27 साल बाद दिल्ली की सत्ता में भाजपा की वापसी, केजरीवाल, सिसोदिया सहित कई दिग्गज हारे

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दिल्ली विधानसभा चुनाव के लिए शनिवार को हुई मतगणना में भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) 27 साल बाद दिल्ली की सत्ता में वापसी कर चुकी है। वहीं आम आदमी पार्टी (आप) के संयोजक अरविंद केजरीवाल और पूर्व उपमुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया, मंत्री सौरभ भारद्वाज सहित सत्तारूढ़ दल के कई अन्य प्रमुख नेता चुनाव हार गए हैं। हालांकि, मुख्यमंत्री आतिशी मार्लेना कालकाजी विधानसभा सीट से जीत गई हैं। निर्वाचन आयोग के आंकड़ों के मुताबिक दोपहर एक बजे तक आए रुझानों में भाजपा दिल्ली की 70 में से 48 सीट पर निर्णायक बहुमत की ओर बढ़ती दिख रही है जबकि आप 22 सीट पर सिमटने के कगार पर है। एक बार फिर कांग्रेस राष्ट्रीय राजधानी में अपना खाता नहीं खोलती दिख रही है। अब तक के आंकड़ों के मुताबिक भाजपा को करीब 47 प्रतिशत जबकि आप को 43 प्रतिशत वोट मिले हैं।

केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने चुनाव परिणमों पर टिप्पणी करते हुए कहा कि दिल्ली की जनता ने झूठ, धोखे और भ्रष्टाचार के ‘शीशमहल’ को नेस्तनाबूत कर दिल्ली को ‘आप-दा’ मुक्त करने का काम किया है। उन्होंने ‘एक्स’ पर एक पोस्ट में कहा, ”दिल्ली ने वादाखिलाफी करने वालों को ऐसा सबक सिखाया है, जो देशभर में जनता के साथ झूठे वादे करने वालों के लिए मिसाल बनेगा। यह दिल्ली में विकास और विश्वास के एक नए युग का आरंभ है।” उन्होंने कहा, ”दिल्लीवासियों ने बता दिया कि जनता को बार-बार झूठे वादों से गुमराह नहीं किया जा सकता। जनता ने अपने वोट से गंदी यमुना, पीने का गंदा पानी, टूटी सड़कें, ओवरफ्लो होते सीवरों और हर गली में खुले शराब के ठेकों का जवाब दिया है।’

भाजपा की सरकार बनना सुनिश्चित होने के बाद मुख्यमंत्री पद के दावेदारों को लेकर भी कयासों का दौर आरंभ हो गया। इस दौड़ में नयी दिल्ली सीट पर केजरीवाल को हराने वाले प्रवेश वर्मा एक प्रमुख दावेदार बनकर उभरे हैं। भाजपा ने इस चुनाव में मुख्यमंत्री पद का उम्मीदवार घोषित नहीं किया था और प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के चेहरे को आगे रखा था। दिल्ली प्रदेश भाजपा के अध्यक्ष वीरेन्द्र सचदेवा ने कहा कि दिल्ली का अगला मुख्यमंत्री भाजपा का ही होगा और इस बारे में फैसला पार्टी का केंद्रीय नेतृत्व लेगा। मतगणना के रूझानों में निर्णायक बढ़त मिलते ही भाजपा मुख्यालय में समर्थकों ने जश्न की शुरुआत कर दी। समर्थकों ने ढोल बजाकर नृत्य किया और पार्टी के झंडे लहराए। भाजपा के चुनाव चिह्न कमल के ‘कटआउट’ पकड़े हुए समर्थकों ने एक-दूसरे को भगवा रंग भी लगाया।

