नई दिल्ली। दिल्ली उच्च न्यायालय ने सोमवार को आम आदमी पार्टी के पूर्व पार्षद ताहिर हुसैन की उस याचिका पर पुलिस से जवाब मांगा, जिसमें फरवरी 2020 में उत्तर-पूर्वी दिल्ली में हुए दंगों के दौरान आईबी अधिकारी अंकित शर्मा की हत्या से संबंधित एक मामले में नियमित जमानत की मांग की गई है। न्यायमूर्ति नीना बंसल कृष्णा ने हुसैन की याचिका पर पुलिस को नोटिस जारी किया। न्यायाधीश ने कहा, “नोटिस जारी करें। तीन सप्ताह में वस्तु स्थिति रिपोर्ट सौंपें।” उन्होंने मामले की सुनवाई जुलाई में तय कर दी। अधिवक्ता तारा नरूला के माध्यम से दायर याचिका में कहा गया है कि हुसैन पहले ही पांच साल से अधिक का समय जेल में बिता चुके हैं और मुकदमे में तेजी लाने के लिए निचली अदालत के “सर्वोत्तम प्रयासों” के बावजूद, इसके पूरा होने में समय लग सकता है।
याचिका में कहा गया है कि निचली अदालत ने 12 मार्च को उनकी जमानत याचिका को गलती से खारिज कर दिया था और कथित घटना में किसी भी तरह की संलिप्तता दिखाने के लिए कोई विश्वसनीय सबूत नहीं था। याचिका में दावा किया गया है, “वर्तमान मामले में आवेदक के खिलाफ आरोप उकसाने वाले का है। पांच कथित चश्मदीद गवाहों में से तीन गवाहों ने आवेदक को दोषमुक्त कर दिया है और स्पष्ट रूप से कहा है कि उन्होंने उन्हें घटना के समय घटनास्थल पर नहीं देखा था। दो गवाह अभियोजन पक्ष के मामले का समर्थन करते हैं, उनके बयान आपस में विरोधाभासी हैं और उनकी गवाही में कोई विश्वास नहीं जगाते हैं और किसी भी तरह से उन्हें विश्वसनीय नहीं माना जा सकता है।” इसमें कहा गया है, “पुलिस गवाहों की गवाही में भी काफी विरोधाभास हैं और आवेदक के खिलाफ विश्वसनीय सबूत के रूप में उन पर भरोसा नहीं किया जा सकता है।
अभियोजन पक्ष के अनुसार, 26 फरवरी, 2020 को शिकायतकर्ता रविंदर कुमार ने दयालपुर पुलिस थाने के अधिकारियों को सूचित किया कि उनका बेटा अंकित शर्मा (जो खुफिया ब्यूरो में तैनात था) 25 फरवरी, 2020 से लापता है। बाद में उन्हें कुछ स्थानीय लोगों से पता चला कि एक व्यक्ति की हत्या करने के बाद उसे चांद बाग पुलिया स्थित मस्जिद से खजूरी खास नाले में फेंक दिया गया था। अभियोजन पक्ष ने आरोप लगाया कि शर्मा का शव खजूरी खास नाले से बरामद किया गया था और उसके शरीर पर चोटों के 51 निशान थे। हुसैन इस मामले में आरोपियों में से एक हैं। अभियोजन पक्ष के अनुसार, चार आरोपी व्यक्ति भी हिंसक भीड़ का हिस्सा थे, जो दंगा और आगजनी की घटनाओं में शामिल थी, जिसमें शर्मा की मौत हो गई। नागरिकता कानून समर्थकों और प्रदर्शनकारियों के बीच हिंसा के नियंत्रण से बाहर होने के बाद 24 फरवरी, 2020 को पूर्वोत्तर दिल्ली में सांप्रदायिक झड़पें हुईं, जिसमें कम से कम 53 लोग मारे गए और कई अन्य घायल हो गए।