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वित्तीय धोखाधड़ी के मामले में विजयराज सुराना की याचिका पर एसएफआईओ से सुप्रीम कोर्ट ने मांगा जवाब

उच्चतम न्यायालय ने बृहस्पतिवार को सुराना समूह के प्रबंध निदेशक विजयराज सुराना की उस याचिका पर गंभीर धोखाधड़ी जांच कार्यालय (सीएफआईओ) से जवाब मांगा जिसमें उन्होंने 10,000 करोड़ रुपये से अधिक की कथित वित्तीय धोखाधड़ी के संबंध में जमानत शर्तों में छूट देने का अनुरोध किया है। शीर्ष अदालत ने 20 मई को सुराना को जमानत दे दी थी जो कथित वित्तीय धोखाधड़ी के संबंध में कंपनी अधिनियम और भारतीय दंड संहिता (आईपीसी) की संबंधित धाराओं के तहत आपराधिक मुकदमे का सामना कर रहे हैं।

प्रधान न्यायाधीश बी. आर. गवई की अध्यक्षता वाली पीठ ने जमानत देते हुए कहा कि मुकदमा शुरू होने से पहले लंबे समय तक हिरासत में रखना बिना दोषसिद्धि के सजा के समान होगा। पीठ में न्यायमूर्ति के. विनोद चंद्रन और न्यायमूर्ति विपुल एम. पंचोली भी शामिल हैं। न्यायालय ने सुराना की ओर से पेश वरिष्ठ अधिवक्ता सी. यू. सिंह की दलीलों पर बृहस्पतिवार को गौर किया और एसएफआईओ (गंभीर धोखाधड़ी जांच कार्यालय) को नोटिस जारी किया। पीठ याचिका पर अब चार सप्ताह बाद सुनवाई करेगी। एसएफआईओ की ओर से पेश वकील ने सुराना की याचिका का विरोध करते हुए कहा कि पहले उन्होंने जमानत मांगी और फिर अब लगाई गई शर्तों में ढील मांग रहे हैं।

प्रधान न्यायाधीश ने कहा, ” नोटिस जारी करें। चार सप्ताह बाद जवाब दें।” इससे पहले जमानत देते हुए शीर्ष अदालत ने निर्देश दिया था कि चेन्नई के अतिरिक्त सत्र न्यायाधीश (कंपनी अधिनियम मामलों के लिए विशेष न्यायाधीश) अगर संतुष्ट हों तो सुराना को रिहा किया जाए। न्यायालय ने इसके अलावा सुराना से कहा कि यदि उन्होंने अपना पासपोर्ट पहले से जमा नहीं किया है तो उसे निचली अदालत में जमा करा दें। साथ ही वह अदालत की अनुमति के बिना भारत से बाहर न जाएं। पीठ ने साथ ही आगाह किया था कि कार्यवाही को लंबा खींचने के किसी भी प्रयास के परिणामस्वरूप जमानत रद्द हो सकती है। सुराना पर एसएफआईओ द्वारा उजागर की गयी एक बड़ी वित्तीय धोखाधड़ी में शामिल होने का आरोप लगाया गया है। आरोप है कि सुराना समूह पर विभिन्न बैंकों और वित्तीय संस्थानों का लगभग 10,233 करोड़ रुपये बकाया है।

‘प्रधानमंत्री का झूठ सबसे मजबूत’, सीमांचल और भागलपुर की जनता वोट से जवाब देगी: कांग्रेस

कांग्रेस ने प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की बिहार के भागलपुर में जनसभा से पहले उन पर झूठे चुनावी वादे करने का आरोप लगाया और दावा किया कि इस बार भागलपुर और सीमांचल की जनता वोट के माध्यम से राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (राजग) को इसका जवाब देगी। पार्टी महासचिव जयराम रमेश ने कटाक्ष करते हुए यह भी कहा कि ”प्रधानमंत्री का झूठा सबसे मजबूत है।” रमेश ने ‘एक्स’ पर पोस्ट किया, ”प्रधानमंत्री का झूठ सबसे मज़बूत!! आज प्रधानमंत्री भागलपुर और सीमांचल में आ रहे हैं। इस अवसर पर हम उनके कुछ पिछले झूठे वादे याद दिलाना चाहते हैं और उनसे कुछ सीधा सवाल है।” उन्होंने कहा, ”2015 में प्रधानमंत्री ने कहा था कि भागलपुर में 500 एकड़ में 500 करोड़ से विक्रमशिला केंद्रीय विश्वविद्यालय बनाऊंगा।

