विधिक सेवा प्राधिकरण सुनिश्चित करे कि यौन उत्पीड़न के शिकार बच्चे को परामर्श मिले: सुप्रीम कोर्ट

32
166

नई दिल्ली। उच्चतम न्यायालय ने कहा है कि विधिक सेवा प्राधिकरणों को सुनिश्चित करना चाहिए कि यौन उत्पीड़न के शिकार किसी बच्चे को प्रशिक्षित बाल परामर्शदाता या मनोवैज्ञानिक द्वारा परामर्श दिया जाए, ताकि उसे सदमे से उबरने में मदद मिले। न्यायमूर्ति अभय एस. ओका और न्यायमूर्ति पंकज मिथल की पीठ ने यह भी कहा कि सरकार को सुनिश्चित करना होगा कि ऐसे बच्चों की शिक्षा जारी रहे।

पीठ ने कहा, ”जब भी किसी बच्चे का यौन उत्पीड़न होता है तो राज्य या विधिक सेवा प्राधिकरणों को सुनिश्चित करना चाहिए कि बच्चे को किसी प्रशिक्षित बाल परामर्शदाता या बाल मनोवैज्ञानिक से परामर्श की सुविधा मिले। इससे पीड़ित बच्चे को सदमे से बाहर निकलने में मदद मिलेगी और वह भविष्य में बेहतर जीवन जी सकेगा। शीर्ष अदालत ने कहा कि पीड़ित का सामाजिक माहौल हमेशा उसके पुनर्वास के लिहाज से अनुकूल नहीं हो सकता। पीठ ने कहा, ”सिर्फ आर्थिक मुआवजा ही काफी नहीं है। सिर्फ मुआवजा देने से सही मायनों में पुनर्वास नहीं होगा।

शायद, जीवन में पीड़ित लड़कियों का पुनर्वास केंद्र सरकार के बेटी बचाओ बेटी पढ़ाओ अभियान का हिस्सा होना चाहिए। उसने कहा, कल्याणकारी राज्य होने के नाते ऐसा करने की जिम्मेदारी सरकार की होगी। हम निर्देश दे रहे हैं कि इस फैसले की प्रतियां सरकार के संबंधित विभागों के सचिवों को भेजी जानी चाहिए। शीर्ष अदालत ने निर्देश दिया कि दोषी को बिना किसी छूट के 14 साल कारावास की सजा मिलनी चाहिए।

32 COMMENTS

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here