दिल्ली उच्च न्यायालय ने शुक्रवार को दिल्ली पुलिस की अपराध शाखा को निर्देश दिया कि वह यहां बाजारों और दुकानों में पतंगबाजी में इस्तेमाल होने वाले चीनी सिंथेटिक मांझे के निर्माण, बिक्री, खरीद और भंडारण की जांच करे। उच्च न्यायालय ने कहा कि इस तरह के खतरनाक धागों का इस्तेमाल बच्चों और युवाओं द्वारा पतंग उड़ाने के लिए किया जाता है और यह सुनिश्चित करना अधिकारियों का कर्तव्य है कि उनकी (मांझे की) उपलब्धता न हो। अदालत ने अपराध शाखा को चीनी मांझा की आपूर्ति करने वाले निर्माताओं, आयातकों, व्यापारियों और दुकानदारों का विवरण और उन बाजारों की जानकारी देने के लिए एक रिपोर्ट दाखिल करने का निर्देश दिया जहां यह धागा बेचा जाता है।
न्यायमूर्ति प्रतिभा एम सिंह ने कहा, निर्देश दिया गया है कि चीनी मांझा से हुई मौतों के मामलों में दर्ज प्राथमिकी की क्राइम ब्रांच द्वारा जांच की जाएगी। ऐसे दुकानदारों को आरोपी बनाया गया है या नहीं और चीनी मांझा की बिक्री पर प्रतिबंध के बारे में उन्हें सतर्क किया गया है या नहीं, इसका विवरण दें। उन्होंने कहा, इन प्राथमिकियों की स्थिति क्या है और क्या चीनी मांझा की बिक्री को रोकने के लिए जिम्मेदार अधिकारियों के खिलाफ कोई कार्यवाही शुरू की गई या नहीं, यह भी अदालत में प्रस्तुत किया जाएगा।
न्यायमूर्ति सिंह ने कहा कि चीनी मांझा से हुई बेगुनाहों की मौत को भी कर्तव्य की अवहेलना माना जाएगा। अदालत ने इस मामले में सुनवाई की अगली तारीख 12 अप्रैल निर्धारित की है। उच्च न्यायालय ने कहा कि चीनी मांझे का कारोबार करने वाले व्यापारियों को जो नोटिस जारी किए जाएंगे उनमें वे लोग भी शामिल होंगे जो इसे ‘ई-कॉमर्स’ वेबसाइटों पर बेच रहे हैं। अदालत मोटरसाइकिल चलाते समय चीनी मांझे से मरने वालों या घायल होने वालों के परिवार के सदस्यों की चार याचिकाओं पर सुनवाई कर रही थी। इन याचिकाओं में कार्रवाई और मुआवजे की मांग की गई है।