10 साल बाद, एक ईंट तक नहीं रखी गई।” कांग्रेस नेता ने सवाल किया कि क्या विक्रमशिला भी सवा लाख करोड़ वाले पैकेज के साथ हवा में उड़ गया? रमेश ने कहा, ”2014 में प्रधानमंत्री ने मोतिहारी चीनी मिल के बारे में भरोसे से कहा था -अगली बार आऊंगा तो इसी मिल की चीनी से बनी चाय पियूंगा। 11 साल बीत गए। अभी भी लोग चाय पीने का इंतजार कर रहे हैं।” उन्होंने प्रश्न किया कि प्रधानमंत्री ने मोतिहारी के लोगों से इतना बड़ा झूठ क्यों बोला था? कांग्रेस नेता ने कहा, ”2020 में दरभंगा एम्स के लिए 1,264 करोड़ रुपये का वादा किया गया। आज तक न भवन बना, न अस्पताल शुरू हुआ। और इस बीच 2023 में प्रधानमंत्री ने दरभंगा एम्स को चालू होने का दावा भी कर दिया।” उन्होंने सवाल किया कि क्या दरभंगा एम्स घोषणा-पत्र से बाहर निकलकर कभी हकीकत बनेगा? कांग्रेस महासचिव ने यह दावा भी किया कि सीमांचल में गरीबी और बदहाली अपने चरम पर है।

रमेश ने आरोप लगाया, ”20 साल की भाजपा-जद (यू) सरकार में सीमांचल की सिर्फ अनदेखी हुई है, नतीजा यहां की लगभग आधी आबादी भयंकर गरीबी की चपेट में है।” उन्होंने प्रश्न किया कि ‘डबल इंजन’ की सरकार में सीमांचल की उपेक्षा क्यों हुई और इस इलाके को इतना बदहाल क्यों छोड़ दिया गया? कांग्रेस महासचिव ने आरोप लगाया कि ”ट्रबल इंजन” की सरकार में इस पूरे क्षेत्र को विकास से दूर रखा गया। रमेश ने कहा, ”इस बार सीमांचल और भागलपुर की जनता अपने वोट की चोट से राजग को हराकर इस उपेक्षा का जवाब देगी।

‘ऑनलाइन गेमिंग’ कानून को चुनौती देने वाली याचिकाओं पर केंद्र से सुप्रीम कोर्ट ने मांगा विस्तृत जवाब

उच्चतम न्यायालय ने ऑनलाइन गेमिंग कानून को चुनौती देने वाली याचिकाओं पर मंगलवार को केंद्र से विस्तृत जवाब दाखिल करने को कहा। यह कानून ”ऑनलाइन मनी गेम्स” पर प्रतिबंध लगाता है और बैंकिंग सेवाओं तथा उनसे संबंधित विज्ञापनों पर रोक लगाता है। न्यायमूर्ति जे बी पारदीवाला और न्यायमूर्ति के वी विश्वनाथन की पीठ को सूचित किया गया कि केंद्र ने याचिकाओं में किए गए अंतरिम अनुरोध पर अपना जवाब दाखिल कर दिया है। पीठ ने कहा, ”हम चाहते हैं कि केंद्र की ओर से पेश अतिरिक्त सॉलिसिटर जनरल मुख्य याचिका पर भी एक व्यापक जवाब दाखिल करें।” पीठ ने कहा कि याचिकाकर्ताओं की ओर से पेश वकीलों को जवाब की प्रति पहले ही दे दी जाए और अगर वे कोई प्रत्युत्तर दाखिल करना चाहते हैं, तो वे जल्द से जल्द ऐसा कर सकते हैं। पीठ ने मामले की सुनवाई 26 नवंबर के लिए स्थगित कर दी। इस मामले में पेश हुए वरिष्ठ अधिवक्ता सी ए सुंदरम ने पीठ को बताया कि ऑनलाइन गेमिंग एक महीने से अधिक समय से पूरी तरह बंद है। सुनवाई के दौरान एक वकील ने पीठ को बताया कि इस मामले में एक नयी रिट याचिका दायर की गई है, लेकिन उसे सुनवाई के लिए सूचीबद्ध नहीं किया गया। वकील ने कहा, ”मैं (याचिकाकर्ता) एक शतरंज खिलाड़ी हूं और यह मेरी आजीविका का साधन है। मैं एक ऐप भी लॉन्च करने वाला था।” न्यायमूर्ति पारदीवाला ने कहा, ”भारत एक अजीब देश है। आप एक खिलाड़ी हैं।

