शीर्ष अदालत ने दोषियों के राजनीतिक दल बनाने पर रोक की याचिका पर सुनवाई टाली

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नई दिल्ली। उच्चतम न्यायालय ने दोषी व्यक्तियों को राजनीतिक दल बनाने और उनमें पद धारण करने से रोकने के अनुरोध वाली याचिका पर सुनवाई 11 अगस्त तक टाल दी। प्रधान न्यायाधीश संजीव खन्ना और न्यायमूर्ति संजय कुमार की पीठ ने वकील अश्विनी उपाध्याय द्वारा दायर जनहित याचिका पर अंतिम सुनवाई से इनकार कर दिया। इसके बाद पीठ ने मामले की अंतिम सुनवाई के लिए 11 अगस्त की तारीख तय की और पक्षों को लिखित दलीलें दाखिल करने की अनुमति दी। साल 2017 में दायर जनहित याचिका में दोषी व्यक्तियों को अयोग्य ठहराए जाने की अवधि के दौरान राजनीतिक दल बनाने और पदाधिकारी बनने से रोकने का अनुरोध किया गया था।

पीठ ने पहले आश्चर्य जताया था कि चुनावी राजनीति से प्रतिबंधित दोषी व्यक्ति चुनाव में उम्मीदवार कैसे तय कर सकते हैं और सार्वजनिक जीवन में शुचिता कैसे बनाए रख सकते हैं? पीठ ने पूछा, ”यहां एक व्यक्ति है जो दोषी है और चुनाव लड़ने से अयोग्य घोषित है। वह चुनाव के लिए उम्मीदवार कैसे तय कर सकता है? लोकतंत्र की पवित्रता कैसे बनाए रखी जा सकती है?” याचिका में दावा किया गया है कि 40 प्रतिशत विधायक या तो दोषी ठहराए गए हैं या उन पर मुकदमा चल रहा है। इसमें कहा गया, ”इसीलिए विरोध हो रहा है। वे ईमानदारी नहीं चाहते।” शीर्ष अदालत ने 1 दिसंबर, 2017 को जनहित याचिका पर केंद्र और निर्वाचन आयोग से जवाब मांगा और जनप्रतिनिधित्व अधिनियम (आरपीए), 1951 (आरपीए) की धारा 29ए की संवैधानिक वैधता की जांच करने पर सहमति जताई, जो राजनीतिक दल को पंजीकृत करने की निर्वाचन आयोग की शक्ति से संबंधित है।