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राष्ट्रपति को विधेयक भेजे जाने के मामले में केवल संविधान के प्रावधानों की व्याख्या करेंगे : सुप्रीम कोर्ट

उच्चतम न्यायालय ने मंगलवार को कहा कि वह विधेयकों को मंजूरी के लिए राष्ट्रपति को भेजे जाने (प्रेसीडेंट रेफरेंस) पर विचार करते समय केवल संविधान की व्याख्या करेगा कि क्या न्यायालय राज्य विधानसभाओं द्वारा पारित विधेयकों से निपटने के लिए राज्यपालों और राष्ट्रपति के लिए समयसीमा निर्धारित कर सकता है। भारत के प्रधान न्यायाधीश (सीजेआई) बी. आर. गवई की अध्यक्षता वाली पांच न्यायाधीशों की पीठ ने यह टिप्पणी उस समय की जब सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने कहा कि यदि इस संदर्भ का विरोध करने वाले पक्षों की ओर से वरिष्ठ अधिवक्ता अभिषेक सिंघवी अन्य के अलावा आंध्र प्रदेश से संबंधित संवैधानिक प्रावधानों के उदाहरणों का हवाला देंगे, तो उन्हें जवाब दाखिल करने की आवश्यकता है क्योंकि उन्होंने उन पहलुओं पर दलील नहीं दी है। पीठ में न्यायमूर्ति सूर्यकांत, न्यायमूर्ति विक्रम नाथ, न्यायमूर्ति पीएस नरसिम्हा और न्यायमूर्ति ए एस चंदुरकर भी शामिल हैं।

मेहता ने पीठ से कहा, ”अगर वे (तमिलनाडु और केरल सरकारें) आंध्र प्रदेश आदि के उदाहरणों पर भरोसा करने जा रही हैं… तो हम चाहेंगे कि इस पर जवाब दाखिल हो। क्योंकि हमें यह दिखाना होगा कि संविधान के साथ उसकी स्थापना से ही किस तरह खिलवाड़ किया गया…।” सीजेआई गवई ने मेहता से कहा, ”हम अलग-अलग मामलों पर गौर नहीं कर रहे हैं, चाहे वह आंध्र प्रदेश हो, तेलंगाना हो या कर्नाटक, लेकिन हम केवल संविधान के प्रावधानों की व्याख्या करेंगे। और कुछ नहीं।” सिंघवी ने राष्ट्रपति संदर्भ पर सुनवाई के छठे दिन अपनी दलीलें पुनः शुरू कीं और संक्षेप में बताया कि विधेयकों के ”विफल” होने का क्या अर्थ है। सिंघवी ने किसी विधेयक के ”असफल” होने के विभिन्न परिदृश्यों का हवाला देते हुए कहा कि एक उदाहरण में, जब संविधान के अनुच्छेद 200 के तहत शक्तियों का प्रयोग करते हुए विधेयक लौटाए जाने के बाद राज्यपाल द्वारा इस पर पुनर्विचार के लिए कहा गया हो, तो विधानसभा ”उसे वापस भेजना न चाहे, उसे पारित करना न चाहे, अपनी नीति में बदलाव कर दे तो भी विधेयक स्वाभाविक रूप से विफल हो जाता है।”

सीजेआई ने सिंघवी से पूछा कि यदि राज्यपाल विधेयक को रोक लेते हैं और उसे विधानसभा में वापस नहीं भेजते तो क्या होगा। इस पर सिंघवी ने कहा, ”अगर ऐसा होता है, तो फिर विधानसभा को वापस भेजने की यह सारी प्रक्रिया नहीं होगी। पहले के फैसलों में कहा गया था कि जब तक अनुच्छेद 200 के पहले प्रावधान का पालन नहीं किया जाता (जिसके तहत विधेयक को विधानसभा में वापस भेजना आवश्यक है) तब तक विधेयक पारित नहीं हो सकता।” न्यायालय ने 28 अगस्त को कहा था कि विधेयकों के भविष्य पर फैसला करने के लिए संविधान के अनुच्छेद 200 में इस्तेमाल वाक्यांश ‘यथाशीघ्र’ से कोई व्यावहारिक उद्देश्य पूरा नहीं होगा, यदि राज्यपालों को ‘अनंतकाल’ तक मंजूरी रोककर रखने की अनुमति है।

