मनीष सिसोदिया को जमानत न मिलना दिल्ली सरकार के मुंह पर ‘करार तमाचा

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भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) ने सोमवार को कहा कि आबकारी नीति घोटाला मामले में आम आदमी पार्टी (आप) के नेता मनीष सिसोदिया को जमानत देने से दिल्ली उच्च न्यायालय का इनकार दिल्ली सरकार के मुंह पर ‘करारा तमाचा’ है और मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल के सिसोदिया के ‘कट्टर ईमानदार’ होने के दावे को खारिज करता है। सिसोदिया को ताजा झटका देते हुए अदालत ने सोमवार को दिल्ली सरकार की आबकारी नीति में कथित अनियमितताओं से जुड़े धनशोधन के एक मामले में उन्हें जमानत देने से इनकार कर दिया और कहा कि उनके खिलाफ आरोप ‘बहुत गंभीर प्रकृति’ के हैं।

अदालत के आदेश पर प्रतिक्रिया देते हुए भाजपा के राष्ट्रीय प्रवक्ता शहजाद पूनावाला ने कहा, आज एक बार फिर अरविंद केजरीवाल और उनकी भ्रष्ट सरकार को दिल्ली उच्च न्यायालय ने करारा तमाचा लगाया है, क्योंकि उसने पीएमएलए मामले में मनीष सिसोदिया को कोई राहत देने से इनकार कर दिया है। पूनावाला ने कहा, इसके साथ ही उनका (केजरीवाल का) कट्टर ईमानदार के प्रमाणपत्र भी खारिज कर दिया गया है। आज एक ही सवाल बचा है कि केजरीवाल कब तक खुद को पीड़ित बताते रहेंगे और केंद्र पर आरोप लगाते रहेंगे।

सिसोदिया को प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) ने 2020-21 की दिल्ली आबकारी नीति से जुड़े मामले में नौ मार्च को गिरफ्तार किया था। यह नीति अब रद्द की जा चुकी है। केजरीवाल से इस मुद्दे पर ‘विक्टिम कार्ड’ खेलना बंद करने की अपील करते हुए भाजपा ने कहा कि उन्हें जवाब देना चाहिए कि नीति में कमीशन 2.5 प्रतिशत से बढ़ाकर 12 प्रतिशत क्यों किया गया, शराब की थोक बिक्री निजी कंपनियों को क्यों दी गई, काली सूची में डाली गई कंपनियों को निविदा प्रक्रिया में हिस्सा लेने की अनुमति क्यों दी गई और कंपनियों को 144 करोड़ रुपये की छूट क्यों दी गई। उच्च न्यायालय ने यह भी कहा कि इस मामले को ‘अलग दृष्टिकोण’ से देखा जाना चाहिए, क्योंकि सार्वजनिक धन के भारी नुकसान से जुड़ी एक गहरी साजिश का आरोप लगाया गया है। मुख्यमंत्री केजरीवाल ने नौ मार्च को पूर्व उपमुख्यमंत्री सिसोदिया के इस मामले में गिरफ्तार होने के बाद उन्हें कट्टर ईमानदार बताया था।

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