दलों के “ठगबंधन” ने प्रदेश को देश की “क्राइम कैपिटल” बनाने में कोई कसर नहीं छोड़ी है। हाल ही में पटना में कारोबारी गोपाल खेमका की हत्या के साथ ही बिहार के कुछ अन्य जिलों में भी अपराध की कई घटनाएं हुई हैं। खरगे ने ‘एक्स’ पर पोस्ट किया, “बिहार में अवसरवादी डबल इंजन सरकार ने क़ानून व्यवस्था तबाह कर दी है। पिछले छह माह में आठ कारोबारियों की हत्या, पांच बार पुलिस की पिटाई हुई है।

सोमवार को ही अंधविश्वास के चलते एक ही परिवार के पांच लोगों को मारा गया। मासूम बच्चों तक को नहीं बख़्शा गया।” उन्होंने आरोप लगाया कि जद (यू) और भाजपा के “ठगबंधन” ने बिहार को देश की “क्राइम कैपिटल” बनाने में कोई कमी नहीं छोड़ी है। खरगे ने दावा किया, “मोदी सरकार के खुद के आँकड़े बताते हैं कि बिहार में ग़रीबी चरम पर है, सामाजिक और आर्थिक न्याय की स्थिति बद से बदतर हो चुकी है और ठप्प क़ानून व्यवस्था के चलते, निवेश केवल काग़ज़ों तक सीमित रह गया है। ” उन्होंने कहा, “इस बार बिहार ने तय कर लिया है कि अब वह बीमार नहीं रहेगा। बिहार में बदलाव तय है। ‘इंडिया’ (इंडियन नेशनल डेवलपमेंटल इन्क्लूसिव अलायंस) गठबंधन इस बदलाव को लाकर रहेगा।

ट्रंप ने 59 दिनों में 21वीं बार किया मध्यस्थता का दावा, चुप्पी कब तोड़ेंगे प्रधानमंत्री : कांग्रेस

नई दिल्ली। कांग्रेस ने अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप द्वारा भारत और पाकिस्तान के बीच सैन्य संघर्ष रुकवाने का दावा एक बार फिर किए जाने के बाद मंगलवार को सवाल किया कि आखिर प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी इस पर अपनी चुप्पी कब तोड़ेंगे ? पार्टी महासचिव जयराम रमेश ने यह दावा भी किया कि ट्रंप ने 59 दिनों में कम से कम 21वीं बार, भारत और पाकिस्तान के बीच सैन्य संघर्ष रुकवाने के लिए मध्यस्थता का श्रेय स्वयं लिया है। रमेश ने ‘एक्स’ पर पोस्ट किया, “पिछले 59 दिनों में कम से कम 21वीं बार राष्ट्रपति ट्रम्प ने कहा है कि उन्होंने मई में चार दिवसीय भारत-पाकिस्तान युद्ध रुकवाया, युद्ध परमाणु संघर्ष में बदलने वाला था, भारत और पाकिस्तान युद्धविराम पर सहमत हुए क्योंकि अमेरिका के साथ व्यापार का मूलमंत्र उन्होंने ही इस्तेमाल किया था।

दूसरे शब्दों में, उनका संदेश था: तुरंत युद्ध रोकें या अमेरिकी बाज़ार (और संभवतः निवेश) खोने की वास्तविक संभावनाओं का सामना करें।” उन्होंने कहा, “राष्ट्रपति ट्रंप ने यह ढिंढोरा तब पीटा जब वह यह भी घोषणा कर रहे थे कि भारत और पाकिस्तान के साथ एक अमेरिकी व्यापार समझौते की घोषणा जल्द ही होने वाली है।” रमेश ने सवाल किया, “नरेन्द्र मोदी इस मुद्दे पर अपनी चुप्पी कब तोड़ेंगे जिन्हें कभी उनके वरिष्ठ सहयोगी घनश्याम तिवाड़ी ने ‘भाजपा का ट्रंप कार्ड’ कहा था ?” अमेरिका के राष्ट्रपति ट्रंप ने कई बार यह दावा किया है कि उन्होंने भारत और पाकिस्तान के बीच बीते मई महीने में सैन्य संघर्ष को व्यापार समझौते के जरिए सुलझाया। दूसरी तरफ भारत का कहना है कि पाकिस्तान के सैन्य अभियान महानिदेशक (डीजीएमओ) के संपर्क किए जाने के बाद सैन्य कार्रवाई रोकने पर विचार किया गया।