आप खेलना चाहते हैं। यह आपकी आय का एकमात्र स्रोत है और इसलिए आप कार्यवाही में शामिल होना चाहते हैं।” वकील ने कहा कि याचिकाकर्ता कंपनियों द्वारा आयोजित ऑनलाइन टूर्नामेंट में भाग लेता है और वह भागीदारी शुल्क भी देता है। पीठ ने कहा कि उनकी याचिका को भी लंबित याचिकाओं के साथ संलग्न किया जाए। शीर्ष अदालत ऑनलाइन गेमिंग कानून को चुनौती देने वाली विभिन्न स्थानांतरित याचिकाओं पर सुनवाई कर रही थी। पीठ ने कहा कि एक अलग याचिका, जिसमें सरकार को ऑनलाइन जुआ और सट्टेबाजी मंचों पर प्रतिबंध लगाने के निर्देश देने का अनुरोध किया गया था और जो कथित तौर पर सामाजिक और ई-स्पोर्ट्स गेम की आड़ में संचालित होते हैं, उनपर भी 26 नवंबर को सुनवाई की जाएगी

शीर्ष अदालत ने सोमवार को ‘सेंटर फॉर अकाउंटेबिलिटी एंड सिस्टमिक चेंज’ (सीएएससी) और शौर्य तिवारी द्वारा दायर याचिका पर केंद्र से जवाब मांगा था। याचिकाकर्ताओं का तर्क है कि यह अधिनियम न्यायिक रूप से मान्यता प्राप्त कौशल-आधारित खेलों पर भी पूर्ण प्रतिबंध लगाता है, जो संविधान के अनुच्छेद 19(1)(जी) का उल्लंघन है, यह धारा किसी भी पेशे को अपनाने या वैध व्यापार करने के अधिकार की गारंटी देता है। कर्नाटक उच्च न्यायालय ने हाल ही में एक अन्य संबंधित याचिका पर नोटिस जारी किया था।

बिहार में राजद के ‘जंगल राज’ की वापसी रोकने के लिए ‘कमल’ का बटन दबाएं, दरभंगा में बोले अमित शाह

गृह मंत्री अमित शाह ने बिहार के मतदाताओं से मंगलवार को अपील की कि वे भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के चुनाव चिह्न ‘कमल’ वाला ईवीएम बटन दबाएं ताकि ”राजद (राष्ट्रीय जनता दल) के शासनकाल के दौरान रहे जंगल राज की वापसी को रोका जा सके जिसने राज्य को तबाह कर दिया था।” शाह ने वादा किया कि अगर राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (राजग) सत्ता में लौटता है तो सरकार बाढ़ रोकने और कोसी नदी के पानी का इस्तेमाल सिंचाई के लिए करने पर 26,000 करोड़ रुपये खर्च करेगी। शाह ने दरभंगा में एक चुनावी रैली में कहा, ”लालू-राबड़ी के 15 साल के शासन में बिहार को तबाह करने वाले ‘जंगल राज’ की वापसी को रोकने के लिए ‘कमल’ का बटन दबाएं।” उन्होंने कहा, ”यदि आप छह नवंबर को मतदान के दिन कोई गलती करते हैं तो बिहार में हत्या, लूट, अपहरण और जबरन वसूली फिर से आम हो जाएगी।

उन्होंने दावा किया कि प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के नेतृत्व में राजग ही बिहार को सर्वांगीण विकास की ओर ले जा सकता है। पूर्व भाजपा अध्यक्ष ने कहा, ”यदि बिहार में राजग सत्ता में फिर आता है तो मिथिलांचल में सिंचाई के लिए कोसी नदी के पानी का उपयोग और बाढ़ को रोकने के मकसद से कुल 26,000 करोड़ रुपये खर्च किए जाएंगे…बिहार में गंगा, कोसी और गंडक नदियों के पानी का उपयोग सिंचाई के लिए किया जाएगा।” उन्होंने कहा कि अगर राजग बिहार में सत्ता में बना रहता है तो मिथिला, कोसी और तिरहुत के लोगों को इलाज के लिए पटना या दिल्ली जाने की जरूरत नहीं होगी क्योंकि उन्हें एम्स (अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान) दरभंगा में गुणवत्तापूर्ण चिकित्सा सुविधाएं मिलेंगी। शाह ने कहा, ”करीब 3.60 करोड़ लोगों को पांच लाख रुपये तक का नि:शुल्क स्वास्थ्य बीमा दिया गया है जबकि दरभंगा में आईटी पार्क युवाओं को रोजगार देगा।