न्यायालय ने यह टिप्पणी तब की, जब केंद्र ने कहा कि राज्य सरकारें विधानसभाओं द्वारा पारित विधेयकों को लेकर राष्ट्रपति और राज्यपाल की कार्रवाई के खिलाफ मौलिक अधिकारों के उल्लंघन को लेकर शीर्ष अदालत में रिट याचिका दायर नहीं कर सकतीं। अनुच्छेद 200 राज्य विधानमंडल द्वारा पारित विधेयकों के संबंध में राज्यपाल को शक्तियां प्रदान करता है, जिसके तहत वह विधेयक पर अपनी सहमति दे सकते हैं, अपनी सहमति रोक सकते हैं, विधेयक को पुनर्विचार के लिए लौटा सकते हैं या विधेयक को राष्ट्रपति के विचारार्थ सुरक्षित रख सकते हैं। अनुच्छेद 200 के एक प्रावधान में कहा गया है कि राज्यपाल, विधेयक को स्वीकृति के लिए प्रस्तुत किए जाने के बाद यथाशीघ्र, विधेयक को, यदि वह धन विधेयक नहीं है, सदन में पुनर्विचार के लिए लौटा सकते हैं और विधानसभा द्वारा पुनर्विचार करने तथा उसे वापस भेजने के बाद वह अपनी सहमति नहीं रोकेंगे।

शीर्ष अदालत ने 26 अगस्त को कहा था कि यदि राज्यपाल विधेयकों को मंजूरी देने में अनिश्चितकाल तक देरी करते हैं तो क्या अदालत को शक्तिहीन होकर बैठना चाहिए और क्या संवैधानिक पदाधिकारी की विधेयक को रोकने की स्वतंत्र शक्ति का अर्थ यह होगा कि धन विधेयक को भी रोका जा सकता है। न्यायालय ने यह सवाल तब उठाया जब भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) द्वारा शासित कुछ राज्यों ने विधानमंडल द्वारा पारित विधेयकों को मंजूरी देने में राज्यपालों और राष्ट्रपति की स्वायत्तता का बचाव करते हुए कहा कि ”किसी कानून को मंजूरी न्यायालय द्वारा नहीं दी जा सकती।” राज्य सरकारों ने यह भी तर्क दिया कि न्यायपालिका हर मर्ज की दवा नहीं हो सकती। मई में, राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने अनुच्छेद 143(1) के तहत शक्तियों का प्रयोग करते हुए शीर्ष अदालत से यह जानना चाहा था कि क्या न्यायिक आदेश राज्य विधानसभाओं द्वारा पारित विधेयकों पर विचार के लिए राष्ट्रपति द्वारा विवेकाधिकार का इस्तेमाल किए जाने के वास्ते समयसीमा निर्धारित कर सकते हैं।

आर्थिक स्वार्थ की चुनौतियों के बावजूद भारत ने पहली तिमाही में 7.8 प्रतिशत की वृद्धि दर्ज की: मोदी

प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने मंगलवार को ‘बेजान अर्थव्यवस्था’ के कटाक्ष का परोक्ष रूप से खंडन करते हुए कहा कि भारतीय अर्थव्यवस्था पहली तिमाही में 7.8 प्रतिशत की दर से बढ़ी और वैश्विक अनिश्चितताओं एवं आर्थिक स्वार्थ से प्रेरित चुनौतियों के बीच सभी अनुमानों को पार कर गई है। ‘सेमीकॉन इंडिया 2025’ सम्मेलन में उन्होंने कहा कि अप्रैल-जून में सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) की वृद्धि ” हर उम्मीद, आशा एवं अनुमान” से बेहतर रही। प्रधानमंत्री ने कहा कि भारत ने यह आर्थिक प्रदर्शन वैश्विक अनिश्चितताओं और ” आर्थिक स्वार्थ से उपजी चुनौतियों” के बीच किया है।

मोदी ने कहा, ” एक बार फिर, भारत ने हर उम्मीद, हर अनुमान से बेहतर प्रदर्शन किया है।” उन्होंने कहा कि दुनिया भर की अर्थव्यवस्थाएं आर्थिक स्वार्थ से प्रेरित चिंताओं एवं चुनौतियों का सामना कर रही हैं। ऐसे में भारत ने 7.8 प्रतिशत की वृद्धि दर हासिल की है। प्रधानमंत्री मोदी ने जोर देकर कहा कि यह वृद्धि सभी क्षेत्रों विनिर्माण, सेवा, कृषि और निर्माण में दिखाई दे रही है। हर जगह उत्साह साफ दिखाई दे रहा है। उन्होंने कहा कि भारत की तेज वृद्धि सभी उद्योगों और हर नागरिक में नई ऊर्जा का संचार कर रही है। मोदी ने जोर देकर कहा कि वृद्धि की यह गति भारत को दुनिया की तीसरी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था बनने की ओर तेजी से अग्रसर कर रही है। प्रधानमंत्री ने चुनौतियों के बारे में स्पष्ट रूप से कुछ नहीं कहा लेकिन उनका यह बयान अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के रूसी तेल की खरीद के कारण भारतीय वस्तुओं पर 25 प्रतिशत का अतिरिक्त शुल्क लगाने के कुछ दिनों बाद आया है। इससे भारत पर कुल शुल्क बढ़कर 50 प्रतिशत हो गया है जो दुनिया में सबसे अधिक है।

