नई दिल्ली। केंद्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने बुधवार को कहा कि अगली पीढ़ी के जीएसटी सुधार भारत को आत्मनिर्भर बनाने की दिशा में एक कदम हैं और केंद्र सरकार आने वाले हफ्तों में इस पर राज्यों के साथ आम सहमति बनाने का प्रयास करेगी। सीतारमण ने माल एवं सेवा कर (जीएसटी) में सुधारों पर गठित राज्यों के मंत्रियों के समूहों (जीओएम) के साथ मुलाकात में कहा कि जीएसटी सुधारों पर केंद्र का प्रस्ताव संरचनात्मक सुधार, दरों को युक्तिसंगत बनाने और जीवन को आसान बनाने के तीन स्तंभों पर आधारित है। जीएसटी दरों को युक्तिसंगत बनाने, बीमा पर कराधान और क्षतिपूर्ति उपकर पर बने मंत्री समूहों ने जीएसटी प्रणाली में व्यापक सुधारों के प्रस्ताव को लेकर सीतारमण के साथ मुलाकात की। बैठक के दौरान सीतारमण ने इस बात पर ज़ोर दिया कि केंद्र सरकार का यह प्रस्ताव देश के आत्मनिर्भर बनने की यात्रा में अगली पीढ़ी के जीएसटी सुधारों की शुरुआत करने के दृष्टिकोण से है।
तीनों मंत्री समूह दो दिन तक केंद्र के ‘अगली पीढ़ी’ के जीएसटी सुधारों पर विचार-विमर्श करेंगे, जिसके तहत पांच और 18 प्रतिशत की सिर्फ दो दरें ही प्रस्तावित की गई हैं। इसके अलावा विलासिता एवं नुकसानदेह उत्पादों पर 40 प्रतिशत कर की एक विशेष दर रखी गई है। वित्त मंत्रालय ने सोशल मीडिया मंच ‘एक्स’ पर पोस्ट में कहा, ”केंद्र सरकार सहकारी संघवाद की भावना के साथ जीएसटी सुधारों की अगली पीढ़ी को लागू करने के लिए आने वाले हफ्तों में राज्यों के साथ व्यापक सहमति बनाने के लिए प्रतिबद्ध है।” मौजूदा समय में पांच, 12, 18 और 28 प्रतिशत की दर से जीएसटी लगाया जाता है। खाद्य एवं आवश्यक वस्तुओं पर शून्य या पांच प्रतिशत कर लगता है। वहीं विलासिता एवं अहितकर वस्तुओं पर 28 प्रतिशत की दर से कर लगता है, जिसके ऊपर उपकर भी लगता है। सीतारमण ने मंत्री समूहों को लगभग 20 मिनट संबोधित किया जिसमें उन्होंने केंद्र की तरफ से रखे गए कर सुधार प्रस्ताव पर विस्तार से चर्चा की। इसमें कर दरों में कटौती और कारोबारियों के लिए अनुपालन बोझ को कम करने का प्रस्ताव है।
जीएसटी दर को युक्तिसंगत बनाने के लिए गठित मंत्री समूह को कर स्लैब एवं दरों में बदलाव और कुछ क्षेत्रों में शुल्क उलटफेर की समस्या खत्म करने का दायित्व सौंपा गया है। यह समूह 21 अगस्त को फिर बैठक करेगा। बीमा संबंधी मंत्री समूह स्वास्थ्य एवं जीवन बीमा प्रीमियम पर कर दर घटाने पर विचार कर रहा है जबकि क्षतिपूर्ति उपकर पर बना समूह ऋण भुगतान अवधि के बाद उपकर के भविष्य पर निर्णय लेगा। इन प्रस्तावों पर जीओएम की सहमति मिलने के बाद इन्हें अगले महीने जीएसटी परिषद की बैठक में रखा जाएगा। जीएसटी से संबंधित मामलों में नीतिगत निर्णय लेने का अधिकार जीएसटी परिषद के ही पास है। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने स्वतंत्रता दिवस के अपने संबोधन में दिवाली तक जीएसटी सुधार लागू करने की घोषणा की थी। एसबीआई रिसर्च की एक रिपोर्ट के मुताबिक, दर सुधारों का प्रस्ताव लागू होने पर सरकार को सालाना करीब 85,000 करोड़ रुपये राजस्व का नुकसान हो सकता है। चालू वित्त वर्ष में एक अक्टूबर से प्रस्तावित दरें लागू होने पर नुकसान 45,000 करोड़ रुपये रहने का अनुमान है। रिपोर्ट के मुताबिक, जीएसटी की प्रभावी औसत दर लागू होने के समय के 14.4 प्रतिशत से घटकर सितंबर, 2019 में 11.6 प्रतिशत रह गई और दर सरलीकरण के बाद यह 9.5 प्रतिशत तक आ सकती है।