नई दिल्ली। दिल्ली उच्च न्यायालय ने आम आदमी पार्टी (आप) सरकार से भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) विधायकों की उस याचिका पर मंगलवार को जवाब मांगा जिसमें शराब शुल्क, प्रदूषण और वित्त से संबंधित कैग की 12 रिपोर्ट विधानसभा के समक्ष पेश करने का निर्देश दिए जाने का अनुरोध किया गया है। न्यायमूर्ति संजीव नरूला ने इसके बाद दिल्ली सरकार, विधानसभा अध्यक्ष कार्यालय, उपराज्यपाल, भारत के नियंत्रक एवं महालेखा परीक्षक (कैग) और दिल्ली के महालेखाकार (लेखा परीक्षा) को नोटिस जारी किया। मामले में आगे की सुनवाई नौ दिसंबर को होगी। दिल्ली विधानसभा में विपक्ष के नेता विजेंद्र गुप्ता ने अन्य भाजपा विधायकों मोहन सिंह बिष्ट, ओम प्रकाश शर्मा, अजय कुमार महावर, अभय वर्मा, अनिल कुमार बाजपेयी और जितेंद्र महाजन के साथ मिलकर याचिका दायर की है।
सुनवाई के दौरान सांसदों का प्रतिनिधित्व कर रहे वकील ने कुछ ”जरूरी कारणों” से सुनवाई जल्द किए जाने का अनुरोध किया। हालांकि, प्रतिवादियों में से एक की ओर से पेश वकील ने दावा किया कि यह याचिका राजनीतिक मकसद से दायर की गई है। याचिका में दावा किया गया है कि 2017-2018 से 2021-2022 तक की कैग रिपोर्ट मुख्यमंत्री आतिशी के पास लंबित हैं और उपराज्यपाल के बार-बार अनुरोध करने के बावजूद दस्तावेज विधानसभा में पेश करने के लिए उनके पास नहीं भेजे गए हैं। आतिशी के पास वित्त विभाग भी है। अधिवक्ताओं नीरज और सत्य रंजन स्वैन द्वारा दायर याचिका में कहा गया है कि पूर्व में भाजपा विधायकों ने इस संबंध में मुख्यमंत्री, मुख्य सचिव और विधानसभा अध्यक्ष से संपर्क किया था लेकिन आज तक कोई कार्रवाई नहीं की गई। इसमें कहा गया है, ”महत्वपूर्ण जानकारी को जानबूझकर दबाना न केवल लोकतांत्रिक सिद्धांतों का उल्लंघन है बल्कि सरकारी कार्रवाई और व्यय की उचित जांच को भी रोकता है जिससे सरकार के वित्तीय स्वामित्व, पारदर्शिता और जवाबदेही पर गंभीर सवाल उठते हैं।