दिल्ली में प्रदूषण से घट रही है लोगों की आयु

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अभिषेक उपाध्याय। दिल्ली एक बार फिर से दमघोंटू हवा में जीने को मजबूर है। हर साल सर्दी की शुरुआत के साथ ही राजधानी की हवा जहरीली हो जाती है और इस बार भी हालात अलग नहीं हैं। हाल के अध्ययनों से यह स्पष्ट हो गया है कि दिल्ली में प्रदूषण का स्तर इतना गंभीर हो चुका है कि यह न सिर्फ बीमारियों का कारण बन रहा है, बल्कि लोगों की औसत आयु भी घटा रहा है।

अमेरिका की शिकागो यूनिवर्सिटी के एनर्जी पॉलिसी इंस्टीट्यूट की एक रिपोर्ट के अनुसार, दिल्ली के लोग वायु प्रदूषण के कारण औसतन 11 साल तक कम जी रहे हैं। रिपोर्ट बताती है कि दिल्ली की हवा में पीएम 2.5 कणों की मात्रा विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) की तय सीमा से करीब 20 गुना ज्यादा है। ये सूक्ष्म कण फेफड़ों में जाकर गंभीर बीमारियां पैदा करते हैं जैसे — अस्थमा, हृदय रोग, कैंसर और स्ट्रोक।

दिल्ली सरकार, केंद्र सरकार और न्यायालय के निर्देशों के बावजूद, प्रदूषण पर नियंत्रण नहीं हो पा रहा है। पराली जलाने, वाहनों के धुएं, निर्माण कार्यों की धूल और औद्योगिक उत्सर्जन ने मिलकर हवा को जहर बना दिया है। हर साल “ग्रेडेड रिस्पॉन्स एक्शन प्लान (GRAP)” लागू किया जाता है, स्कूल बंद किए जाते हैं, लेकिन राहत अस्थायी ही रहती है।

विशेषज्ञों का कहना है कि अगर प्रदूषण को नियंत्रित नहीं किया गया तो आने वाले वर्षों में दिल्ली स्वास्थ्य आपातकाल की स्थिति में पहुंच सकती है। अब समय आ गया है कि सरकारें सख्त कदम उठाएं, प्रदूषण फैलाने वाले स्रोतों पर कठोर कार्रवाई करें और नागरिक भी अपनी जिम्मेदारी समझें। स्वच्छ हवा कोई विलासिता नहीं, बल्कि एक बुनियादी अधिकार है — और इसे बचाना हम सभी का कर्तव्य है।