ट्रंप ने शुल्क लगाने से पहले भारत की अर्थव्यवस्था को ” बेजान” करार दिया था। भारत पहली (अप्रैल-जून) तिमाही के साथ-साथ 2024-25 (वित्त वर्ष अप्रैल 2024 से मार्च 2025) और उसके बाद के वर्षों में दुनिया की सबसे तेजी से बढ़ती प्रमुख अर्थव्यवस्था बना हुआ है जिसने चीन को काफी पीछे छोड़ दिया है। अप्रैल-जून में अमेरिकी अर्थव्यवस्था 3.3 प्रतिशत की दर से बढ़ी। अमेरिकी अधिकारियों ने हाल के दिनों में रूसी तेल की निरंतर खरीद को लेकर भारत की आलोचना करने के लिए अनावश्यक रूप से कठोर शब्दों का इस्तेमाल किया है। मोदी ने कहा कि उनकी सरकार जल्द ही अगली पीढ़ी के सुधारों का एक नया चरण शुरू करेगी। उन्होंने कहा, ” आने वाले समय में, हम अगली पीढ़ी के सुधारों का एक नया चरण शुरू करने जा रहे हैं।” प्रधानमंत्री ने नियोजित सुधारों के बारे में विस्तार से नहीं बताया, लेकिन माल एवं सेवा कर (जीएसटी) जैसे सबसे बड़े नियोजित सुधार का संकेत जरूर दिया जिसमें शैम्पू एवं हाइब्रिड कारों से लेकर उपभोक्ता इलेक्ट्रॉनिक तक आम इस्तेमाल की कई वस्तुओं पर कर में कटौती की जाएगी।

जीएसटी परिषद तीन सितंबर से नयी दिल्ली में दो दिवसीय बैठक कर रही है, जिसमें प्रस्तावित दरों में कटौती पर चर्चा की जाएगी। ट्रंप ने जनवरी से एक व्यापक वैश्विक शुल्क कार्यक्रम शुरू किया है, जिसके तहत उन देशों से आयात पर उच्च दरें लगाई जा रही हैं जिनसे उनके प्रशासन की राजनीतिक शिकायतें थीं। भारत के अलावा केवल ब्राजील पर ही 50 प्रतिशत शुल्क लगाया गया है। ट्रंप का तर्क है कि शुल्क अमेरिकी विनिर्माण को बढ़ावा देते हैं और नौकरियों की रक्षा करते हैं लेकिन उनकी व्यापार नीतियों ने दुनिया भर में आर्थिक अराजकता उत्पन्न कर दी है।

प्राकृतिक आपदा से प्रभावित हिमाचल और कुछ अन्य राज्यों के लिए तत्काल पैकेज जारी किया जाए: खरगे

कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे ने मंगलवार को कहा कि बाढ़ और भूस्खलन जैसी आपदाओं से प्रभावित हिमाचल प्रदेश, जम्मू-कश्मीर, पंजाब, उत्तराखंड और हरियाणा की मांगों के अनुसार उनके लिए एक विशेष पैकेज तत्काल जारी किया जाना चाहिए। उन्होंने यह भी कहा कि सभी बाढ़ प्रभावित क्षेत्रों में संकटग्रस्त लोगों को पर्याप्त मुआवजा देने के लिए ‘पीएम केयर फंड’ का उपयोग किया जाना चाहिए। खरगे ने ‘एक्स’ पर पोस्ट किया, “पंजाब में 2.5 लाख से ज्यादा लोग विनाशकारी बाढ़ से जूझ रहे हैं। कई लोगों की जान चली गई है। जिन परिवारों को नुकसान हुआ है उनके प्रति मेरी गहरी संवेदना है।” उन्होंने कहा, “मैंने पंजाब में कांग्रेस के वरिष्ठ नेताओं से बात की है।

