दक्षिण-पश्चिम दिल्ली के एक निजी संस्थान में 16 छात्राओं का यौन उत्पीड़न करने के आरोपी चैतन्यानंद सरस्वती ने दिल्ली की एक अदालत में दावा किया कि तिहाड़ जेल में उसकी जान को खतरा है। स्वयंभू धर्मगुरु कई महिलाओं से छेड़छाड़ के आरोपों में न्यायिक हिरासत में है। वह प्रबंध संस्थान का पूर्व अध्यक्ष भी है। शुक्रवार को 14 दिन की न्यायिक हिरासत पूरी होने पर उसे न्यायिक मजिस्ट्रेट अनिमेष कुमार के समक्ष पेश किया गया, जहां उसने यह दावा किया। चैतन्यानंद ने यह भी कहा कि जेल अधिकारियों से बार-बार अनुरोध करने के बावजूद उसे साधु के वस्त्र पहनने की अनुमति नहीं दी गई, न ही उसे साधुओं को दिया जाने वाला आहार दिया गया। जेल अधिकारियों से विस्तृत स्थिति रिपोर्ट मांगते हुए अदालत ने मामले की आगे की सुनवाई 18 नवंबर के लिए स्थगित कर दी। इससे पहले, सात नवंबर को चैतन्यानंद ने एक सत्र अदालत से अपनी जमानत याचिका वापस ले ली थी।
उसके वकील ने अतिरिक्त सत्र न्यायाधीश दीप्ति देवेश को बताया कि याचिका वापस ली जा रही है क्योंकि आरोप पत्र दाखिल होने के बाद आरोपों की जांच की आवश्यकता है। चैतन्यानंद की जमानत याचिका में दावा किया गया है कि यह मामला ”सिखाये” गये शिकायतकर्ताओं पर आधारित है, क्योंकि उसने संस्थान में सख्त अनुशासन लागू किया था। दिल्ली पुलिस ने 27 अक्टूबर को सत्र अदालत को सूचित किया था कि उन्होंने मामले में 16 पीड़ितों में से नौ से पूछताछ की है।
सत्र अदालत ने 13 अक्टूबर को पाया कि पीड़ितों की संख्या को देखते हुए अपराध की गंभीरता कई गुना बढ़ जाती है। प्राथमिकी के अनुसार, चैतन्यानंद कथित तौर पर छात्राओं को देर रात अपने क्वार्टर में आने के लिए मजबूर करता था और उन्हें बेवक्त अनुचित संदेश भेजता था। वह कथित तौर पर अपने फोन के जरिए छात्राओं की गतिविधियों पर नज़र रखता था। आरोपी (62) को 28 सितंबर को आगरा से गिरफ्तार किया गया था।

