नई दिल्ली। भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) ने पहलगाम आतंकी हमले पर कांग्रेस के कई नेताओं की विवादास्पद टिप्पणियों को लेकर सोमवार को मल्लिकार्जुन खरगे और राहुल गांधी से सवाल किया कि क्या राष्ट्रीय एकता का उनका आह्वान महज एक औपचारिकता थी। कांग्रेस के कुछ नेताओं ने पाकिस्तान के साथ युद्ध की आवश्यकता और आतंकवादियों द्वारा गैर-मुस्लिमों को निशाना बनाये जाने संबंधी पीड़ितों के बयान पर सवाल उठाये थे। पूर्व केंद्रीय मंत्री रविशंकर प्रसाद ने यहां संवाददाता सम्मेलन में समाजवादी पार्टी (सपा) प्रमुख अखिलेश यादव के उस बयान को लेकर आलोचना की, जिसमें उन्होंने कहा है कि वह शुभम द्विवेदी के शोक संतप्त परिजन से मिलने नहीं जाएंगे, क्योंकि उनसे उनका कोई नाता नहीं है। द्विवेदी उन 26 लोगों में शामिल हैं, जो 22 अप्रैल को जम्मू कश्मीर के पहलगाम में हुए आतंकी हमले में मारे गए थे। मृतकों में ज्यादातर पर्यटक थे। हालांकि, सपा प्रमुख ने कहा कि वह अपने पार्टी सदस्यों को कानपुर में रह रहे द्विवेदी के परिजन से मिलने के लिए कहेंगे। साथ ही, आरोप लगाया कि भाजपा शोक संतप्त लोगों को ऐसे मौकों पर कभी-कभी दुर्व्यवहार करने के लिए उकसाती है। प्रसाद ने कहा यह संवदेनहीनता की पराकाष्ठा है। उन्होंने कहा कि कुछ कांग्रेस नेताओं ने तो द्विवेदी की पत्नी सहित पहलगाम हमले के पीड़ितों के इन बयानों पर भी सवाल उठाया कि आतंकवादियों ने धर्म पूछकर गोली मारी थी। पूर्व केंद्रीय मंत्री ने कांग्रेस नेतृत्व पर निशाना साधने के लिए कर्नाटक के मुख्यमंत्री सिद्धरमैया, महाराष्ट्र में पार्टी के वरिष्ठ नेता विजय वडेट्टीवार, कर्नाटक के मंत्री आर बी तिम्मापुर तथा राहुल गांधी के बहनोई रॉबर्ट वाद्रा सहित पार्टी के कई नेताओं के नाम लिये। उन्होंने कहा, ”क्या राहुल गांधी और मल्लिकार्जुन खरगे का अपनी पार्टी पर कोई नियंत्रण नहीं है? या फिर उन दोनों ने औपचारिक टिप्पणियां कीं और दूसरों को अपनी मर्जी से बोलने की छूट दी?” प्रसाद ने कहा कि उनकी (कांग्रेस नेताओं की) टिप्पणियों का इस्तेमाल पाकिस्तान में, यहां तक कि वहां की मीडिया द्वारा भी भारत को बदनाम करने के लिए किया जा रहा है।
उन्होंने विपक्षी दल के नेतृत्व से पूछा कि क्या कांग्रेस के इन नेताओं को कोई हिदायत दी गई है या माफी मांगने को कहा गया है। उन्होंने कहा कि कांग्रेस अध्यक्ष खरगे और लोकसभा में नेता प्रतिपक्ष राहुल गांधी ने आतंकी हमले के बाद विचार किये जा रहे जवाबी कार्रवाई को लेकर सर्वदलीय बैठक में केंद्र सरकार को अपना समर्थन दिया था और कहा कि यह भारत के परिपक्व लोकतंत्र की ताकत को दर्शाता है। प्रसाद ने संवाददाताओं से कहा कि हालांकि, कई कांग्रेस नेताओं ने ऐसी टिप्पणियां की हैं जो एक पैटर्न का हिस्सा लगती हैं। उन्होंने आश्चर्य जताया कि क्या उनके (कांग्रेस) नेतृत्व ने हमले के मद्देनजर महज औपचारिकता निभाने के लिए प्रतिक्रिया व्यक्त की। उन्होंने कहा कि कांग्रेस की जम्मू कश्मीर इकाई के पूर्व अध्यक्ष सैफुद्दीन सोज ने सिंधु जल संधि को निलंबित करने के भारत के फैसले की आलोचना की, क्योंकि यह नदी पाकिस्तान की जीवन रेखा है।
भाजपा नेता ने कहा कि सोज ने भारत सरकार से पाकिस्तान के इस आधिकारिक दावे पर गौर करने को कहा है कि वह हमले में शामिल नहीं था। सिद्धरमैया ने पाकिस्तान के साथ युद्ध का विरोध किया और बाद में स्पष्ट किया कि यह अंतिम उपाय के रूप में ही अपनाया जाना चाहिए। उन्होंने कहा कि जब आतंकी हमले के बाद पूरी दुनिया भारत के साथ है, चाहे वह अमेरिका हो, फ्रांस हो या सऊदी अरब, (लेकिन) ये नेता इस तरह की शर्मनाक और गैर-जिम्मेदाराना टिप्पणी कर रहे हैं। प्रसाद ने प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के इस बयान को दोहराया कि पहलगाम हमले को अंजाम देने वालों और उनके साथ साजिश रचने वालों को कड़ी से कड़ी सजा दी जाएगी। उन्होंने कहा कि संवेदनहीनता की पराकाष्ठा यह है कि वडेट्टीवार और तिम्मापुर जैसे नेताओं ने कुछ पीड़ितों के इस बयान पर सवाल उठाये हैं कि आतंकवादियों ने गैर-मुसलमानों की पहचान की और फिर उन्हें गोली मार दी। वडेट्टीवार ने सवाल किया था कि क्या आतंकवादियों के पास पीड़ितों से उनके धर्म के बारे में पूछने का समय था।
तिम्मापुर ने भी यही बात कही थी। कुछ दिन पहले, वाद्रा ने आरोप लगाया था कि सरकार मुसलमानों को निशाना बना रही है और अपनी हिंदुत्व विचारधारा को बढ़ावा दे रही है। प्रसाद ने कहा कि जब देश को एक स्वर में बोलना चाहिए, कांग्रेस के कई नेता ऐसे गैर-जिम्मेदाराना बयान दे रहे हैं। उन्होंने कहा कि 26 नवंबर 2008 को मुंबई में हुए आतंकी हमले के दौरान वह भाजपा के मुख्य प्रवक्ता थे और उस समय केंद्र में कांग्रेस-नीत संयुक्त प्रगतिशील गठबंधन (संप्रग) सरकार थी। प्रसाद ने कहा कि भाजपा नेतृत्व ने उन्हें मनमोहन सिंह सरकार को पार्टी के समर्थन की पुष्टि करने का निर्देश दिया था।