कांग्रेस पार्टी हर संभव सहायता और सहयोग प्रदान करेगी।” कांग्रेस अध्यक्ष ने कहा कि केंद्र सरकार और राज्य को राहत, पुनर्वास और त्वरित चिकित्सा सहायता सहित स्थिति को कमतर करने के लिए और अधिक प्रयास करना चाहिए। खरगे ने कहा, “केंद्र सरकार को उत्तर भारत में बाढ़ प्रभावित राज्यों को अधिक धनराशि प्रदान करनी चाहिए और हिमाचल प्रदेश, जम्मू-कश्मीर, पंजाब, उत्तराखंड और हरियाणा की मांगों के अनुसार एक विशेष पैकेज तुरंत दिया जाना चाहिए। ” कांग्रेस अध्यक्ष ने यह भी कहा कि प्राकृतिक आपदाओं के मद्देनजर कोई राजनीति नहीं होनी चाहिए और सभी बाढ़ प्रभावित क्षेत्रों में संकटग्रस्त लोगों को पर्याप्त मुआवजा दिलाने के लिए ‘पीएम केयर फंड’ का उपयोग किया जाना चाहिए।

दिल्ली में यमुना नदी का जलस्तर खतरे के निशान के पार, निचले इलाकों में बाढ़ का खतरा

दिल्ली के पुराने रेलवे पुल पर मंगलवार सुबह यमुना नदी का जलस्तर खतरे के निशान 205.33 मीटर को पार कर 205.80 मीटर तक पहुंच गया। एक अधिकारी ने यह जानकारी दी। नदी का बढ़ता जलस्तर दिल्ली के निचले इलाकों में बाढ़ का खतरा पैदा कर रहा है। मुख्यमंत्री रेखा गुप्ता ने सोमवार को कहा था कि सरकार स्थिति से निपटने के लिए पूरी तरह तैयार है। अधिकारियों के अनुसार, सुबह छह बजे पुराने यमुना पुल पर नदी का जलस्तर 205.68 मीटर पर था, जो खतरे के निशान 205.33 मीटर से काफी ऊपर है।

उन्होंने बताया कि हथिनीकुंड बैराज से 1.76 लाख क्यूसेक, वजीराबाद बैराज से 69,210 क्यूसेक और ओखला बैराज से 73,619 क्यूसेक पानी छोड़ा गया। तीनों बैराजों से और अधिक पानी छोड़े जाने के कारण सुबह आठ बजे जलस्तर बढ़कर 205.80 मीटर हो गया। हरियाणा से रिकॉर्ड मात्रा में पानी छोड़े जाने से दिल्ली में बाढ़ का खतरा बढ़ गया है, जिसे देखते हुए प्राधिकारी अत्यधिक सतर्क हैं। यमुना के डूब क्षेत्र में रहने वाले लोगों को सुरक्षित स्थानों पर जाने की सलाह दी गयी है। नदी का जलस्तर मंगलवार शाम तक 206 मीटर के निकासी चिह्न तक पहुंचने की आशंका है।

शरजील इमाम, उमर खालिद, सात अन्य को जमानत देने से दिल्ली हाईकोर्ट ने किया इनकार

दिल्ली उच्च न्यायालय ने फरवरी 2020 के दंगों के पीछे की कथित साजिश से जुड़े यूएपीए मामले में उमर खालिद, शरजील इमाम और सात अन्य को जमानत देने से मंगलवार को इनकार कर दिया। न्यायमूर्ति नवीन चावला और न्यायमूर्ति शलिंदर कौर की पीठ ने शरजील इमाम, उमर खालिद, मोहम्मद सलीम खान, शिफा उर रहमान, अतहर खान, मीरान हैदर, अब्दुल खालिद सैफी और गुलफिशा फातिमा और शादाब अहमद की जमानत याचिकाओं पर फैसला सुनाया। नौ जुलाई को अपना आदेश सुरक्षित रखने के बाद मंगलवार को पीठ ने कहा, “सभी अपीलें खारिज की जाती हैं।” विस्तृत आदेश का इंतज़ार है। आरोपी 2020 से जेल में हैं और उन्होंने अपनी जमानत याचिका खारिज करने के निचली अदालत के आदेश के खिलाफ उच्च न्यायालय का रुख किया था।

