सरकार ने मंगलवार को संसद में बताया कि भारत से यूरोपीय संघ (ईयू) को निर्यात किये गए चावल की खेपों में विषाक्त पदार्थ ‘एफ्लाटॉक्सिन’ की कुछ मात्रा पाई गई है, लेकिन आयातकों की आवश्यकताओं पर ध्यान दिया जा रहा है। लोकसभा में एक प्रश्न के लिखित उत्तर में वाणिज्य एवं उद्योग राज्य मंत्री जितिन प्रसाद ने कहा कि चावल में ‘एफ्लाटॉक्सिन बी1’ के अवशेष के अधिकतम स्तर (एमआरएल) को यूरोपीय संघ द्वारा हाल के दिनों में संशोधित नहीं किया गया है। उन्होंने कहा, ”भारत से यूरोपीय संघ को निर्यात किए गए चावल की खेपों में एफ्लाटॉक्सिन की कुछ मात्रा पाई गई है, हालांकि पिछले पांच वर्षों में तमिलनाडु और आंध्र प्रदेश के निर्यातकों द्वारा निर्यात किए गए चावल की खेपों में इसकी कोई मौजूदगी नहीं पाई गई है।
मंत्री ने कहा कि व्यापार आंकड़ों के अनुसार, 2019 और 2023 के बीच भारत से यूरोपीय संघ को चावल के निर्यात की मात्रा में 111 प्रतिशत की वृद्धि हुई है, जबकि इसी अवधि के दौरान गैर-बासमती चावल के निर्यात की मात्रा में 500 प्रतिशत की वृद्धि हुई है, जो अन्य एशियाई देशों की तुलना में अधिक है। प्रसाद ने कहा, ”भारत, यूरोपीय संघ सहित अन्य आयातक देशों की आवश्यकताओं पर ध्यान दे रहा है। हालांकि, ऐसे मामलों में, जहां कीटनाशकों के स्तर को काफी कम किया गया है, भारत ने द्विपक्षीय चर्चा के माध्यम से संबंधित देश और यूरोपीय संघ के साथ भी इस मुद्दे को उठाया है।
द्विपक्षीय चर्चाओं के माध्यम से समाधान न होने पर, विशिष्ट व्यापार चिंताएं (एसटीसी) विश्व व्यापार संगठन (डब्ल्यूटीओ) के समक्ष दर्ज कराई जाती हैं। उन्होंने एक अलग जवाब में कहा कि ओमान, ऑस्ट्रेलिया, ब्रिटेन और यूरोपीय संघ जैसे देशों के साथ मुक्त व्यापार समझौतों (एफटीए) के लिए बातचीत फिलहाल जारी है। एक अन्य जवाब में मंत्री ने कहा कि 2024-25 (अप्रैल-फरवरी) के दौरान भारत के जैविक (उत्पाद) निर्यात में 38 प्रतिशत की वृद्धि देखी गई है और इसका मूल्य 4,966 करोड़ रुपये है, जबकि 2023-24 के दौरान यह 4,007 करोड़ रुपये था।