दिल्ली उच्च न्यायालय ने सोमवार को उस आदेश पर रोक लगा दी जिसमें घर खरीदारों से कथित तौर पर धोखाधड़ी से जुड़े एक मामले में पूर्व क्रिकेटर और भारतीय क्रिकेट टीम के वर्तमान मुख्य कोच और अन्य को बरी करने के फैसले को खारिज कर दिया गया था। न्यायमूर्ति मनोज कुमार ओहरी ने अंतरिम आदेश पारित किया और गंभीर की उस याचिका पर दिल्ली सरकार से जवाब मांगा जिसमें उन्होंने मामले में बरी किए जाने के एक मजिस्ट्रेटी अदालत के आदेश को रद्द करने के सत्र अदालत के फैसले को चुनौती दी थी। उच्च न्यायालय ने कहा कि विस्तृत आदेश बाद में जारी किया जाएगा।
सत्र अदालत ने 29 अक्टूबर के आदेश में कहा था कि मजिस्ट्रेटी अदालत का फैसला गंभीर के खिलाफ आरोपों पर फैसला करने में ‘उचित तरीके से विवेक का इस्तेमाल नहीं करना’ दर्शाता है। रियल इस्टेट कंपनियों रुद्र बिल्डवेल रियलिटी प्राइवेट लिमिटेड, एच आर इन्फ्रासिटी प्राइवेट लिमिटेड, यूएम आर्किटेक्चर्स और कांट्रेक्टर्स लिमिटेड तथा गंभीर के खिलाफ धोखाधड़ी का मामला दर्ज किया गया था। गंभीर कंपनियों के संयुक्त उपक्रम के निदेशक और ब्रांड अंबेसेडर थे।