मोदी सरकार में श्रम बल में महिलाओं की हिस्सेदारी कम हुई, कांग्रेस का भाजपा पर निशाना

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कांग्रेस ने अंतरराष्ट्रीय महिला दिवस पर शुक्रवार को दावा किया कि प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के नेतृत्व वाली सरकार के कार्यकाल में श्रम बल में महिलाओं की हिस्सेदारी लगातार कम हुई है जिसके कारण अर्थव्यवस्था कमजोर हो सकती है। पार्टी महासचिव जयराम रमेश ने यह आरोप भी लगाया कि मणिपुर में महिलाओं के खिलाफ अपराध की जघन्य घटनाओं और भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) सांसद बृजभूषण शरण सिंह खिलाफ लगे आरोपों पर प्रधानमंत्री ने चुप्पी साध रखी है। रमेश ने ‘एक्स’ पोस्ट किया, ‘आज अंतरराष्ट्रीय महिला दिवस है। हमें उम्मीद नहीं है कि आज प्रधानमंत्री महिलाओं को शुभकामनाएं देने की औपचारिकता निभाने के अलावा भी कुछ करेंगे। उन्होंने कहा, मणिपुर में पिछले साल से गृह युद्ध के जैसे हालात हैं। वहां महिलाएं सबसे अधिक प्रभावित हुई हैं। महिलाओं को शर्मनाक रूप से निर्वस्त्र करके घुमाया गया और उनकी आपत्तिजनक वीडियो वायरल हुई। मणिपुर राज्य और केंद्र की भाजपा सरकार के दोहरे अन्याय को झेलने को मजबूर है।

कांग्रेस नेता ने सवाल किया प्रधानमंत्री मोदी ने अभी तक राज्य का दौरा क्यों नहीं किया? रमेश ने कहा, भाजपा सांसद बृजभूषण शरण सिंह पर महिला पहलवानों ने यौन उत्पीड़न के गंभीर आरोप लगाए हैं, पर प्रधानमंत्री बिल्कुल चुप हैं। इस मुद्दे पर प्रधानमंत्री का रुख क्या है? क्या प्रधानमंत्री बृजभूषण शरण सिंह को ‘मोदी के परिवार’ का सदस्य मानते हैं? उन्होंने कहा, मोदी हैं तो महंगाई हैं! विशेष रूप से खाने-पीने की चीज़ों के मामले में महंगाई देश भर की महिलाओं के लिए एक गंभीर मामला है। कांग्रेस महासचिव ने सवाल किया कि क्या प्रधानमंत्री के पास देश के परिवारों को लगातार बढ़ रही महंगाई की मार से बचाने के लिए कोई योजना है? उन्होंने कहा, अन्याय-काल की एक पहचान भयंकर बेरोज़गारी संकट है। इसका गंभीर रूप से चिंताजनक परिणाम यह हुआ है कि नौकरी चाहने वाली महिलाएं, रोज़गार खोजने से हतोत्साहित होकर कार्यबल से पूरी तरह बाहर हो गई हैं। श्रम बल में महिलाओं का प्रतिशत अब डॉ. मनमोहन सिंह के कार्यकाल की तुलना में 20 प्रतिशत कम है। यह एक ऐसा चलन है जो अर्थव्यवस्था की दीर्घकालिक क्षमता को कमज़ोर कर सकता है।

रमेश ने सवाल किया कि क्या प्रधानमंत्री के पास महिलाओं को आर्थिक मुख्यधारा में वापस लाने का कोई समाधान है? उन्होंने कहा, प्रधानमंत्री ने 2014 में सत्ता में आने के तुरंत बाद बड़े ही जोर शोर से ‘बेटी बचाओ बेटी पढ़ाओ’ योजना शुरू की थी लेकिन ऐसा सामने आया है कि योजना का लगभग 80 प्रतिशत बजट सिर्फ़ विज्ञापनों के लिए रखा गया है।” रमेश ने कहा, क्या प्रधानमंत्री के पास कन्या भ्रूण हत्या रोकने और महिला शिक्षा को बढ़ावा देने के लिए कोई सार्थक दृष्टिकोण है? या उनके लिए यह मुद्दा भी सिर्फ़ विज्ञापनों में अपना चेहरा चमकाने और ख़ुद की ‘ब्रांडिंग’ के लिए है? उन्होंने कहा, भारत की महिलाएं जवाब मांग रही हैं और वे जवाब की हकदार भी हैं। भाजपा हटाओ, बेटी बचाओ!

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