पार्टी कार्यालय के लिए किराए की मांग से जुड़ी आप की याचिका पर केंद्र से दिल्ली हाई कोर्ट ने मांगा जवाब

दिल्ली उच्च न्यायालय ने सोमवार को राष्ट्रीय राजधानी के विट्ठलभाई पटेल हाउस में पार्टी कार्यालय के लिए किराए की मांग के खिलाफ आम आदमी पार्टी (आप) द्वारा दायर याचिका पर केंद्र सरकार से जवाब मांगा। न्यायमूर्ति सचिन दत्ता ने आप की याचिका पर केंद्र को नोटिस जारी किया। आप ने अपने कार्यालय के लिए ‘दो या अधिक कक्षों वाला सुसज्जित आवासीय इकाई’ के आवंटन को रद्द करने को चुनौती दी है। उच्च न्यायालय ने अधिकारियों से दो सप्ताह के भीतर जवाब दाखिल करने को कहा और मामले की अगली सुनवाई 22 जुलाई को तय की। अदालत से आप के अधिवक्ता ने किराया मांगने से जुड़े 20 जून के अनुस्मारक नोटिस पर रोक लगाने का आग्रह किया, जिसके बाद केंद्र के अधिवक्ता ने कहा कि अगली सुनवाई तक ‘कोई कार्रवाई नहीं’ की जाएगी।

केंद्र के अधिवक्ता ने कहा कि मामले में कोई जल्दबाजी नहीं है क्योंकि यह केवल एक नोटिस है और वे सार्वजनिक परिसर (अनधिकृत कब्जाधारियों की बेदखली) अधिनियम के अनुरूप आगे बढ़ेंगे। आप ने दावा किया है कि आवास एवं शहरी मामलों के मंत्रालय के संपदा निदेशालय का निर्णय एकपक्षीय था और बिना किसी कारण बताओ नोटिस या सुनवाई का उचित अवसर दिए पारित किया गया था। इसके अधिवक्ता ने तर्क दिया कि संपदा निदेशालय ने कथित तौर पर बिना किसी सूचना के विट्ठलभाई पटेल हाउस में एक ‘डबल सुइट’ का आवंटन रद्द कर दिया जो 14 सितंबर, 2024 से प्रभावी हो गया, लेकिन 17 जनवरी को पहली बार और देरी से एक पत्र के जरिये याचिकाकर्ता को इसकी जानकारी दी। अधिवक्ता ने कहा कि याचिकाकर्ता ने 30 अप्रैल को परिसर का कब्जा सौंप दिया। आप ने कहा कि छह मार्च और 13 मई को जारी पत्रों में प्राधिकरण ने कथित निरस्तीकरण की तिथि से शुरू होने वाली अवधि से परिसर पर कब्जे के लिए आठ लाख रुपये से अधिक का किराया मांगा है। इसलिए इसने अदालत से इस पत्र पर रोक लगाने का आग्रह किया।

शेयर बाजार को लेकर राहुल भय फैला रहे हैं : भाजपा

नई दिल्ली। भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) ने सोमवार को कांग्रेस नेता राहुल गांधी पर शेयर बाजार के बारे में डर और गलत सूचना फैलाने का आरोप लगाया और कहा कि इसने लाखों खुदरा निवेशकों के लिए धन सृजन किया है जिन्होंने म्यूचुअल फंड और आईपीओ के माध्यम से इसमें भाग लिया है। भाजपा आईटी विभाग के प्रमुख अमित मालवीय ने लोकसभा में विपक्ष के नेता पर यह पलटवार ऐसे समय किया है, जब गांधी ने हेज फंड जेन स्ट्रीट के खिलाफ बाजार नियामक की कार्रवाई के बाद सेबी पर हमला किया। जेन स्ट्रीट पर सूचकांकों में हेरफेर करने का आरोप है। राहुल गांधी ने ‘एक्स’ पर पोस्ट किया, ”मैंने 2024 में साफ कहा था कि वायदा एवं विकल्प (एफ एंड ओ) बाजार ‘बड़े खिलाड़ियों’ का खेल बन चुका है, और छोटे निवेशकों की जेब लगातार कट रही है। अब सेबी खुद मान रहा है कि ‘जेन स्ट्रीट’ ने हजारों करोड़ रूपये की हेरफेर की।