उन्होंने ‘जीविका दीदी’ के लिए 10,000 रुपये के लाभ के खिलाफ निर्वाचन आयोग से की गई राजद की शिकायत की आलोचना की और कहा, ”लालू की तीन पीढ़ियां” स्वयं सहायता समूहों को ”हस्तांतरित धन नहीं छीन पाएंगी।” शाह ने दोहराया कि राजद-कांग्रेस ने छठी मैया, प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी और उनकी मां का अपमान किया। उन्होंने कहा कि बिहार की जनता आगामी चुनावों में ”ऐसे राजनीतिक दलों को बाहर का रास्ता दिखाकर इस अपमान का बदला लेगी।” शाह ने कहा, ”बिहार की जनता छठी मैया का अपमान करने वालों को कभी माफ नहीं करेगी। बिहार चुनाव में राजद-कांग्रेस का सफाया हो जाएगा।” उन्होंने वादा किया कि यदि राजग बिहार में सत्ता में बना रहता है तो अगले पांच वर्षों में प्रत्येक जिले में एक इंजीनियरिंग और एक मेडिकल कॉलेज खोला जाएगा। उन्होंने जोर देकर कहा कि असली विकास केवल नरेन्द्र मोदी और मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के शासनकाल में ही हो सकता है।

उन्होंने कहा, ”व्यापार सम्मेलन के दौरान बिहार में निवेश के लिए 423 कंपनियों ने 1.80 लाख करोड़ रुपये के समझौते किए। रक्सौल में एक नये हवाई अड्डे को मंजूरी मिल गई है जबकि मोतिहारी में एक सभागार बनाया जाएगा।” उन्होंने कहा कि चंपारण में धार्मिक पर्यटन को बढ़ावा दिया जाएगा। उन्होंने कहा, ”मैं महात्मा गांधी की कर्मभूमि चंपारण से घोषणा करता हूं कि 31 मार्च 2026 को देश से नक्सलवाद का सफाया हो जाएगा।

कम उपस्थिति के कारण विधि पाठ्यक्रम के किसी छात्र को परीक्षा देने से न रोका जाए: दिल्ली हाईकोर्ट

दिल्ली उच्च न्यायालय ने सोमवार को व्यवस्था दी कि देश में विधि पाठ्यक्रम के किसी भी छात्र को न्यूनतम उपस्थिति न होने के कारण परीक्षा देने से नहीं रोका जा सकता। उच्च न्यायालय ने विधि महाविद्यालयों में अनिवार्य उपस्थिति की आवश्यकता से संबंधित कई निर्देश जारी करते हुए बार काउंसिल ऑफ इंडिया (बीसीआई) को उपस्थिति मानकों में बदलाव करने का आदेश दिया। अदालत ने कहा कि कम उपस्थिति के कारण छात्र को परीक्षा देने से वंचित नहीं किया जा सकता। न्यायमूर्ति प्रतिभा एम. सिंह और न्यायमूर्ति शर्मा की पीठ ने यह आदेश स्वत: संज्ञान याचिका का निपटारा करते हुए दिया। 2016 में विधि के छात्र सुषांत रोहिल्ला की आत्महत्या के मामले में उच्चतम न्यायालय ने यह याचिका शुरू की थी।

रोहिल्ला ने कथित तौर पर आवश्यक उपस्थिति न होने के कारण सेमेस्टर परीक्षा देने से रोके जाने के बाद अपने घर में आत्महत्या कर ली थी। पीठ ने कहा, “सभी पक्षों की दलीलों और सामने आई वास्तविकताओं को ध्यान में रखते हुए अदालत का मानना है कि सामान्य शिक्षा और विशेष रूप से विधि शिक्षा में ऐसे कठोर नियम नहीं होने चाहिए, जिनसे छात्रों का मानसिक स्वास्थ्य प्रभावित हो।” सुशांत रोहिल्ला एमिटी विश्वविद्यालय में विधि पाठ्यक्रम के तीसरे वर्ष के छात्र थे। उन्होंने 10 अगस्त 2016 को आत्महत्या की थी। बताया जाता है कि उन्हें कथित तौर पर आवश्यक उपस्थिति न होने के कारण सेमेस्टर परीक्षा देने से रोक दिया गया था। रोहिल्ला ने एक सुसाइड नोट छोड़ा था जिसमें लिखा था कि वे निराश महसूस कर रहे हैं और जीवित नहीं रहना चाहते।