अभियोजन पक्ष ने याचिकाओं का विरोध करते हुए कहा था कि यह स्वतःस्फूर्त दंगों का मामला नहीं है, बल्कि ऐसा मामला है, जहां ‘भयावह सोच’ के साथ ‘पहले साजिश रची गई’ और “सोच-समझकर’ ऐसा किया गया। अभियोजन पक्ष का प्रतिनिधित्व कर रहे सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने दलील दी कि यह वैश्विक स्तर पर भारत को बदनाम करने की साजिश थी और केवल लंबी कैद के आधार पर जमानत नहीं दी जा सकती। उन्होंने दलील दी, “अगर आप अपने देश के ख़िलाफ़ कुछ भी करते हैं, तो बेहतर होगा कि आप बरी होने तक जेल में रहें।” हालांकि, इमाम के वकील ने दलील दी कि वह जगह, समय और खालिद समेत सह-आरोपियों से “पूरी तरह से अलग” थे।

वकील ने कहा कि इमाम के भाषणों और व्हाट्सएप चैट में कभी भी किसी अशांति का आह्वान नहीं किया गया। खालिद, इमाम और अन्य पर फरवरी 2020 के दंगों का कथित तौर पर मुख्य षड्यंत्रकारी होने के आरोप में गैरकानूनी गतिविधियां रोकथाम अधिनियम (यूएपीए) और भारतीय दंड संहिता (आईपीसी) के प्रावधानों के तहत मामला दर्ज किया गया था। दंगों में 53 लोग मारे गए थे और 700 से अधिक घायल हुए थे। संशोधित नागरिकता कानून (सीएए) और राष्ट्रीय नागरिक पंजी (एनआरसी) के खिलाफ प्रदर्शन के दौरान हिंसा भड़क उठी थी। इमाम को इस मामले में 25 अगस्त, 2020 को गिरफ्तार किया गया था। निचली अदालत के आदेश को चुनौती देते हुए, इमाम, खालिद और अन्य ने अपनी लंबी कैद और जमानत पाने वाले अन्य सह-आरोपियों के साथ समानता का हवाला दिया।

इमाम, सैफी, फातिमा और अन्य की जमानत याचिकाएं 2022 से उच्च न्यायालय में लंबित थीं और समय-समय पर विभिन्न पीठों द्वारा उन पर सुनवाई की गई थी। दिल्ली पुलिस ने सभी आरोपियों की ज़मानत याचिकाओं का विरोध करते हुए कहा कि फ़रवरी 2020 की सांप्रदायिक हिंसा एक साज़िश का मामला थी। पुलिस ने आरोप लगाया कि खालिद, इमाम और सह-आरोपियों के भाषणों ने सीएए-एनआरसी, बाबरी मस्जिद, तीन तलाक और कश्मीर के संदर्भ में एक जैसे शब्दों से डर की भावना पैदा की। पुलिस ने दलील दी कि ऐसे “गंभीर” अपराधों से जुड़े मामले में, “जमानत नियम है और जेल अपवाद” के सिद्धांत का इस्तेमाल नहीं किया जा सकता। पुलिस ने निचली अदालत की कार्यवाही में देरी करने के “लिए अभियोजन पक्ष द्वारा प्रयास करने की बात” से भी इनकार किया और कहा कि शीघ्र सुनवाई का अधिकार “मुफ़्त पास” नहीं है।

अगली पीढ़ी के जीएसटी सुधार अर्थव्यवस्था को खुला एवं पारदर्शी बनाएंगे: सीतारमण

केंद्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने मंगलवार को कहा कि अगली पीढ़ी के जीएसटी सुधार अर्थव्यवस्था को पूरी तरह से खुला एवं पारदर्शी बनाएंगे। इससे अनुपालन बोझ में और कमी आएगी एवं छोटे व्यवसायों को लाभ होगा। तमिलनाडु स्थित सिटी यूनियन बैंक के 120वें स्थापना दिवस समारोह को संबोधित करते हुए उन्होंने यह बात कही। इस कार्यक्रम में राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू मुख्य अतिथि के तौर पर मौजूद रहीं। सीतारमण ने कहा कि प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने हाल ही में अगली पीढ़ी के सुधारों के लिए एक कार्यबल के गठन की घोषणा की है। इसका स्पष्ट उद्देश्य नियमों को सरल बनाना, अनुपालन लागत कम करना तथा स्टार्टअप, सूक्ष्म, लघु व मझोले उद्यमों और उद्यमियों के लिए एक अधिक अनुकूल परिवेश का निर्माण करना है।