उन्होंने सवाल किया कि भारतीय प्रतिभूति एवं विनिमय बोर्ड (सेबी) इतने समय तक चुप क्यों रहा, क्या मोदी सरकार किसी के इशारे पर आंखें मूंदे बैठी थी और कितने बड़े ”शार्क” अब भी खुदरा निवेशकों को नुकसान पहुंचा रहे हैं? पलटवार करते हुए मालवीय ने कहा कि सेबी द्वारा एक वैश्विक संस्था पर प्रतिबंध लगाने की कार्रवाई स्पष्ट सबूत है कि छोटे निवेशकों की सुरक्षा के लिए कड़ी नियामक कार्रवाई की जा रही है जिसे गांधी “सनसनीखेज” बनाने की कोशिश कर रहे हैं। मालवीय ने कहा कि यदि सेबी चुप रहती, जैसा कि गांधी दावा करते हैं, तो कोई जांच नहीं होती, कोई प्रतिबंध नहीं होता, और कोई सुर्खियां नहीं बनती; उनका पूरा आरोप वहीं ध्वस्त हो जाता है।

उन्होंने कहा कि गांधी “बड़ी शार्क” के बारे में बात करते हैं, लेकिन यह आसानी से भूल जाते हैं कि यह मोदी सरकार के सुधार ही हैं, जिन्होंने सेबी को पहले से कहीं अधिक पारदर्शी, सतर्क और स्वतंत्र बनाया है। उन्होंने आरोप लगाया, “कांग्रेस के शासन में घोटालेबाजों को खुली छूट थी – हर्षद मेहता, केतन पारेख और यूटीआई घोटाला – ये सब उनकी निगरानी में हुआ, जबकि नियामक आंखें मूंदे रहे।” भाजपा नेता ने कहा कि भारतीय शेयर बाजार ने मार्च 2025 से बाजार पूंजीकरण में एक ट्रिलियन अमेरिकी डॉलर जोड़े हैं, जो दुनिया के शीर्ष 10 बाजारों में सबसे अधिक लाभ है और भारतीय शेयर बाजार ने पिछले एक दशक में हर प्रमुख उभरते बाजार से बेहतर प्रदर्शन किया है।

उन्होंने कहा कि म्यूचुअल फंड उद्योग 10 वर्षों में 576 प्रतिशत बढ़ा है, जिसमें एयूएम (प्रबंधन के तहत परिसंपत्तियां) आठ लाख करोड़ रुपये से बढ़कर 54 लाख करोड़ रुपये हो गई है। निवेशकों की भागीदारी एक करोड़ से बढ़कर चार करोड़ से अधिक हो गई है। गांधी पर हमला करते हुए मालवीय ने आरोप लगाया, “बालकबुद्धि फिर से सक्रिय हो गया है, भारतीय शेयर बाजार के बारे में भय और गलत सूचना फैला रहा है, और इस दौरान चुपचाप पृष्ठभूमि में अपना पोर्टफोलियो बढ़ा रहा है।” उन्होंने कहा, “एसआईपी योगदान केवल सात वर्षों में 4.5 गुना बढ़ गया है। पिछले चार वर्षों में ही आईपीओ के माध्यम से तीन लाख करोड़ रुपये से अधिक जुटाए गए हैं, जिससे आम भारतीयों को अधिक पहुंच और अवसर मिले हैं।” गांधी की आलोचना करते हुए उन्होंने कहा, “तो, वास्तव में अमीरों को और अमीर कौन बना रहा है? इस बाजार में केवल एक चीज घट रही है और वह है कांग्रेस पार्टी की विश्वसनीयता। अगर राहुल गांधी को बाजार के कामकाज के बारे में थोड़ी भी बुनियादी समझ होती, तो उन्हें पता होता कि मजबूत विनियमन, बढ़ती भागीदारी और लोकतांत्रिक निवेश पारिस्थितिकी तंत्र वास्तव में वही है जिसकी छोटे निवेशकों को जरूरत है।” उन्होंने कहा कि किसी ऐसे व्यक्ति से आर्थिक साक्षरता की उम्मीद करना, जिसकी विरासत केवल नारे और घोटाले ही हों, बहुत ज्यादा उम्मीद करना होगा।