भाजपा-जदयू ने बिहार के युवाओं के हर अवसर को छीना, अब बदलाव का समय : खरगे

कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे ने आरोप लगाया कि भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) और जनता दल यूनाइटेड (जदयू) ने पिछले 20 वर्षों के अपने शासन में बिहार के युवाओं से हर अवसर और सपना छीन लिया, लेकिन अब राज्य के आत्मसम्मान को बहाल करने का समय आ गया है। खरगे ने कहा कि अब महागठबंधन के ‘न्याय संकल्प’ को दोहराने का समय आ गया है। कांग्रेस अध्यक्ष ने सोशल मीडिया मंच ‘एक्स’ पर एक पोस्ट में कहा, ” बिहार के लोग जहां भी जाते हैं, मेहनत और हुनर से उन शहरों की किस्मत चमका देते हैं। लेकिन वे अपने बिहार की तक़दीर अब तक क्यों नहीं बदल पाए? क्योंकि बीते 20 सालों में भाजपा-जदयू ने बिहार के युवाओं से हर मौका, हर सपना छीन लिया। उन्हें मज़दूरी करने के लिए मजबूर कर दिया गया।’

उन्होंने कहा,”उद्योग क्षेत्र में रोजगार के मामले में बिहार देश में 23वें स्थान पर है। पूरे राज्य में सिर्फ 1.3 लाख लोग ही इस क्षेत्र में काम करते हैं, जिनमें से केवल 36,135 स्थायी कर्मचारी हैं। अब वक्त है बदलाव का, बिहार का स्वाभिमान फिर जगाने का है।” खरगे ने एक तस्वीर साझा की, जिसमें बिहार में युवाओं के विकास के लिए ‘महागठबंधन’ द्वारा किए गए वादे शामिल हैं। महागठबंधन ने बिहार विधानसभा चुनावों के लिए अपना घोषणापत्र जारी किया है, जिसमें हर घर के एक सदस्य को सरकारी नौकरी देने का वादा भी शामिल है।

बिहार चुनाव विकास बनाम ”जंगलराज” की लड़ाई : अमित शाह

केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने शनिवार को कहा कि बिहार विधानसभा चुनाव राज्य की जनता के लिए प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी और मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के नेतृत्व में विकास का रास्ता चुनने और राष्ट्रीय जनता दल (राजद) के नेतृत्व वाले विपक्ष के ‘जंगलराज’ को वापस लाने के बीच का चुनाव है। भाजपा के पूर्व राष्ट्रीय अध्यक्ष ने यह बात गोपालगंज और समस्तीपुर जिलों में आयोजित रैलियों को वर्चुअल रूप से संबोधित करते हुए कही। खराब मौसम के कारण वह स्वयं इन स्थानों पर नहीं पहुंच सके। राजद प्रमुख लालू प्रसाद के गृह जिले गोपालगंज का उल्लेख करते हुए शाह ने पूर्व मुख्यमंत्री राबड़ी देवी के भाई और पूर्व विधायक साधू यादव के ”अत्याचारों” का जिक्र किया और लोगों को चेताया कि ”अगर विपक्ष सत्ता में आया तो फिर से जंगलराज लौट आएगा।”

शाह ने कहा, ”यह चुनाव यह तय करने का अवसर है कि बिहार का भविष्य किसे सौंपना चाहिए। एक ओर वे लोग हैं जिन्होंने राज्य में ‘जंगलराज’ लाया था और दूसरी ओर प्रधानमंत्री मोदी और मुख्यमंत्री नीतीश कुमार की जोड़ी है, जिन्होंने विकास का रास्ता दिखाया है।” उन्होंने कहा, ”गोपालगंज के लोगों ने 2002 से राजद को वोट नहीं दिया है। मुझे पूरा भरोसा है कि वे इस परंपरा को बनाए रखेंगे… गोपालगंज के लोगों से बेहतर कोई साधू यादव के कारनामों को नहीं जानता।” साधू यादव, जो गोपालगंज से विधायक और सांसद दोनों रह चुके हैं, राबड़ी देवी के मुख्यमंत्री रहने के दौरान काफी प्रभावशाली माने जाते थे। शाह ने उन घटनाओं का भी उल्लेख किया जिनमें यादव का नाम सामने आया था, जैसे 1999 में राबड़ी देवी की बड़ी बेटी मीसा भारती की शादी के दौरान शो-रूम से कथित तौर पर जबरन कारें उठवा लेने का मामला, जिसका जिक्र प्रधानमंत्री मोदी ने भी हाल में एक रैली में किया था। 90 के दशक के शिल्पी गौतम हत्याकांड में भी यादव का नाम आया था।