सीतारमण ने कहा, ” इसके अतिरिक्त, अगले दो दिन होने वाली परिषद की बैठक के साथ अगली पीढ़ी के जीएसटी सुधारों की योजनाबद्ध शुरुआत से आने वाले महीनों में अर्थव्यवस्था पूरी तरह से खुली एवं पारदर्शी हो जाएगी। अनुपालन बोझ में और कमी आएगी जिससे छोटे व्यवसायों के लिए फलने-फूलना आसान हो जाएगा।” स्वतंत्रता दिवस के अपने संबोधन में प्रधानमंत्री मोदी ने माल एवं सेवा कर (जीएसटी) में बड़े सुधारों की घोषणा की थी और नागरिकों के लिए दिवाली पर उपहारों का वादा किया था। सीतारमण ने कहा कि देश के अपने विकसित भारत 2047 के दृष्टिकोण की ओर बढ़ते हुए बैंकों से न केवल ऋण का विस्तार करने बल्कि बुनियादी ढांचे के विकास को गति प्रदान करने, एमएसएमई के लिए समय पर और आवश्यकता-आधारित वित्तपोषण सुनिश्चित करने, बैंकिंग सेवाओं से वंचित लोगों को औपचारिक बैंकिंग के दायरे में लाने व विविध आवश्यकताओं को पूरा करने का आह्वान किया जाता है। इस लक्ष्य के लिए बैंकिंग क्षेत्र का समर्थन अत्यंत महत्वपूर्ण है।

उन्होंने कहा, ” इस परिवर्तन के मार्गदर्शक सिद्धांत विश्वास, प्रौद्योगिकी और पारदर्शिता होने चाहिए।” केंद्रीय वित्त मंत्री ने साथ ही कहा कि पिछले 11 वर्ष में 56 करोड़ जन-धन खाते खोले गए हैं जिनमें कुल जमा राशि 2.68 लाख करोड़ रुपये है। इनमें से अधिकतर खाताधारक महिलाएं हैं। सीतारमण ने यह भी बताया कि भारतीय अनुसूचित वाणिज्यिक बैंकों ने परिसंपत्ति गुणवत्ता में बड़ा सुधार दर्ज किया है। उन्होंने कहा कि रेटिंग एजेंसी एसएंडपी ने 18 वर्ष में पहली बार देश की दीर्घकालिक साख में सुधार किया है। मंत्री ने कहा कि अनुसूचित वाणिज्यिक बैंकों का सकल एनपीए (गैर-निष्पादित परिसंपत्तियां) 31 मार्च, 2025 तक घटकर 2.3 प्रतिशत रह गया है, जबकि शुद्ध एनपीए 0.5 प्रतिशत है। उन्होंने कहा, ” मैं समझती हूं कि ऐसे चुनौतीपूर्ण समय में हमारे बैंकों के लिए यह एक अद्भुत उपलब्धि है।

भारतीय बैंकिंग क्षेत्र के सभी सदस्यों, परिवारों, कर्मचारियों, निदेशक मंडल को उनके द्वारा की गई शानदार सेवा के लिए हमारी ओर से उचित मान्यता मिलनी चाहिए।” अनुसूचित वाणिज्यिक बैंकों की परिसंपत्ति गुणवत्ता में रिकॉर्ड सुधार पर उन्होंने कहा कि इन ” प्रतिकूल दबाव परिदृश्यों” में भी बैंकों का कुल पूंजी स्तर नियामकीय न्यूनतम स्तर से ऊपर बना रहेगा। सीतारमण ने कहा, ” इसलिए, रिकॉर्ड निम्न एनपीए वाले मजबूत और अच्छी तरह से पूंजीकृत बैंकों का अर्थ परिवारों, एमएसएमई और बुनियादी ढांचे के लिए सस्ता एवं स्थिर ऋण, कम प्रणालीगत जोखिम तथा भारत की वित्तीय प्रणाली में निरंतर विश्वास है।” वित्तीय क्षेत्र के कुछ बुनियादी पहलुओं का उल्लेख करते हुए उन्होंने कहा कि अप्रैल-जून, 2025 तिमाही में सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) में 7.8 प्रतिशत की वृद्धि दर्ज की गई, जो सभी अनुमानों से अधिक है और विभिन्न क्षेत्रों में समग्र रूप से अच्छी गति दर्शाती है।

उन्होंने कहा कि मुद्रास्फीति दर लगातार नौ महीनों से ”गिरावट” दर्ज कर रही है और जुलाई, 2025 में आठ साल के निचले स्तर 1.55 प्रतिशत आ जाएगी। सीतारमण ने कहा कि जून, 2025 तक कर्मचारी भविष्य निधि संगठन (ईपीएफओ) में लगभग 22 लाख सदस्यों की शुद्ध वृद्धि हुई है, जो लगातार दूसरे महीने रिकॉर्ड वृद्धि का संकेत है। भारतीय प्रबंध संस्थान (बेंगलुरु) द्वारा किए गए अध्ययन का हवाला देते हुए उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री जन-धन योजना खातों ने वित्तीय बचत को सुरक्षित रखने में मदद की है और विशेष रूप से कोविड-19 वैश्विक महामारी के समय में ये बहुत मददगार साबित हुए हैं। उन्होंने कहा, बैंक खाता केवल एक पासबुक नहीं है। यह अवसरों का ‘पासपोर्ट’ है जो ऋण, बचत, बीमा एवं सम्मान तक पहुंच को संभव बनाता है।

