नई दिल्ली। वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने शनिवार को कहा कि भारत को बेहतर विपक्षी नेताओं की जरूरत है। उन्होंने जीएसटी सुधारों को लेकर मोदी सरकार की आलोचना को “गलत जानकारी” पर आधारित और 2017 में एकीकृत अप्रत्यक्ष कर व्यवस्था लागू कराने वाले तथ्यों से अछूता करार दिया। सीतारमण ने ‘पीटीआई-भाषा’ को दिए साक्षात्कार में कांग्रेस पर निशाना साधते हुए कहा कि विपक्षी दल ने भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) नीत राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (राजग) सरकार पर माल एवं सेवा कर (जीएसटी) लागू होने के समय चार कर दर निर्धारित करने का आरोप लगाया था। वित्त मंत्री ने कहा कि चार कर दर रखने का फैसला भाजपा का नहीं था और न ही ऐसा था कि तत्कालीन केंद्रीय वित्त मंत्री अरुण जेटली अलग-अलग कर दर या किसी खास वस्तु पर जीएसटी दर तय कर रहे थे। उन्होंने कहा कि कांग्रेस शासित राज्यों के मंत्री भी इस फैसले में शामिल थे।
सीतारमण ने सवाल किया, “क्या उन्हें (विपक्ष को) इसकी जानकारी नहीं है?” जुलाई 2017 में जीएसटी के क्रियान्वयन से पहले चार जीएसटी दर तय करने में विपक्ष शासित राज्यों की भूमिका के बारे में बताते हुए सीतारमण ने कहा कि देश को पेड़ कटाई जैसे मुद्दों के खिलाफ व्यापक जन आंदोलन की तर्ज पर बेहतर विपक्ष और बेहतर विपक्षी नेताओं के लिए भी मुहिम चलाने की जरूरत है। वित्त मंत्री ने तीखी प्रतिक्रिया व्यक्त करते हुए कहा कि अगर विपक्षी नेता तथ्य पेश कर उन्हें गलत साबित कर दें, तो उन्हें माफी मांगने में कोई हिचकिचाहट नहीं होगी। सीतारमण ने कहा, “मुझमें कोई अहंकार नहीं है। मैं लोगों से माफी मांगने के लिए भी तैयार हूं। लेकिन वे (विपक्षी नेता) जो कह रहे हैं, वह बकवास है।
उन्होंने कहा, “कांग्रेस अब हरकत में आ गई है। अगर आप मुद्दे को नहीं समझते हैं, तो कम से कम आप चुप रह सकते हैं।” सीतारमण ने मुख्य विपक्षी दल को याद दिलाया कि राज्यों के वित्त मंत्रियों की एक अधिकार प्राप्त समिति ने ही जीएसटी लागू होने से पहले चार कर दर रखने का फैसला किया था। उन्होंने कहा कि 2017 से जीएसटी में क्या लागू किया जाना है, इसका खाका इसी समिति ने तैयार किया था। बुधवार को, केंद्र और राज्यों के वित्त मंत्रियों की भागीदारी वाली जीएसटी परिषद ने जीएसटी के चार स्लैब की जगह दो स्लैब करने का फैसला किया।