विशेष पुनरीक्षण की ”जनविरोधी” कवायद के खिलाफ संपूर्ण विपक्ष एकजुट: कांग्रेस

नई दिल्ली। कांग्रेस ने सोमवार को कहा कि बहार में मतदाता सूचियों के विशेष गहन पुनरीक्षण (एसआईआर) की ”जनविरोधी” कवायद के खिलाफ संपूर्ण विपक्ष एकजुट है और 10 विपक्षी दलों ने इसे उच्चतम न्यायालय में चुनौती दी है। उच्चतम न्यायालय निर्वाचन आयोग के बिहार में मतदाता सूचियों के विशेष गहन पुनरीक्षण के फैसले को चुनौती देने वाली याचिकाओं पर 10 जुलाई को सुनवाई करने के लिए सोमवार को राजी हो गया।

कांग्रेस के मीडिया विभाग के प्रमुख पवन खेड़ा ने ‘एक्स’ पर पोस्ट किया, ”आज, भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस ने 9 अन्य विपक्षी दलों के साथ मिलकर चुनाव आयोग द्वारा किए जा रहे त्रुटिपूर्ण और विनाशकारी विशेष गहन पुनरीक्षण को उच्चतम न्यायालय में चुनौती दी। यह एक ऐसा अभ्यास है जिसकी दुर्भावनापूर्ण और मनमानी प्रक्रिया के कारण भारी संख्या में मतदाताओं के नाम मतदाता सूची से हटाए जाने की पूरी आशंका है।” उन्होंने कहा कि संपूर्ण विपक्ष इस जनविरोधी कवायद के खिलाफ एकजुट होकर खड़ा है। खेड़ा का कहना था, ”इस मामले को सुनवाई के लिए बृहस्पतिवार, 10 जुलाई, 2025 को सूचीबद्ध किया गया है। सत्यमेव जयते!

शांति का समय कुछ और नहीं बल्कि ‘भ्रम’ है: राजनाथ

नई दिल्ली। रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने ‘ऑपरेशन सिंदूर’ के दौरान सशस्त्र बलों द्वारा दिखाए गए पराक्रम की सराहना करते हुए कहा कि शांति का समय एक ‘भ्रम’ के अलावा कुछ नहीं है और भारत को अपेक्षाकृत शांत अवधि के दौरान भी अनिश्चितता के लिए तैयार रहना चाहिए। सिंह ने एक कार्यक्रम को संबोधित करते हुए कहा कि अभियान में स्वदेश निर्मित उपकरणों और प्रणालियों के प्रदर्शन से भारत निर्मित सैन्य उत्पादों की वैश्विक मांग बढ़ी है। उन्होंने कहा, ”विश्व हमारे रक्षा क्षेत्र को नए सम्मान की दृष्टि से देख रहा है।

