दिल्ली सरकार ने निजी विद्यालयों की फीस के विनियमन के लिए लागू की नई व्यवस्था

0
11

दिल्ली सरकार ने दिल्ली स्कूल शिक्षा (शुल्क निर्धारण और विनियमन में पारदर्शिता) अधिनियम, 2025 अधिसूचित करते हुए निजी विद्यालयों में शुल्क विनियमन के लिए एक नयी व्यवस्था लागू की है। विधानसभा से पारित होने के चार महीने बाद इस कानून को उपराज्यपाल वी के सक्सेना की मंजूरी के बाद बुधवार को अधिसूचित किया गया। इस अधिनियम में अनुमत शुल्क मदों एवं लेखांकन प्रथाओं पर विस्तृत प्रावधान हैं और अतिरिक्त शुल्कों पर प्रतिबंध लगाया गया है। यह कानून ‘कैपिटेशन फीस’ और कानून के तहत अनुमोदित राशि से अधिक किसी भी प्रकार के शुल्क के संग्रह पर भी रोक लगाता है। अधिसूचना में कहा गया है कि स्कूलों को शुल्क के घटकों को स्पष्ट रूप से प्रकट करना होगा और प्रत्येक श्रेणी के लिए अलग-अलग खाते बनाए रखने होंगे।

इस अधिनियम के तहत, निजी गैर-सहायता प्राप्त मान्यता प्राप्त विद्यालयों को केवल पंजीकरण, प्रवेश शुल्क, शिक्षण शुल्क, वार्षिक शुल्क और विकास शुल्क जैसे विशिष्ट मदों के तहत मदवार शुल्क लगाने की अनुमति होगी। पंजीकरण शुल्क 25 रुपये, प्रवेश शुल्क 200 रुपये और सुरक्षा जमा राशि 500 रुपये निर्धारित की गई है, जो ब्याज के साथ वापसी योग्य होगी। विकास शुल्क वार्षिक ट्यूशन शुल्क के 10 प्रतिशत से अधिक नहीं हो सकता। कानून में यह भी अनिवार्य है कि उपयोगकर्ता-आधारित सभी सेवा शुल्क सख्ती से लाभ-हानि रहित आधार पर ही लिये जाने चाहिए। ये शुल्क उन विद्यार्थियों पर नहीं लगाए जा सकते जो सेवा का उपयोग नहीं करते हैं। अधिनियम में स्पष्ट रूप से अनुमत न किया गया कोई भी शुल्क ‘अनुचित शुल्क मांग’ माना जाएगा। प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष रूप से ‘कैपिटेशन फीस’ लेना सख्त रुप से निषिद्ध है।

अधिनियम के तहत विद्यालयों को पारदर्शी लेखा मानकों का पालन करना होगा, अचल संपत्तियों की पंजी बनाए रखना होगा और कर्मचारियों के लाभों के लिए उचित प्रावधान सुनिश्चित करना होगा। इसमें कहा गया है कि विद्यार्थियों से एकत्रित किसी भी धनराशि को विद्यालय की प्रबंध समिति या ट्रस्ट समेत किसी अन्य कानूनी संस्था को हस्तांतरित करना भी प्रतिबंधित है। अधिशेष धनराशि या तो वापस की जानी चाहिए या भविष्य के शुल्कों में समायोजित की जानी चाहिए।