सरकार भारत में वैश्विक सांस्कृतिक पहल को संस्थागत बनाने के लिए काम कर रही है: प्रधानमंत्री मोदी

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नई दिल्ली। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने शुक्रवार को कहा कि उनकी सरकार वैश्विक सांस्कृतिक पहल को संस्थागत बनाने और वेनिस, लंदन तथा साओ पाउलो जैसे शहरों में इसी तरह के आयोजनों की तर्ज पर एक आधुनिक प्रणाली विकसित करने के लिए काम कर रही है। लालकिले में पहले ‘भारत कला, वास्तुकला और डिजाइन बिएननेल (आईएएडीबी) 2023’ का उद्घाटन करने के बाद अपने संबोधन में मोदी ने कहा कि ऐसे आयोजनों को दुनिया के कुछ शहरों में इसी तरह के कार्यक्रमों के रूप में वैश्विक पहचान मिलनी चाहिए। उन्होंने संस्कृति, वास्तुकला और कलाकृति क्षेत्र में देश के समृद्ध प्राचीन इतिहास का हवाला दिया और काशी, केदारनाथ तथा महाकाल लोक जैसे धार्मिक स्थानों के विकास एवं नवीकरण का उदाहरण देते हुए कहा कि भारतीय कला और वास्तुकला से जुड़े स्थानों को विकसित करने के लिए गर्व की भावना के साथ बहुत काम हो रहा है। मोदी ने अपने लगभग 25 मिनट के संबोधन में कला, संस्कृति और वास्तुकला में देश के समृद्ध प्राचीन इतिहास को रेखांकित किया और कहा कि इसने दुनिया भर से लोगों को भारत की ओर आकर्षित किया है।

प्रधानमंत्री ने कहा, भारत की जीवंत संस्कृति और प्राचीन विरासत दुनिया भर से पर्यटकों को आकर्षित करती है। उन्होंने कहा, आज, विरासत पर गौरव की भावना के साथ, देश फिर से इसे आगे बढ़ा रहा है… आजादी का अमृत काल में, भारत सांस्कृतिक समृद्धि में नए आयाम गढ़ रहा है, इसके लिए ठोस कदम उठा रहा है। भारत में आयोजित होने वाला यह बिएननेल उस दिशा में एक और बड़ा कदम है। इस बिएननेल का आयोजन संस्कृति मंत्रालय द्वारा किया जा रहा है, जिसने इस साल की शुरुआत में अंतरराष्ट्रीय संग्रहालय प्रदर्शनी, जिसका उद्घाटन मोदी ने किया था, और पुस्तकालय महोत्सव का भी आयोजन किया था। उन्होंने कहा, हमने म्यूजियम एक्सपो (मई में) और अगस्त में पुस्तकालय महोत्सव का भी आयोजन किया। इन आयोजनों के माध्यम से हमारा प्रयास वैश्विक सांस्कृतिक पहल को संस्थागत बनाना और एक आधुनिक प्रणाली विकसित करना है। हम चाहते हैं कि वेनिस, साओ पाउलो, सिंगापुर, सिडनी, लंदन में आयोजित कार्यक्रमों की तर्ज पर भारत में भी आयोजित इस तरह के कार्यक्रमों को अपनी पहचान मिले।

देश की कलात्मक और सांस्कृतिक विरासत की समृद्ध विरासत का जश्न मनाने वाला भारत का पहला ‘कला, वास्तुकला और डिजाइन बिएननेल’ यहां ऐतिहासिक लाल किला परिसर में आयोजित किया जा रहा है। ब्रिटिश कालीन तीन बैरकों में विशेष रूप से तैयार सात विषयगत मंडप स्थापित किए गए हैं जिन्हें इस आयोजन के लिए नवीनीकृत किया गया है। मोदी ने शाम को कार्यक्रम का उद्घाटन करने से पहले कुछ विषयगत मंडपों का भी दौरा किया। इस अवसर पर, मोदी ने एक विशेष स्मारक टिकट का भी अनावरण किया और ‘आत्मनिर्भर भारत सेंटर फॉर डिज़ाइन’ (एबीसीडी) का उद्घाटन किया। यह केंद्र लालकिला परिसर में स्थित है।

अपनी प्रारंभिक टिप्पणी में, मोदी ने कहा, यह लालकिला अपने आप में बहुत ऐतिहासिक है। यह लालकिला सिर्फ एक इमारत नहीं है, बल्कि यह इतिहास है। (भारत की) आजादी से पहले से और उसके बाद भी, यह स्थिर है। मैं इस विश्व धरोहर स्थल पर आप सभी का स्वागत करता हूं। उन्होंने कहा कि हर देश के अपने ऐतिहासिक स्थल होते हैं जो उसके इतिहास और मूल्यों का प्रतीक होते हैं और राजधानी दिल्ली में भी ऐसे कई प्रतीक हैं। यह उल्लेख करते हुए कि भारत सर्वाधिक विविधता वाला देश है, उन्होंने कहा कि कला और संस्कृति विविधता के साथ-साथ एकता के स्रोत रहे हैं, जो लोगों को जोड़ते भी हैं और सद्भाव भी फैलाते हैं।

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