दिल्ली विस समिति के नोटिस पर एमसीडी के पूर्व सचिव के खिलाफ कोई कठोर कदम नहीं: हाईकोर्ट

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दिल्ली उच्च न्यायालय ने निर्देश दिया है कि विधानसभा की विशेषाधिकार समिति की ओर से जारी नोटिस के परिप्रेक्ष्य में दिल्ली नगर निगम (एमसीडी) के पूर्व सचिव भगवान सिंह के खिलाफ तीन मई तक कोई दंडात्मक कदम नहीं उठाया जाएगा। भगवान सिंह की याचिका पर न्यायमूर्ति प्रतिभा एम. सिंह ने दिल्ली सरकार को नोटिस जारी कर इस मामले में अपना पक्ष रखने का निर्देश दिया और याचिकाकर्ता को विशेषाधिकार समिति के सामने पेश होने को कहा। अदालत ने 23 मार्च को जारी अपने आदेश में कहा, याचिकाकर्ता विशेषाधिकार समिति के सामने पेश होगा, हालांकि, सुनवाई की अगली तारीख तक याचिकाकर्ता के खिलाफ कोई कठोर कदम नहीं उठाया जाएगा। (मामले को) तीन मई, 2023 को सूचीबद्ध किया जाए।

विधानसभा की बैठक के दौरान कथित विशेषाधिकार हनन को लेकर समिति के अध्यक्ष द्वारा दायर एक शिकायत के मद्देनजर याचिकाकर्ता को विशेषाधिकार समिति के समक्ष पेश होने के लिए कहा गया था। अदालत को सूचित किया गया कि दिल्ली नगर निगम अधिनियम के अनुसार, 10 व्यक्तियों या एल्डरमेन को उपराज्यपाल द्वारा एमसीडी में नामित किया जाना है, लेकिन नामांकन से संबंधित कुछ मुद्दों को दिल्ली विधानसभा की याचिका समिति द्वारा उठाया गया था।

दिल्ली सरकार के वकील ने कहा कि यह सवाल सर्वोच्च न्यायालय के समक्ष लंबित है कि क्या उपराज्यपाल स्वयं या मंत्रिपरिषद की सहायता और सलाह पर एल्डरमेन को नामित कर सकते हैं। प्रतिवादी ने उच्च न्यायालय के समक्ष दायर याचिका की स्वीकार्यता को भी चुनौती दी।? याचिकाकर्ता ने विशेषाधिकार समिति की ओर से जारी नोटिस को चुनौती दी और उसके समक्ष कार्यवाही पर रोक लगाने की भी मांग की। अधिकारियों के अनुसार, दिल्ली नगर निगम ने 27 मार्च को एक नया निगम सचिव नियुक्त किया और भगवान सिंह को सेवाओं से हटा दिया, जो सेवानिवृत्ति के बाद अनुबंधके आधार पर सेवा दे रहे थे।

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