हम अफगानिस्तान में भूकंप से प्रभावित लोगों को मानवीय सहायता प्रदान करने के लिए तैयार: प्रधानमंत्री

नई दिल्ली। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने सोमवार को अफगानिस्तान में भूकंप के कारण हुई जानमाल की हानि पर गहरा दुख व्यक्त किया और कहा कि भारत प्रभावित लोगों को हरसंभव मानवीय सहायता एवं राहत प्रदान करने के लिए तैयार है। तालिबान सरकार के एक प्रवक्ता के अनुसार, अफगानिस्तान के पूर्वी हिस्से में आए भूकंप में कम से कम 610 लोग मारे गए हैं, 1,300 घायल हुए हैं और कई गाँव तबाह हो गए हैं।

अफगानिस्तान में रविवार देर रात नंगरहार प्रांत के जलालाबाद शहर के पास कुनार प्रांत के कई हिस्सों में 6.0 तीव्रता का भूकंप आया। मोदी ने ‘एक्स’ पर कहा, ”अफगानिस्तान में भूकंप के कारण हुई जानमाल की हानि से बहुत दुखी हूं। इस कठिन घड़ी में हमारी संवेदनाएं और प्रार्थनाएं शोकसंतप्त परिवारों के साथ हैं, हम घायलों के शीघ्र स्वस्थ होने की कामना करते हैं। भारत प्रभावित लोगों को हरसंभव मानवीय सहायता और राहत प्रदान करने के लिए तैयार है।”

सुप्रीम कोर्ट ने गेटवे ऑफ इंडिया पर नए यात्री जेटी के निर्माण के खिलाफ खारिज की याचिका

नई दिल्ली। सुप्रीम कोर्ट ने दक्षिण मुंबई में ऐतिहासिक ‘गेटवे ऑफ इंडिया’ पर नए यात्री जेटी और टर्मिनल के निर्माण को मंजूरी देने वाले मुंबई उच्च न्यायालय के फैसले के खिलाफ याचिका सोमवार को खारिज कर दी, जिससे इस परियोजनाओं पर काम जारी रहेगा। उच्च न्यायालय ने 15 जुलाई को गेटवे ऑफ इंडिया के निकट महाराष्ट्र मैरीटाइम बोर्ड (एमएमबी) द्वारा प्रस्तावित 229 करोड़ रुपये की लागत वाली यात्री जेटी और टर्मिनल सुविधा के निर्माण को चुनौती देने वाली तीन याचिकाओं को खारिज कर दिया था। प्रधान न्यायाधीश बी आर गवई और न्यायमूर्ति के विनोद चंद्रन की पीठ ने उच्च न्यायालय के फैसले के खिलाफ लॉरा डी सूजा द्वारा दायर अपील को खारिज करते हुए कहा कि यह मुद्दा सरकार के नीतिगत अधिकार क्षेत्र में आता है।

समुद्र में लगभग 1.5 एकड़ में फैली यह परियोजना गेटवे ऑफ इंडिया से लगभग 280 मीटर की दूरी पर होगी, जो दक्षिण मुंबई में रेडियो क्लब के पास स्थित है। याचिका के अनुसार, परियोजना योजना में 150 कारों की पार्किंग, वीआईपी लाउंज/प्रतीक्षा क्षेत्र, एम्फीथिएटर और टिकट काउंटर/प्रशासनिक क्षेत्र के साथ-साथ समुद्र में खंभों पर एक विशाल टेनिस रैकेट के आकार का जेटी बनाना शामिल है। ऐसा आरोप है कि इस परियोजना से स्थानीय लोगों को असुविधा होगी क्योंकि वाहनों की भीड़ की समस्या पर विचार नहीं किया गया है।

अर्थव्यवस्था को लेकर ‘अतार्किक उत्साह’, ट्रंप टैरिफ का ‘झटका’ अभी नहीं दिखा: कांग्रेस

