धर्मनिरपेक्षता के वास्तविक अर्थ को पुन: स्थापित करने का प्रतीक भी बन गया था राममंदिर आंदोलन: आडवाणी

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lalkrishnaadvani

नई दिल्ली। भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के वरिष्ठ नेता लालकृष्ण आडवाणी ने कहा है कि राम जन्मभूमि आंदोलन का प्राथमिक उद्देश्य अयोध्या में श्री राममंदिर का पुनर्निर्माण था और यह ‘छद्म धर्मनिरपेक्षता के हमले के कारण (धूमिल हुए) धर्मनिरपेक्षता के वास्तविक अर्थ को पुन:स्थापित करने का प्रतीक भी बन गया। आडवाणी द्वारा लिखे गए और शनिवार को उनके कार्यालय द्वारा साझा किए गए लेख, ‘श्रीराम मंदिर: एक दिव्य स्वप्न की पूर्ति’ में, भाजपा नेता आडवाणी ने कहा कि आंदोलन के दौरान वास्तविक धर्मनिरपेक्षता और छद्म धर्मनिरपेक्षता के बीच अंतर को लेकर एक महत्वपूर्ण बहस शुरू हो गई। वर्ष 1990 में राम रथयात्रा शुरू करने वाले आडवाणी ने कहा, एक ओर, आंदोलन को व्यापक जन समर्थन प्राप्त था, वहीं, अधिकांश राजनीतिक दल इस आंदोलन का समर्थन करने से इसलिए कतरा रहे थे, क्योंकि उन्हें मुस्लिम वोट खोने का डर था। वे वोट-बैंक की राजनीति के लालच में आ गए और उसे धर्मनिरपेक्षता के नाम पर उचित ठहराने लगे।

आडवाणी (96) ने लिखा है, इस प्रकार, अयोध्या मुद्दा, जिसका प्राथमिक उद्देश्य रामजन्मभूमि मंदिर का पुनर्निर्माण था, छद्य धर्मनिरपेक्षता के हमले के कारण (धूमिल हुए) धर्मनिरपेक्षता के वास्तविक अर्थ को पुन:स्थापित करने का प्रतीक भी बन गया। उन्होंने कहा कि आगामी 22 जनवरी, 2024 के विशेष अवसर से पहले पूरे देश का वातावरण सचमुच राममय हो गया है। उन्होंने कहा कि यह उनके लिए संतुष्टि का क्षण है, न केवल राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) और भाजपा के एक गौरवान्वित सदस्य के रूप में, बल्कि हमारी गौरवशाली मातृभूमि के एक गर्वित नागरिक के रूप में भी। उन्होंने कहा कि वह धन्य हैं कि वह अपने जीवनकाल में इस ऐतिहासिक क्षण के साक्षी बनेंगे। उन्होंने कहा कि जब प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी अयोध्या में श्रीरामलला के विग्रह की प्राण प्रतिष्ठा’ करेंगे, तो वह हमारे महान्‌ भारतवर्ष के प्रत्येक नागरिक का प्रतिनिधित्व करेंगे। उन्होंने कहा, यह मेरा अटल विश्वास है और मेरी आशा भी कि यह मंदिर सभी भारतीयों को श्रीराम के गुणों को अपनाने के लिए प्रेरित करेगा।

मैं यह भी प्रार्थना करता हूं कि हमारा महान्‌ देश न केवल वैश्विक शक्ति बनने के पथ पर तेजी से आगे बढ़ता रहे, बल्कि जीवन के सभी क्षेत्रों में अपने आप को गरिमा और मर्यादा के एक उत्कृष्ट उदाहरण के रूप में प्रस्तुत करे। उन्होंने कहा कि एक तरफ जहां लंबी कानूनी लड़ाई चल रही थी, वहीं दूसरी तरफ, न केवल वह, बल्कि भाजपा और संघ परिवार का प्रत्येक कार्यकर्ता भारतीयों की आत्मा को जागृत करने के कार्य में जुटा रहा ताकि रामलला को अपने वास्तविक निवासस्थान पर विराजमान करने का सपना साकार हो सके। उन्होंने कहा, ”मुझे बहुत प्रसन्नता है कि नवंबर 2019 में उच्चतम न्यायालय के निर्णायक फैसले के कारण श्रीराम मंदिर के पुनर्निर्माण का पथ शांति के वातावरण में प्रशस्त हुआ है। उन्होंने कहा कि अब जब भव्य श्रीराम मंदिर अपने निर्माण के अंतिम चरण में है, तो वह प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के नेतृत्व वाली वर्तमान सरकार, सभी संगठनों, विशेष रूप से विश्व हिंदू परिषद्‌ और राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ, भारतीय जनता पार्टी, अनगिनत रथ यात्रा के सहयोगियों, संतों, नेताओं, कारसेवकों और भारत तथा दुनिया के सभी लोगों के प्रति गहरी कृतज्ञता की भावना से भर गए हैं, जिन्होंने कई दशकों तक अयोध्या आंदोलन में बहुमूल्य योगदान और बलिदान दिया।

उन्होंने कहा, आज मुझे दो व्यक्तियों की बहुत याद आ रही है। पहले व्यक्ति हैं स्वर्गीय अटल बिहारी वाजपेयी, जो मेरे जीवन का एक अभिन्न हिस्सा रहे हैं, राजनीतिक और व्यक्तिगत, दोनों ही तौर से और जिनके साथ मेरा एक अटूट और सदाकालीन विश्वास, स्नेह और आदर का संबंध था। दूसरी हैं मेरी दिवंगत पत्नी कमला, जो मेरे जीवन के लिए स्थिरता का मुख्य आधार रहीं और न केवल श्रीराम रथ यात्रा के दौरान, बल्कि मेरे लंबे समय के सामाजिक और राजनीतिक जीवन में अद्वितीय शक्ति का स्रोत बनी रहीं। उन्होंने कहा कि अयोध्या में श्रीराम की जन्मभूमि पर मंदिर के पुनर्निर्माण के लिए किया गया रामजन्मभूमि आंदोलन’ 1947 के बाद के भारत के इतिहास में एक निर्णायक और परिणामकारी घटना सिद्ध हुई।

उन्होंने कहा, मैं विनम्रता से कहता हूँ कि नियति ने मुझे 1990 में सोमनाथ से अयोध्या तक श्रीराम रथयात्रा के रूप में एक महत्त्वपूर्ण कर्तव्य निभाने का अवसर दिया। आडवाणी ने कहा, ”मेरा मानना है कि कोई भी घटना अंततः वास्तविकता में घटित होने से पहले व्यक्ति के मन-मस्तिष्क में आकार लेती है। उस समय मुझे लग रहा था कि नियति ने यह निश्चित कर लिया है कि एक दिन अयोध्या में श्रीराम का एक भव्य मंदिर अवश्य बनेगा; बस अब केवल समय की बात है। बिहार में आडवाणी की गिरफ़्तारी के बाद आडवाणी की रथयात्रा रोक दी गई, लेकिन इस आंदोलन के कारण उत्पन्न हुए लोकप्रिय उभार ने भाजपा को राष्ट्रीय राजनीति के केंद्र में ला दिया, जिससे पार्टी के लिए 1990 के दशक के अंत में वाजपेयी के नेतृत्व में केंद्र में उसकी पहली सरकार बनी।

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