वित्तीय प्रक्रियाओं में एक भी देरी या त्रुटि अभियानगत तैयारियों को सीधे प्रभावित कर सकती है।” सिंह ने कहा, ”अधिकतर उपकरण जो हम पहले आयात करते थे, अब भारत में बनाए जा रहे हैं। हमारे सुधार उच्चतम स्तर पर स्पष्ट दृष्टिकोण और प्रतिबद्धता के कारण सफल हो रहे हैं।” रक्षा मंत्री रक्षा लेखा विभाग (डीएडी) के नियंत्रकों के सम्मेलन को संबोधित कर रहे थे। उन्होंने रक्षा विभाग से रक्षा में निजी क्षेत्र की बढ़ती भागीदारी के साथ तालमेल बिठाते हुए ”नियंत्रक” से ”सुविधाकर्ता” बनने का आह्वान किया। व्यापक भू-राजनीतिक स्थिति पर प्रकाश डालते हुए रक्षा मंत्री ने ‘स्टॉकहोम इंटरनेशनल पीस रिसर्च इंस्टिट्यूट’ के विश्लेषण का हवाला दिया, जिसमें कहा गया है कि 2024 में वैश्विक सैन्य व्यय 2.7 लाख करोड़ अमेरिकी डॉलर तक पहुंचा।

उन्होंने कहा कि इससे भारत के स्वदेशी रक्षा उद्योगों के लिए अपार अवसर खुलेंगे। रक्षा मंत्री ने रक्षा विभाग के नए आदर्श वाक्य ”सतर्क, सक्रिय, अनुकूल” की प्रशंसा की तथा कहा कि ये महज शब्द नहीं हैं, बल्कि आज के तेजी से विकसित हो रहे रक्षा परिवेश में आवश्यक कार्य संस्कृति का प्रतिबिंब हैं। उन्होंने अधिकारियों से आग्रह किया कि वे केवल बाहरी ‘ऑडिट’ या सलाहकारों पर निर्भर रहने के बजाय आत्मावलोकन के माध्यम से आंतरिक सुधार करें। सिंह ने कहा कि आंतरिक मूल्यांकन के माध्यम से किए गए सुधार जीवंत संगठन बनाते हैं और ये सुधार अधिक बेहतर होते हैं, जिनमें कम बाधाएँ होती हैं। उन्होंने कहा, ”शांति का समय एक भ्रम के अलावा कुछ नहीं है। अपेक्षाकृत शांत अवधि के दौरान भी हमें अनिश्चितता के लिए तैयार रहना चाहिए।

अचानक होने वाले घटनाक्रम हमारी वित्तीय और अभियानगत स्थिति में पूर्ण बदलाव ला सकते हैं।” रक्षा मंत्री ने कहा, ”चाहे उपकरण उत्पादन बढ़ाना हो या वित्तीय प्रक्रियाओं को अनुकूलित करना हो, हमें हर समय नवीन तकनीकों और प्रणालियों के साथ तैयार रहना चाहिए।” उन्होंने डीएडी से कहा कि वह इस मानसिकता को अपनी योजना, बजट और निर्णय लेने की प्रणालियों में शामिल करे। रक्षा क्षेत्र के बढ़ते सामरिक और आर्थिक महत्व पर प्रकाश डालते हुए सिंह ने रक्षा व्यय को महज व्यय मानने की धारणा को बदलने से लेकर गुणक प्रभाव वाले आर्थिक निवेश के रूप में बदलने का आह्वान किया। उन्होंने कहा, ”हाल तक रक्षा बजट को राष्ट्रीय अर्थव्यवस्था का हिस्सा नहीं माना जाता था। आज वे विकास के वाहक हैं।” रक्षा मंत्री ने रक्षा विभाग से आग्रह किया कि वह अपनी योजना और आकलन में रक्षा अर्थशास्त्र को शामिल करे, जिसमें अनुसंधान एवं विकास परियोजनाओं और दोहरे उपयोग वाली प्रौद्योगिकियों का सामाजिक प्रभाव विश्लेषण भी शामिल हो।

