वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने बृहस्पतिवार को कहा कि सरकार ने उद्योग जगत की अपेक्षाओं के अनुरूप नीतियां बनाई और अब समय आ गया है कि भारतीय उद्योग जगत और अधिक निवेश करे तथा क्षमता विस्तार करे। सीतारमण ने भारतीय गुणवत्ता प्रबंधन प्रतिष्ठान (आईएफक्यूएम) की एक संगोष्ठी में उद्योग जगत से युवाओं को कौशल प्रदान करने में सरकार के साथ साझेदारी करने का आग्रह किया। उन्होंने कहा कि उद्योग जगत को सिर्फ बजट से पहले ही नहीं, बल्कि पूरे साल सरकार के साथ लगातार संपर्क बनाए रखना चाहिए। उन्होंने कहा कि विकसित भारत के लिए गुणवत्ता प्रबंधन के प्रति एक अनुभवी नजरिया अपनाना होगा, जिसमें विनिर्माण और सेवाओं के उन स्तरों और क्षेत्रों की पहचान की जाएगी जहां हस्तक्षेप की सबसे अधिक जरूरत है।
टाटा संस के चेयरमैन एन चंद्रशेखरन के यह पूछने पर कि उद्योग जगत को अब क्या करना चाहिए, सीतारमण ने कहा कि प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने सुधारों पर कभी नरमी नहीं बरती है और न ही उन्होंने उद्योग जगत की इच्छाओं को नजरअंदाज किया है। सरकार उद्योग जगत की अपेक्षाओं के अनुरूप काम कर रही है। वित्त मंत्री ने आगे कहा कि सरकार ने व्यापार सुगमता, कर सुधार, प्रत्यक्ष विदेशी निवेश (एफडीआई) को खोलने और उद्योग जगत के अनुकूल नीतियां बनाने का काम किया है। सीतारमण ने कहा, ”मुझे उम्मीद है कि उद्योग जगत को अब भारत में अधिक निवेश करने, क्षमता विस्तार करने और अधिक उत्पादन करने में कोई हिचकिचाहट नहीं होगी। सरकार आगे और क्या करे, इस बारे में भी उद्योग को बताना चाहिए।” उद्योग जगत से निवेश करने के वित्त मंत्री के आह्वान पर प्रतिक्रिया देते हुए चंद्रशेखरन ने स्वीकार किया कि सरकार ने घरेलू और निर्यात बाजार, दोनों में अपार अवसर तैयार किए हैं।
उन्होंने कहा, ”मेरा दृढ़ विश्वास है कि ज्यादा उद्यमी, अधिक संख्या में छोटी, मझोली और बड़ी कंपनियां ढेर सारा निवेश करेंगी। मुझे पूरा विश्वास है, क्योंकि निवेश के बिना हम इस अवसर का लाभ नहीं उठा पाएंगे।” सरकार निजी क्षेत्र के उद्योगों को क्षमता विस्तार में निवेश के लिए प्रोत्साहित कर रही है, लेकिन निजी निवेश सरकारी पूंजीगत व्यय से पीछे बना हुआ है। सांख्यिकी और कार्यक्रम कार्यान्वयन मंत्रालय के अप्रैल में जारी एक सर्वेक्षण के अनुसार, वित्त वर्ष 2025-26 में निजी निवेश 26 प्रतिशत घटकर 4.89 लाख करोड़ रुपये रहने का अनुमान है। सीतारमण ने आगे कहा कि भारत के सकल घरेलू उत्पाद में सबसे महत्वपूर्ण योगदान एमएसएमई क्षेत्र का है, और सरकार ने यह सुनिश्चित किया है कि भारतीय लघु उद्योग विकास बैंक एमएसएमई समूहों के बीच सक्रिय रहे।