हाल में यह मामला तब सुर्खियों में आया जब जनसुराज पार्टी के प्रमुख प्रशांत किशोर ने उपमुख्यमंत्री और भाजपा नेता सम्राट चौधरी (जो उस वक्त राजद में थे) पर इस मामले में संलिप्तता का आरोप लगाया। शाह ने अपने संबोधन में राजद शासनकाल के दौरान मध्य बिहार के उन गांवों का भी नाम लिया, जो नरसंहारों के लिए कुख्यात रहे थे, जब राज्य के कई जिले नक्सलियों और ऊंची जाति के जमींदारों की ”निजी सेनाओं” के बीच खूनी संघर्ष की चपेट में थे। गृह मंत्री ने राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (राजग) के चुनावी घोषणापत्र में किए गए वादों का भी उल्लेख किया। उन्होंने कहा, ”घोषणापत्र में दो बड़ी बातें हैं – एक किसानों के लिए और एक महिलाओं के लिए। हाल में नीतीश कुमार और प्रधानमंत्री मोदी ने 1.41 करोड़ जीविका दीदियों के खातों में 10 हजार रुपए भेजे हैं।

अगले चरण में इन दीदियों को दो लाख रुपए तक विभिन्न योजनाओं के माध्यम से सहायता दी जाएगी। किसानों को भी अब सालाना छह हजार की जगह नौ हजार रुपये दिए जाएंगे।” शाह ने यह भी घोषणा की कि अगले पांच वर्षों में बिहार की सभी बंद पड़ी चीनी मिलें दोबारा चालू की जाएंगी। समस्तीपुर की रैली में शाह ने कांग्रेस नेता राहुल गांधी पर भी निशाना साधा और आरोप लगाया कि उन्होंने कुछ महीने पहले ‘वोटर अधिकार यात्रा’ निकालकर ”घुसपैठियों को बचाने” की कोशिश की थी। उन्होंने कहा, ”राहुल गांधी जितनी यात्राएं निकालना चाहें निकाल लें, लेकिन हर एक घुसपैठिए को देश से बाहर किया जाएगा। मतदाता सूची का विशेष गहन पुनरीक्षण (एसआईआर) इसी उद्देश्य से किया गया है और हम निर्वाचन आयोग के देशव्यापी इस निर्णय का स्वागत करते हैं।” शाह ने सीतामढ़ी जिले के पुर्नौरा धाम परियोजना का भी जिक्र किया, जो माता सीता की जन्मस्थली मानी जाती है। उन्होंने बताया कि इस तीर्थस्थल के सौंदर्यीकरण पर 85 करोड़ रुपए खर्च किए जा रहे हैं और ”यह कार्य अगले दो वर्षों में पूरा कर लिया जाएगा।

बिहार में नहीं है ‘डबल इंजन’ सरकार, सब कुछ दिल्ली से नियंत्रित होता है: प्रियंका गांधी

कांग्रेस सांसद प्रियंका गांधी वाद्रा ने शनिवार को बिहार में बेरोजगारी और पलायन के मुद्दे पर राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (राजग) सरकार पर हमला करते हुए कहा कि राज्य में ”डबल इंजन की सरकार” नहीं है, क्योंकि ”सब कुछ दिल्ली से नियंत्रित किया जाता है।” बिहार विधानसभा चुनाव के मद्देनजर बेगूसराय में अपनी पहली चुनावी सभा को संबोधित करते हुए प्रियंका ने आरोप लगाया कि केंद्र और राज्य, दोनों जगह राजग की सरकारें ”विभाजनकारी राजनीति” और ”झूठे राष्ट्रवाद” का सहारा लेकर लोगों का ध्यान असली मुद्दों से भटकाने का प्रयास कर रही हैं। कांग्रेस सांसद ने कहा, ”मतदान का अधिकार भारतीय संविधान का सबसे बड़ा वरदान है, लेकिन राजग सरकार ने मतदाता सूची के विशेष गहन पुनरीक्षण (एसआईआर) के जरिए लोगों के वोट का अधिकार कमजोर कर दिया, जिसमें 65 लाख मतदाताओं के नाम मतदाता सूची से हटा दिए गए।

