उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ ने रविवार को कहा कि लोकतंत्र के मंदिरों में व्यवधान और हंगामे को राजनीतिक रणनीति का हथियार नहीं बनाया जा सकता। उन्होंने यहां जामिया मिलिया इस्लामिया के दीक्षांत समारोह को संबोधित करते हुए कहा कि समाज के विकास के लिए शिक्षा महत्वपूर्ण है। उन्होंने युवाओं से खुद को सशक्त बनाने की अपील की। धनखड़ ने कहा, जनता की भलाई के लिए संवाद, चर्चा, विचार-विमर्श और बहस लोकतंत्र है। निश्चित रूप से व्यवधान और हंगामा लोकतंत्र नहीं हो सकता। उन्होंने कहा, मुझे आपको यह बताते हुए दुख और पीड़ा हो रही है कि लोकतंत्र के मंदिरों की छवि धूमिल करने के लिए व्यवधान और हंगामे को रणनीतिक साधन रूपी हथियार बनाया जा चुका है। उपराष्ट्रपति की टिप्पणी ऐसे समय आई है जब संसद के मानसून सत्र में बार-बार व्यवधान और स्थगन देखा जा रहा है।
राज्यसभा के सभापति धनखड़ ने इस बात पर जोर दिया कि लोकतंत्र संवाद, चर्चा, विचार-विमर्श और बहस के बारे में है और उन्होंने व्यवधान और हंगामे को लोकतांत्रिक मूल्यों के विपरीत बताया। उन्होंने सभी से लोकतांत्रिक मूल्यों के सार को संरक्षित और बनाए रखने का आह्वान किया। उन्होंने कहा, ‘जब किसी विशेष दिन संसद में व्यवधान होता है, तो प्रश्नकाल नहीं हो पाता है। प्रश्नकाल शासन में जवाबदेही और पारदर्शिता उत्पन्न करने का एक तंत्र है। सरकार हर सवाल का जवाब देने के लिए बाध्य है। इससे सरकार को काफी फायदा होता है। जब आप लोकतांत्रिक मूल्यों और सुशासन के संदर्भ में सोचते हैं तो प्रश्नकाल न होने को कभी भी तर्कसंगत नहीं ठहराया जा सकता है। दीक्षांत समारोह को संबोधित करते हुए उन्होंने इस बात को रेखांकित किया कि असहमति और असंतोष लोकतांत्रिक प्रक्रिया का स्वाभाविक हिस्सा है, लेकिन असहमति को शत्रुता में बदलना लोकतंत्र के लिए अभिशाप से कम नहीं है।
उन्होंने कहा कि बातचीत और चर्चा ही आगे बढ़ने का एकमात्र रास्ता है। उपराष्ट्रपति ने कहा कि राष्ट्र निर्माण में मानव संसाधनों का सशक्तीकरण एक महत्वपूर्ण घटक है। उन्होंने छात्रों से कहा, “युवाओं को खुद को सशक्त बनाना चाहिए- राजनीतिक नशे से नहीं, बल्कि स्वस्थ वातावरण और समाज की भलाई, क्षमता निर्माण और व्यक्तित्व विकास के माध्यम से। राष्ट्रीय शिक्षा नीति के बारे में उन्होंने कहा कि देश के कुछ हिस्सों में इस नीति को अपनाने की आवश्यकता है। उन्होंने कहा, “मुझे यकीन है कि वे इसका पालन करेंगे और इस महान नीति का लाभ उठाएंगे। यह कौशल-आधारित पाठ्यक्रमों, व्यावसायिक प्रशिक्षण और हमारी शिक्षा को एक नया आयाम देने पर आधारित है। अपने संबोधन के दौरान, उन्होंने प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की अमेरिका और फ्रांस की ”प्रभावशाली” यात्रा पर प्रकाश डाला और साथ ही कहा कि पूरी दुनिया भारत के साथ साझेदारी करने के लिए उत्सुक है।