दिल्ली में पांच फरवरी को हुए चुनाव में 1.55 करोड़ पात्र मतदाताओं में से 60.54 प्रतिशत ने मतदान किया था। सिसोदिया ने अपनी हार स्वीकार करते हुए उम्मीद जताई कि भाजपा लोगों के कल्याण के लिए काम करेगी। अन्ना आंदोलन से नेता के रूप में उभरे अरविंद केजरीवाल की आम आदमी पार्टी ने 2015 में 67 सीट जीतकर सरकार बनाई और 2020 में 62 सीट जीतकर सत्ता में धमाकेदार वापसी की थी। इसके पहले 2013 के अपने पहले चुनाव में आप ने 28 सीट जीती थीं लेकिन वह सत्ता से दूर रह गई थी। बाद में कांग्रेस के आठ विधायकों के समर्थन से केजरीवाल पहली बार दिल्ली के मुख्यमंत्री बने थे। भाजपा ने 1993 में दिल्ली में सरकार बनाई थी। उस चुनाव में उसे 49 सीट पर जीत मिली थी। इसके बाद 2020 तक हुए सभी चुनावों में उसे हार का सामना करना पड़ा। भाजपा 2015 के चुनाव में सिर्फ तीन सीट पर सिमट गई थी जबकि 2020 के चुनाव में उसके सीट की संख्या बढ़कर आठ हो गई थी।

वैकल्पिक और ईमानदार राजनीति के साथ भ्रष्टाचार पर प्रहार के दावे के साथ राजनीति में कदम रखने वाले केजरीवाल और उनकी आम आदमी पार्टी को इस चुनाव से पहले कई आरोपों का भी सामना करना पड़ा और उसके कई नेताओं को जेल भी जाना पड़ा। भाजपा ने शराब घोटाले से लेकर ‘शीशमहल’ बनाने जैसे आरोप लगाकर केजरीवाल और आप के कथित भ्रष्टाचार को इस चुनाव में मुख्य मुद्दा बनाया और प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने भी इन विषयों पर लगातार हमले किए। इन आरोपों के जरिए भाजपा ने केजरीवाल की ‘कट्टर ईमानदार’ वाली छवि पर प्रहार किया और इसे जनता के बीच विमर्श का मुद्दा बनाया और साथ ही विकास के कथित ‘केजरीवाल मॉडल’ को ‘आपदा’ बताकर इसके मुकाबले विकास का ‘मोदी मॉडल’ पेश किया। इसके तहत भाजपा ने जहां अपने संकल्प पत्र में मुफ्त बिजली, पानी सहित आप सरकार की अन्य कल्याणकारी योजनाओं को जारी रखने के अलावा महिलाओं को 2500 रुपये का मासिक भत्ता और 10 लाख रुपये तक का ‘मुफ्त’ इलाज सहित कई अन्य वादे किए थे।

कांग्रेस ने भी भ्रष्टाचार के मुद्दे पर केजरीवाल और आप को घेरने में कोई कसर नहीं छोड़ी। ज्ञात हो कि लोकसभा चुनाव में विपक्षी दलों ने ‘इंडियन नेशनल डेवलपमेंटल इनक्लूसिव अलायंस’ यानी ‘इंडिया’ का गठन किया था। कांग्रेस और आप ने गठबंधन के तहत दिल्ली में लोकसभा चुनाव लड़ा था लेकिन विधानसभा चुनाव में दोनों ने अलग-अलग चुनाव लड़ा। हरियाणा और महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव के बाद दिल्ली में भाजपा को मिली जीत इसलिए भी अहम है क्योंकि प्रधानमंत्री मोदी के नेतृत्व में लगातार तीन बार लोकसभा चुनाव जीतने वाली भाजपा तमाम कोशिशों के बावजूद यहां केजरीवाल से मात खा जाती थी। इसलिए, भाजपा ने चुनावी घोषणाओं के अलावा इस बार अपनी रणनीति में भी बदलाव किया और किसी चेहरे को आगे नहीं किया। पहले के चुनावों में भाजपा ने एक बार पूर्व आईपीएस अधिकारी किरण बेदी को और एक बार पूर्व केंद्रीय मंत्री हर्षवर्धन को मुख्यमंत्री पद का उम्मीदवार घोषित किया था।