नई दिल्ली। कांग्रेस ने सोमवार को अप्रैल-जून 2025 के जीडीपी के आंकड़ों को लेकर सरकार की आलोचना की और कहा कि इनसे ‘अतार्किक उत्साह’ पैदा हुआ है और इनमें अभी तो ‘ट्रंप का टैरिफ का झटका’ दिखाई नहीं दे रहा है जिसके असल परिणाम दूसरी तिमाही में दिखाई देने लगेंगे। कांग्रेस महासचिव जयराम रमेश ने कहा कि टैरिफ से बचने के लिए निर्यातकों ने पहले से ही अमेरिका को अतिरिक्त निर्यात (फ्रंट लोडिंग) कर दिया था, जिससे निर्यात वृद्धि और जीडीपी के मुख्य आंकड़ों में वृद्धि हुई है। रमेश ने ‘एक्स’ पर कहा, ”अप्रैल-जून 2025 की अवधि के जीडीपी आंकड़े अतार्किक उत्साह का कारण बने हैं, लेकिन इनमें कुछ स्पष्ट विरोधाभास भी हैं जिन पर एक जानेमाने बैंक की रिपोर्ट ने सवाल उठाए हैं और जिन्हें नंजरअंदाज नहीं किया जा सकता।

उन्होंने दावा किया, ”शहरी खपत अब भी काफी कमजोर है और ग्रामीण खपत संरचनात्मक बाधाओं का सामना कर रही है।” रमेश ने कहा कि नाममात्र जीडीपी वृद्धि दर (यानी मुद्रास्फीति को समायोजित किए बिना) अब भी धीमी है और वास्तव में, जनवरी-मार्च 2025 तिमाही की तुलना में काफी कम है। उन्होंने कहा, ”उपभोग, निवेश और व्यापार जीडीपी वृद्धि के मुख्य निर्धारक हैं। लेकिन आश्चर्यजनक ढंग से तिमाही वृद्धि दर का पूरा 1.8 प्रतिशत अंक इन तीन निर्धारकों से नहीं समझाया जा सकता। यह विसंगति बहुत बड़ी है और इसे स्पष्ट करने की आवश्यकता है।” रमेश ने कहा कि विनिर्माण क्षेत्र में बिक्री वृद्धि, मुनाफे की वृद्धि के विपरीत, लगातार धीमी हो रही है। कांग्रेस नेता ने कहा, ”ट्रंप टैरिफ का झटका इस वित्तीय वर्ष की पहली तिमाही में दिखाई नहीं देता।

दरअसल टैरिफ से बचने के लिए निर्यातकों ने पहले से ही अमेरिका को अतिरिक्त निर्यात (फ्रंट लोडिंग) कर दिया था, जिससे निर्यात वृद्धि और जीडीपी के मुख्य आंकड़ों में वृद्धि हुई है।” रमेश ने कहा कि टैरिफ के वास्तविक प्रभाव निश्चित रूप से दूसरी तिमाही से दिखने शुरू हो जाएंगे। भारत की अर्थव्यवस्था अप्रैल-जून में अपेक्षा से अधिक 7.8 प्रतिशत की दर से बढ़ी, जो पांच तिमाहियों में सबसे तेज़ गति की थी। अब अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने भारत पर टैरिफ लगाए, जिससे कपड़ा जैसे प्रमुख निर्यातों के लिए खतरा पैदा हो रहा है। शुक्रवार को जारी नवीनतम सरकारी आंकड़ों के अनुसार, चालू वित्त वर्ष की पहली तिमाही में सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) की वृद्धि मुख्य रूप से कृषि क्षेत्र के अच्छे प्रदर्शन से प्रेरित थी, तथा व्यापार, होटल, वित्तीय और रियल एस्टेट जैसी सेवाओं से भी इसमें मदद मिली।

इस साल रामलीला आयोजन अधिक भव्य और बेहतर होगा: रेखा गुप्ता

नई दिल्ली। दिल्ली की मुख्यमंत्री रेखा गुप्ता ने रविवार को कहा कि राष्ट्रीय राजधानी में इस साल रामलीला आयोजन अधिक भव्य और बेहतर होगा। लव कुश रामलीला समिति के भूमि पूजन समारोह में शामिल हुईं मुख्यमंत्री ने कहा कि इस साल समारोह पिछले वर्षों की तुलना में अधिक भव्य और बेहतर होंगे। उन्होंने कहा, ”रामलीला समितियों ने हमसे अपनी समस्याएं साझा की थीं और मैं आपको भरोसा दिलाती हूं कि इस साल ये समस्याएं नहीं आएंगी। हमने सभी तरह की अनुमतियों के लिए एकल खिड़की मंजूरी व्यवस्था लागू की है।