‘जेन स्ट्रीट’ के मामले में सेबी लंबे समय तक चुप क्यों रही: राहुल

नई दिल्ली। कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष राहुल गांधी ने अमेरिकी ‘ ट्रेडिंग ‘ कंपनी ‘ जेन स्ट्रीट ‘ से जुड़े मामले को लेकर सोमवार को आरोप लगाया कि नरेन्द्र मोदी सरकार ने आम निवेशकों को बर्बादी के कगार पर धकेल दिया है। लोकसभा में नेता प्रतिपक्ष ने यह सवाल भी किया कि भारतीय प्रतिभूति एवं विनिमय बोर्ड (सेबी) सेबी इतने समय तक चुप क्यों रही और क्या सरकार किसी के इशारे पर आंखें मूंदे बैठी थी ? बाजार नियामक सेबी ने बीते चार जुलाई को अमेरिकी ‘ ट्रेडिंग ‘ कंपनी जेन स्ट्रीट को प्रतिभूति बाजारों से प्रतिबंधित कर दिया और कंपनी को 4,843 करोड़ रुपये के अवैध लाभ को वापस करने का निर्देश दिया।

कंपनी पर सूचकांक विकल्पों में भारी मुनाफा कमाने के लिए समाप्ति के दिनों में सूचकांक स्तर में कथित रूप से हेरफेर करने का आरोप है। राहुल गांधी ने ‘एक्स’ पर पोस्ट किया, ”मैंने 2024 में साफ कहा था कि वायदा एवं विकल्प (एफ एंड ओ) बाज़ार ‘बड़े खिलाड़ियों’ का खेल बन चुका है, और छोटे निवेशकों की जेब लगातार कट रही है। अब सेबी खुद मान रहा है कि ‘जेन स्ट्रीट’ ने हज़ारों करोड़ रूपये की हेरफेर की।” उन्होंने सवाल किया कि सेबी इतने समय तक चुप क्यों रही, क्या मोदी सरकार किसी के इशारे पर आंखें मूंदे बैठी थी और कितने बड़े ”शार्क” अब भी खुदरा निवेशकों को ‘शॉर्ट’ (कमजोर) कर रहे हैं? कांग्रेस नेता ने आरोप लगाया, ”हर मामले में साफ दिख रहा है कि मोदी सरकार अमीरों को और अमीर बना रही है और उसने आम निवेशकों को बर्बादी के कगार पर धकेल दिया है।

ट्रंप की शुल्क संबंधी समयसीमा के सामने झुक जाएंगे प्रधानमंत्री: राहुल

नई दिल्ली। कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष राहुल गांधी ने वाणिज्य एवं उद्योग मंत्री पीयूष गोयल की एक टिप्पणी को लेकर शनिवार को दावा किया कि अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप की व्यापार शुल्क संबंधी समयसीमा के सामने प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी आसानी से झुक जाएंगे। वाणिज्य एवं उद्योग मंत्री गोयल ने शुक्रवार को कहा था कि भारत समयसीमा के आधार पर कोई व्यापार समझौता नहीं करता है और अमेरिका के साथ प्रस्तावित व्यापार समझौते को तभी स्वीकार करेगा जब यह पूरी तरह अंतिम रूप ले लेगा, ठीक से संपन्न होगा और राष्ट्रहित में होगा।

लोकसभा में नेता प्रतिपक्ष राहुल गांधी ने उनके इस बयान को लेकर ‘एक्स’ पर पोस्ट किया, ”पीयूष गोयल जितना चाहें अपनी छाती पीट सकते हैं, मेरे शब्दों पर गौर करें, ट्रंप की शुल्क संबंधी समयसीमा के सामने मोदी आसानी से झुक जाएंगे।” अमेरिकी राष्ट्रपति ट्रंप ने भारत से आयात होने वाले उत्पादों पर दो अप्रैल को 26 प्रतिशत का अतिरिक्त जवाबी शुल्क लगा दिया था। हालांकि, कुछ दिन बाद ही इसे 90 दिन के लिए यानी नौ जुलाई तक टाल दिया गया था। इस बीच, अमेरिका द्वारा लगाया गया 10 प्रतिशत मूल शुल्क अब भी लागू है। आगामी नौ जुलाई की समयसीमा खत्म होने के पहले भारत और अमेरिका एक अंतरिम व्यापार समझौते को अंतिम रूप देने की कोशिशों में लगे हुए हैं। इसके लिए दोनों पक्षों के अधिकारियों और मंत्रियों के स्तर पर कई दौर की वार्ताएं हो चुकी हैं।