उन्होंने कहा, ”बिहार में कोई डबल इंजन सरकार नहीं है, बल्कि एक ही इंजन है… सब कुछ दिल्ली से नियंत्रित किया जाता है। न तो आपकी सुनी जाती है और न ही आपके मुख्यमंत्री नीतीश कुमार का सम्मान होता है।” प्रियंका ने मतदाता सूची की समीक्षा प्रक्रिया को लेकर भाजपा पर निशाना साधते हुए कहा कि ”मतदाताओं के नाम हटाना लोगों के अधिकारों का हनन है।” कांग्रेस सांसद ने आरोप लगाया, ”पहले उन्होंने लोगों को बांटा, फिर लड़ाई करवाई, लेकिन जब जनता का ध्यान असली मुद्दों से नहीं हटा सके, तो अब वोट चुराने की कोशिश कर रहे हैं।” उन्होंने सवाल किया, ”जब शीर्ष राजग नेता यहां आते हैं, तो क्या बात करते हैं? या तो 20 साल आगे की बातें करते हैं या फिर बीते जमाने की। नेहरू जी, इंदिरा जी की आलोचना करते हैं, लेकिन बेरोजगारी और पलायन जैसे मुद्दों पर कुछ नहीं कहते।’

प्रियंका ने कहा, ”मैं भी अतीत की बात करती हूं – कारखाने किसने लगाए? आईआईटी और आईआईएम किसने स्थापित किए? इसका उत्तर है – कांग्रेस और नेहरू जी।” प्रियंका ने आरोप लगाया कि राजग सरकार ”विभाजनकारी राजनीति और झूठे राष्ट्रवाद” का इस्तेमाल करके चुनाव जीतने की कोशिश कर रही है और जनता का ध्यान वास्तविक समस्याओं से हटा रही है। उन्होंने कहा कि बिहार ने देश के विकास में बहुत योगदान दिया, लेकिन इस राज्य को जितना विकसित होना चाहिए था, उतना नहीं हुआ। कांग्रेस सांसद ने जनता से अपील की, ”सरकार के झूठे वादों में मत फंसिए।” प्रियंका ने राजग शासन में निजीकरण बढ़ने का आरोप लगाते हुए कहा, ”प्रधानमंत्री ने बड़े सार्वजनिक उपक्रमों को अपने उद्योगपति मित्रों को सौंप दिया है।

ताजिकिस्तान में वायुसेना अड्डा छोड़ना भारत की सामरिक कूटनीति के लिए झटका: कांग्रेस

कांग्रेस ने शनिवार को कहा कि भारत द्वारा ताजिकिस्तान के आयनी वायु सैन्य अड्डे पर अपना अभियान समाप्त करना देश की सामरिक कूटनीति के लिए “एक और झटका” है। पार्टी महासचिव जयराम रमेश ने ‘एक्स’ पर लिखा, “भारत ने 2000 के दशक की शुरुआत में ताजिकिस्तान में अपना आयनी वायुसेना अड्डा स्थापित किया था। इसके बाद वहां बुनियादी ढांचे का विस्तार किया गया। इसके असाधारण स्थान को देखते हुए भारत के पास आयनी में अपनी उपस्थिति का विस्तार करने की प्रमुख योजनाएं थीं। उन्होंने कहा कि चार साल पहले भारत को साफ संदेश दे दिया गया था कि उसे धीरे-धीरे हटना होगा। रमेश ने दावा किया, अब ऐसा प्रतीत होता है कि भारत ने अंततः उस अड्डे को बंद कर दिया है।

निःसंदेह यह हमारी सामरिक कूटनीति के लिए एक और झटका है। उन्होंने कहा, “संयोग से, आयनी राजधानी दुशांबे से लगभग 10 किमी दूर है जहां एक अद्भुत संग्रहालय है। वहां की सबसे आकर्षक और उल्लेखनीय प्रदर्शनियों में से एक निर्वाण बुद्ध है, जो 1500 वर्ष से अधिक पुराना माना जाता है।” द्विपक्षीय समझौते के समाप्त होने के बाद भारत ने ताजिकिस्तान के आयनी में एक रणनीतिक हवाई अड्डे पर अपना अभियान समाप्त कर दिया है। इस घटनाक्रम से अवगत अधिकारियों ने यह जानकारी दी। उन्होंने बताया कि हवाई अड्डा के विकास और संयुक्त संचालन से संबंधित भारत और ताजिकिस्तान की सरकारों के बीच का समझौता लगभग चार साल पहले समाप्त हो गया था।

