अभिषेक उपाध्याय। दिल्ली की राजनीति में आम आदमी पार्टी (आप) के लिए नियंत्रक और महालेखा परीक्षक (CAG) की रिपोर्ट एक बड़ी चुनौती बनकर सामने आ सकती है। यह रिपोर्ट सरकार के वित्तीय प्रबंधन, खर्च और योजनाओं के क्रियान्वयन से जुड़ी कई गंभीर अनियमितताओं की ओर इशारा करती है। यदि इन आरोपों की पुष्टि होती है, तो यह न केवल पार्टी की साख को नुकसान पहुंचा सकती है, बल्कि राजनीतिक भविष्य पर भी असर डाल सकती है।
आप ने अपने गठन के बाद से पारदर्शिता और भ्रष्टाचार-मुक्त शासन का दावा किया था। लेकिन अब सीएजी की टिप्पणियां उसी वादे पर सवाल खड़े करती दिखाई दे रही हैं। रिपोर्ट में कथित रूप से विज्ञापन खर्च, शिक्षा और स्वास्थ्य योजनाओं के फंड उपयोग तथा सार्वजनिक धन के दुरुपयोग जैसे मामलों का उल्लेख है। ये वही क्षेत्र हैं जिन पर आम आदमी पार्टी ने अपनी राजनीतिक पहचान बनाई थी।
विपक्षी दलों ने इस रिपोर्ट को हाथों-हाथ लेते हुए आप सरकार पर निशाना साधा है। भाजपा और कांग्रेस दोनों ही इसे “जनता के विश्वास से खिलवाड़” बता रही हैं। वहीं, आप ने रिपोर्ट को “राजनीतिक रूप से प्रेरित” करार देते हुए बचाव की कोशिश की है।
राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि यदि रिपोर्ट में बताए गए बिंदुओं पर ठोस कार्रवाई होती है, तो इसका असर आगामी चुनावों पर पड़ सकता है। पार्टी की “ईमानदार राजनीति” की छवि को सबसे बड़ा झटका लग सकता है।
कुल मिलाकर, सीएजी रिपोर्ट आम आदमी पार्टी के लिए एक गंभीर परीक्षा की घड़ी साबित हो सकती है। यह देखना दिलचस्प होगा कि पार्टी इन आरोपों से कैसे निपटती है—क्या वह अपनी पारदर्शिता की छवि को बचा पाएगी या यह रिपोर्ट उसके राजनीतिक भविष्य के लिए मुसीबत का सबब बन जाएगी।

