एलएसी के कुछ इलाकों से सैनिकों की वापसी की प्रक्रिया “लगभग पूरी” हो चुकी है: राजनाथ सिंह

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रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने बृहस्पतिवार को कहा कि भारत और चीन के बीच बनी सहमति के आधार पर वास्तविक नियंत्रण रेखा (एलएसी) के कुछ इलाकों में सैनिकों की वापसी की प्रक्रिया “लगभग पूरी” हो गई है। तवांग में सरदार वल्लभभाई पटेल की प्रतिमा का अनावरण और मेजर रालेंगनाओ ‘बॉब’ खटिंग वीरता संग्रहालय का उद्घाटन करते हुए सिंह ने एलएसी के कुछ इलाकों में जमीनी स्थिति को बहाल करने के लिए भारत और चीन के बीच बनी व्यापक सहमति का जिक्र किया। उन्होंने कहा, “भारत और चीन एलएसी के कुछ इलाकों में मतभेदों को दूर करने के लिए कूटनीतिक और सैन्य दोनों स्तरों पर बातचीत कर रहे हैं। बातचीत के परिणामस्वरूप समान और आपसी सुरक्षा के आधार पर व्यापक सहमति बनी है। इस सहमति में पारंपरिक इलाकों में गश्त के अधिकार शामिल हैं।

उन्होंने कहा, इस सहमति के आधार पर सैनिकों की वापसी की प्रक्रिया लगभग पूरी हो गई है। हमारा प्रयास सैनिकों की वापसी से आगे इस मामले को ले जाने का होगा, लेकिन इसके लिए हमें थोड़ा और इंतजार करना होगा।” खराब मौसम के कारण तवांग की यात्रा नहीं कर सके सिंह ने डिजिटल माध्यम से असम के तेजपुर से पटेल की प्रतिमा का अनावरण और संग्रहालय का उद्घाटन किया। रक्षा मंत्री ने फरवरी 1951 में मैकमोहन रेखा (भारत-चीन सीमा रेखा) तक भारतीय प्रशासन की स्थापना में मेजर बॉब खटिंग की महत्वपूर्ण भूमिका को याद किया और तवांग के रणनीतिक महत्व पर प्रकाश डाला। उन्होंने कहा, “मेजर खटिंग ने न केवल तवांग के भारत में शांतिपूर्ण एकीकरण का नेतृत्व किया, बल्कि सशस्त्र सीमा बल, नगालैंड सशस्त्र पुलिस और नगा रेजिमेंट समेत महत्वपूर्ण सैन्य और सुरक्षा ढांचे की भी स्थापना की। ‘वीरता संग्रहालय’ अब उनकी बहादुरी और दूरदर्शिता के लिए एक प्रतीक होगा, जो आने वाली पीढ़ियों को प्रेरित करेगा।

सिंह ने संग्रहालय के निर्माण में भारतीय सेना और स्थानीय निवासियों के योगदान की सराहना की। सिंह ने सरदार पटेल को भावभीनी श्रद्धांजलि अर्पित करते हुए स्वतंत्रता के बाद 560 से अधिक रियासतों को एकीकृत करने में उनकी महत्वपूर्ण भूमिका का जिक्र किया। उन्होंने कहा कि यह उपलब्धि एकीकृत भारत के लिए उनके अदम्य संकल्प और प्रतिबद्धता का प्रमाण है। उन्होंने कहा, “यह ‘देश का वल्लभ’ प्रतिमा लोगों को प्रेरित करेगी और उन्हें एकता की शक्ति तथा भारत जैसे विविधतापूर्ण राष्ट्र के निर्माण के लिए आवश्यक अटूट भावना की याद दिलाएगी।” कार्यक्रम में अरुणाचल प्रदेश के राज्यपाल लेफ्टिनेंट जनरल केटी परनायक (सेवानिवृत्त), मुख्यमंत्री पेमा खांडू, केंद्रीय मंत्री किरेन रीजीजू, मणिपुर के मुख्यमंत्री एन. बीरेन सिंह, थल सेना प्रमुख जनरल उपेंद्र द्विवेदी, पूर्वी कमान के ‘जीओसी-इन-सी’ लेफ्टिनेंट जनरल आरसी तिवारी, 4 कोर के जीओसी लेफ्टिनेंट जनरल गंभीर सिंह और अन्य अधिकारी मौजूद थे। एक आधिकारिक प्रवक्ता ने बताया कि तेजपुर से डिजिटल माध्यम से कार्यक्रम में भाग लेने के बाद रक्षा मंत्री बृहस्पतिवार को राष्ट्रीय राजधानी लौट गए। इसके साथ ही तेजपुर में स्थित गजराज कोर मुख्यालय का उनका दो दिवसीय दौरा समाप्त हो गया। रक्षा प्रवक्ता ने बताया कि सिंह का दौरा मूल रूप से अरुणाचल प्रदेश के तवांग के लिए निर्धारित था, लेकिन खराब मौसम के कारण वह सीमावर्ती राज्य का दौरा नहीं कर सके। उन्होंने बताया, “रक्षा मंत्री पूर्वाह्न करीब 11 बजे भारतीय वायुसेना के विमान से नयी दिल्ली लौट आए।