आरएमएल अस्पताल में सुविधाओं की अनुपलब्धता के आरोप वाली याचिका पर अस्पताल से जवाब तलब

दिल्ली उच्च न्यायालय ने राम मनोहर लोहिया (आरएमएल) अस्पताल में उचित चिकित्सा सुविधाओं की अनुपलब्धता का मुद्दा उठाने वाली एक याचिका पर अस्पताल के अधिकारियों से जवाब तलब किया है। उच्च न्यायालय ने अस्पताल के चिकित्सा अधीक्षक को एचआईवी जैसे घातक संक्रमणों का पता लगाने के लिए किए जाने वाले ‘न्यूक्लिक एसिड टेस्ट’ (एनएटी) और अस्पताल में आवश्यक दवाओं की अनुपलब्धता के संबंध में याचिकाकर्ता की शिकायत पर एक हलफनामा दायर करने को कहा।

न्यायमूर्ति प्रतिभा एम सिंह और न्यायमूर्ति मनमीत प्रीतम सिंह अरोड़ा की पीठ ने कहा, “वकील प्रतिवादी संख्या तीन (आरएमएल अस्पताल और अटल बिहारी वाजपेयी आयुर्विज्ञान संस्थान के निदेशक) एवं चार (आरएमएल अस्पताल के चिकित्सा अधीक्षक) से निर्देश लें और अगली सुनवाई पर एनएटी जांच और आवश्यक दवाओं की अनुपलब्धता के संबंध में याचिकाकर्ता की विशिष्ट शिकायत पर अपना पक्ष रखें।” अदालत ने कहा, “आरएमएल अस्पताल के चिकित्सा अधीक्षक द्वारा एक विशिष्ट हलफनामा दायर किया जाएगा।” अदालत ने मामले की अगली सुनवाई 17 दिसंबर के लिए निर्धारित कर दी। पीठ, गैर सरकारी संगठन ‘कुटुंब’ की एक याचिका पर सुनवाई कर रही थी।

याचिका में केंद्र सरकार और आरएमएल अस्पताल के अधिकारियों को अस्पताल एवं अटल बिहारी वाजपेयी आयुर्विज्ञान संस्थान (एबीवीआईएमएस) में गरीब एवं जरूरतमंद मरीजों के लिए आवश्यक दवाओं, जीवन रक्षक दवाओं और यहां तक कि रक्तदान संबंधी सुविधाओं की निर्बाध उपलब्धता सुनिश्चित करने के लिए आवश्यक कदम उठाने का निर्देश देने का अनुरोध किया गया था। याचिकाकर्ता संगठन का प्रतिनिधित्व कर रहे अधिवक्ता रुद्र विक्रम सिंह ने दावा किया कि मीडिया में प्रसारित खबरों के अनुसार, आरएमएल अस्पताल में रक्तदान संबंधी कार्य अनिवार्य एनएटी के बिना किया जा रहा है। याचिका में कहा गया कि एनएटी एक महत्वपूर्ण सुरक्षा प्रक्रिया है, जिसे एचआईवी और ‘हेपेटाइटिस बी’ और ‘सी’ जैसे घातक संक्रमणों का पता लगाने के लिए तैयार किया गया है।

याचिका में आरोप लगाया गया, “अस्पताल की अर्ध-स्वचालित एनएटी मशीन नवंबर 2024 से कथित तौर पर खराब पड़ी है और तब से केवल नियमित सीरोलॉजी परीक्षण ही किए जा रहे हैं। इससे हजारों मरीजों को जानलेवा बीमारियों के गंभीर खतरे का सामना करना पड़ रहा है, जिनमें थैलेसीमिया के मरीज भी शामिल हैं।” याचिका में बताया गया कि आवश्यक दवाओं की अनुपलब्धता एवं आपूर्ति में कमी और गरीब मरीजों को बाहर से अत्यधिक कीमतों पर दवाएं खरीदने के लिए मजबूर करना, सरकारी अस्पताल के मूल उद्देश्य को विफल करता है और आर्थिक रूप से कमजोर वर्गों को स्वास्थ्य सेवा तक पहुंच से वंचित करता है।