दिल्ली आबकारी नीति से जुड़े धनशोधन मामले में ”आप” को आरोपी न बनाए जाने पर केवल कानूनी सवाल पूछे: सुप्रीम कोर्ट

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नई दिल्ली। उच्चतम न्यायालय ने बृहस्पतिवार को कहा कि वह प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) से केवल यह ‘कानूनी सवाल’ पूछ रहा है कि दिल्ली आबकारी नीति में कथित लाभार्थी होने के बावजूद एक राजनीतिक दल ‘आम आदमी पार्टी’ (आप) को आरोपी क्यों नहीं बनाया गया है। शीर्ष अदालत ने बुधवार को ईडी से यह बताने को कहा था कि कथित घोटाले से संबंधित धनशोधन मामले में आप को आरोपी क्यों नहीं बनाया गया? न्यायमूर्ति संजीव खन्ना और न्यायमूर्ति एस. वी. एन. भट्टी की पीठ ने उस वक्त यह बात कही, जब दिल्ली के पूर्व उपमुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया की ओर से पेश वरिष्ठ अधिवक्ता अभिषेक सिंघवी ने दलील दी कि अदालत के सवाल ने अखबारों और टीवी चैनल में सुर्खियां बटोरीं कि ‘आप’ को आरोपी बनाया जाएगा। न्यायमूर्ति खन्ना ने कहा, देखिए! अदालत में, हम उचित जवाब पाने के लिए सवाल पूछते हैं। अखबारों में जो लिखा जाता है या टीवी पर दिखाया जाता है, हम उससे प्रभावित नहीं होते हैं। इसका हम पर कोई असर नहीं पड़ने वाला है।

उन्होंने आगे कहा कि अदालत यह स्पष्ट कर रही है कि उसने इस मुद्दे पर कोई निष्कर्ष नहीं निकाला है। न्यायमूर्ति खन्ना ने कहा, ”हमने अदालत के समक्ष दलीलों के आधार पर प्रश्न पूछे। हमने प्रश्न किसी को फंसाने के लिए नहीं पूछा। यह पूरी तरह से एक कानूनी प्रश्न था, जो इस तथ्य से उत्पन्न हुआ कि यदि अपराध की आय का लाभार्थी है, तो उसे आरोपी क्यों नहीं बनाया गया, जबकि ‘बी’ और ‘सी’ को आरोपी बनाया गया है। सिंघवी ने कहा कि समस्या यह है कि सुबह से ही न्यूज चैनल चला रहे हैं कि आम आदमी पार्टी को धनशोधन मामले में आरोपी बनाया जाएगा।

ईडी की पेश अतिरिक्त सॉलिसिटर जनरल एस. वी. राजू ने कहा कि उनसे कुछ मीडियाकर्मियों ने इस बारे में सवाल पूछा था और उन्होंने बयान दिया, ”अगर सबूत हैं, तो हम किसी को भी नहीं बख्शेंगे। पीठ ने सिंघवी और राजू से कहा कि वे मुख्य मामले से न हटें और मुद्दे को वहीं छोड़ दें। न्यायमूर्ति खन्ना ने कहा, ‘आइए मुख्य मुद्दे पर ध्यान केंद्रित करें। उन्होंने राजू से मामले में बहस जारी रखने को कहा। शीर्ष अदालत इस मामले में पूर्व उपमुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया की दो अलग-अलग जमानत याचिकाओं पर सुनवाई कर रही है।

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