लोगों को मिलावटी खाद्य उत्पाद का उपभोग करने को मजबूर नहीं किया जा सकता : दिल्ली हाईकोर्ट

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दिल्ली उच्च न्यायालय ने मंगलवार को उपयोग अवधि बीत गए खाद्य उत्पादों की बिक्री पर चिंता जताई जिन्हें नये पैकेज एवं ब्रांड और नयी प्रयोग अवधि की तारीख के साथ बाजार में उतारा जाता है। उन्होंने कहा कि लोगों को ‘मिलावटी’ खाद्य उत्पाद का उपभोग करने को मजबूर नहीं किया जा सकता है। उच्च न्यायालय ने कहा कि किसी को भी उपयोग अवधि समाप्त हो चुकी वस्तुएं बेचने की इजाजत नहीं दी जा सकती और यह व्यवसाय नहीं हो सकता। मुख्य न्यायाधीश मनमोहन और न्यायमूर्ति तुषार राव गेडेला की पीठ ने कहा, ”दिल्ली में लोगों को मिलावटी भोजन नहीं मिलना चाहिए। हमें सुझाव दीजिए कि इससे कैसे निपटा जा सकता है।” पीठ एक जनहित याचिका पर सुनवाई कर रही थी, जो उपयोग अवधि समाप्त हो चुके उत्पादों को नई उपयोग अवधि तिथियों के साथ पुनः पैक किए जाने के कई मामले सामने आने के बाद स्वतः संज्ञान लेकर शुरू की गयी है। अधिवक्ता श्वेताश्री मजूमदार बतौर न्याय मित्र न्यायालय की सहायता कर रही हैं।

उन्होंने अपनी रिपोर्ट जमा की और सुझाव दिया कि सभी पैक किए गए खाद्य पदार्थों के लिए निर्माताओं द्वारा एक क्यूआर कोड तैयार किया जा सकता है, जिससे उत्पादों की मूल समाप्ति तिथियों को ट्रैक करने में मदद मिलेगी। उन्होंने कहा कि इस मुद्दे से निपटने के लिए कानून पहले से ही मौजूद है, लेकिन उल्लंघन के लिए निर्धारित दंड भयभीत करने वाला नहीं हैं और अधिक निवारक सुनिश्चित करने के लिए उन पर पुनर्विचार किया जाना चाहिए। न्यायमित्र ने कहा, ”खाद्य व्यवसाय संचालकों को सभी खाद्य उत्पादों को एक अद्वितीय वर्ण संख्या आधारित कोड या एक क्यूआर कोड के साथ चिह्नित करने का निर्देश दिया जाना चाहिए, जिसे एक केंद्रीकृत डेटाबेस के द्वारा एफएसएसएआई प्रतिनिधि द्वारा जांच की जा सके। इससे किसी उत्पाद की बैच संख्या और उपयोग तिथि तुरंत और मौके पर ही पता चल जाएगी ताकि यह पता लगाने के लिए परीक्षण और नमूना लेने की आवश्यकता न पड़े कि लेबल पर समाप्ति तिथि और अन्य जानकारी के साथ छेड़छाड़ की गई है या नहीं।”

उन्होंने कहा कि यह कुछ निश्चित दवा उत्पादों की ‘ट्रैकिंग और ट्रेसिंग’ के लिए केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय द्वारा लगाए गए अनिवार्य क्यूआर कोड की आवश्यकता के समान होगा और उल्लंघनकर्ताओं के खिलाफ त्वरित कार्रवाई करने में सहायता करेगा। अदालत ने अधिकारियों से सुझाव देने को कहा कि वे नमूना संग्रहण और परीक्षण को बढ़ाने की किस प्रकार योजना बना रहे हैं। पीठ ने दिल्ली पुलिस को मामले में ताजा स्थिति रिपोर्ट दाखिल करने का निर्देश दिया। कुछ कथित जालसाज जो उपयोग अवधि समाप्त हो चुकी चॉकलेट को दोबारा पैक करके बेचते पाए गए थे, को अगली सुनवाई पर व्यक्तिगत रूप से अदालत में उपस्थित होने को कहा। पीठ ने कथित जालसाजों का पक्ष रख रहे वकील से कहा, ”आप उपयोग अवधि समाप्त हो चुके खाद्य पदार्थ नहीं बेच सकते। यह व्यवसाय नहीं हो सकता। अपने मुवक्किलों से कहें कि वे अगली बार व्यक्तिगत रूप से अदालत में उपस्थित रहें।” अदालत ने इससे पहले केंद्र सरकार, दिल्ली सरकार, भारतीय खाद्य सुरक्षा एवं मानक प्राधिकरण (एफएसएसएआई) और दिल्ली पुलिस को नोटिस जारी कर मामले पर जवाब मांगा था। न्यायमूर्ति प्रतिभा एम सिंह द्वारा मामले को न्यायिक पक्ष में विचार हेतु खंडपीठ को भेजे जाने के बाद स्वत: संज्ञान लेकर जनहित याचिका शुरू की गई।