अफसोस है कि प्रतियोगी परीक्षा के अभ्यर्थी धांधली करते हैं; ईमानदार छात्रों का होता है नुकसान: अदालत

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नई दिल्ली। दिल्ली उच्च न्यायालय ने प्रतियोगी परीक्षाओं में सफल होने के लिए अभ्यर्थियों द्वारा कदाचार और धांधली का सहारा लेने को खेदजनक करार देते हुए कहा है कि इसके परिणामस्वरूप निर्दोष और ईमानदार छात्र अपने साथियों के नियम विरुद्ध आचरण का शिकार बनते हैं। अदालत ने कहा कि ऐसी स्थिति में राज्य या उसकी एजेंसियों के पास परीक्षा को पूरी तरह रद्द करने के अलावा कोई अन्य विकल्प नहीं बचता है। न्यायमूर्ति चंद्रधारी सिंह ने कहा, यह देखा गया है कि ऐसी परीक्षा आयोजित करने वाली एजेंसियों के लिए यह निर्धारित करना और पहचानना बेहद मुश्किल हो जाता है कि कितने छात्र इस तरह के कदाचार और अनियमितताओं में शामिल हैं।

उच्च न्यायालय ने दिल्ली कौशल उद्यमिता विश्वविद्यालय (डीएसईयू) द्वारा अधिसूचित रिक्ति में जूनियर सहायक या कार्यालय सहायक के पद के लिए आवेदन करने वाले कई उम्मीदवारों की याचिका खारिज करते हुए यह टिप्पणी की। हालांकि, दो केंद्रों पर कंप्यूटर आधारित भर्ती परीक्षा (सीबीआरटी) में छेड़छाड़ और अनुचित साधनों के इस्तेमाल के मामले सामने आने के बाद विश्वविद्यालय ने परीक्षा रद्द कर दी थी।

याचिकाकर्ताओं के वकील ने कहा कि दो केंद्रों पर अनुचित साधनों के उपयोग के केवल कुछ मामले सामने आए और इसलिए, पूरी परीक्षा रद्द करने की डीएसईयू की कार्रवाई मनमाना और अनुचित है। उच्च न्यायालय ने यह कहते हुए याचिका खारिज कर दी कि मौजूदा याचिका में परमादेश या कोई अन्य रिट आदेश जारी नहीं किया जा सकता, क्योंकि डीएसईयू ने प्रतियोगिता परीक्षा की शुचिता बनाये रखने के लिए अपने अधिकार का इस्तेमाल करते हुए परीक्षा प्रक्रिया रद्द की थी।

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