नई दिल्ली। उच्चतम न्यायालय सोमवार को कथित दिल्ली आबकारी नीति घोटाले से संबंधित धनशोधन मामले में हैदराबाद के व्यवसायी अभिषेक बोइनपल्ली की जमानत याचिका पर सुनवाई करेगा। वाद सूची के अनुसार न्यायमूर्ति एम. एम. सुन्दरेश और न्यायमूर्ति अरविंद कुमार की पीठ द्वारा इस मामले पर सुनवाई किये जाने की संभावना है। उच्चतम न्यायालय ने 13 अगस्त को बोइनपल्ली की अंतरिम जमानत अवधि बढ़ा दी थी। उच्चतम न्यायालय ने 20 मार्च को कहा था कि व्यवसायी 18 महीने से हिरासत में है और उसे पांच सप्ताह के लिए अंतरिम जमानत पर रिहा करने का निर्देश दिया था। तब से बोइनपल्ली की अंतरिम जमानत को समय-समय पर उच्चतम न्यायालय द्वारा बढ़ाया जाता रहा है। अंतरिम जमानत देते हुए उच्चतम न्यायालय ने बोइनपल्ली को अपना पासपोर्ट जमा करने को कहा था और हैदराबाद की यात्रा के अलावा राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र से बाहर न जाने का निर्देश दिया था। व्यवसायी ने दिल्ली उच्च न्यायालय के तीन जुलाई, 2023 के आदेश को चुनौती दी है जिसमें 2022 में उसकी गिरफ्तारी की वैधता पर सवाल उठाने संबंधी याचिका को खारिज कर दिया गया था।
व्यवसायी ने धनशोधन निवारण (पीएमएलए) की धारा 19 का पालन न करने के आधार पर उच्च न्यायालय के समक्ष अपनी गिरफ्तारी को चुनौती दी थी, जो गिरफ्तारी की प्रक्रिया से संबंधित है। पीएमएलए की धारा 19, प्रवर्तन निदेशालय के अधिकृत अधिकारियों को उनके पास उपलब्ध सामग्री के आधार पर लोगों को गिरफ्तार करने का अधिकार देती है। दिल्ली सरकार ने 2021-22 के लिए आबकारी नीति 17 नवंबर, 2021 को लागू की थी लेकिन भ्रष्टाचार के आरोपों के बीच सितंबर, 2022 के अंत में इसे रद्द कर दिया था। केंद्रीय अन्वेषण ब्यूरो (सीबीआई) और ईडी के अनुसार आबकारी नीति को संशोधित करते समय अनियमितताएं की गईं और लाइसेंस धारकों को अनुचित लाभ पहुंचाया गया। धनशोधन का यह मामला सीबीआई द्वारा दर्ज की गई प्राथमिकी से सामने आया है। यह प्राथमिकी दिल्ली के उपराज्यपाल वी. के. सक्सेना द्वारा आबकारी नीति के क्रियान्वयन में कथित अनियमितताओं की जांच की सिफारिश के बाद दर्ज की गई थी। यह दावा किया गया है कि बोइनपल्ली गुप्त बैठकों का हिस्सा था और शराब का कारोबार करने वाले एक अन्य आरोपी समीर महेंद्रू के साथ धन शोधन की साजिश में शामिल थे।