प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) ने दिल्ली जल बोर्ड में कथित अनियमितताओं से जुड़े धनशोधन के अन्य मामले में मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल को समन भेजा है। आधिकारिक सूत्रों ने रविवार को यह जानकारी दी। सूत्रों ने कहा कि केजरीवाल को 18 मार्च को एपीजे अब्दुल कलाम रोड स्थित ईडी के कार्यालय में अधिकारियों के सामने पेश होने और धन शोधन निवारण अधिनियम (पीएमएलए) के प्रावधानों के तहत अपना बयान दर्ज कराने के लिए कहा गया है। धनशोधन रोधी कानून के तहत दर्ज यह दूसरा मामला है जिसमें आम आदमी पार्टी (आप) के 55 वर्षीय राष्ट्रीय संयोजक को बुलाया गया है। उन्हें पहले ही दिल्ली आबकारी नीति से जुड़े धनशोधन के मामले में पूछताछ के लिए समन जारी किए गए हैं। केजरीवाल इस मामले में अब तक आठ समन को अवैध बताते हुए एजेंसी के सामने पेश नहीं हुए हैं। केजरीवाल को इस मामले में नौवां समन जारी कर उन्हें 21 मार्च को पूछताछ के लिए बुलाया गया है। जल बोर्ड से जुड़े मामले में जारी समन पर प्रतिक्रिया देते हुए दिल्ली सरकार में मंत्री आतिशी ने रविवार को पत्रकारों से कहा, कोई नहीं जानता कि डीजेबी का यह मामला किस चीज को लेकर है।
यह किसी भी तरह केजरीवाल को गिरफ्तार करने और उन्हें लोकसभा चुनाव के लिए प्रचार करने से रोकने की एक वैकल्पिक योजना लगती है। डीजेबी मामले में ईडी ने आरोप लगाया है कि दिल्ली सरकार के इस विभाग के एक ठेके के बदले लिया गया ‘रिश्वत का पैसा’ आम आदमी पार्टी (आप) को चुनावी कोष के रूप में दिया गया था। ईडी ने इस मामले की जांच के तहत फरवरी में केजरीवाल के निजी सहायक बिभव कुमार, ‘आप’ के राज्यसभा सदस्य एन डी गुप्ता, डीजेबी के पूर्व सदस्य शलभ कुमार, चार्टर्ड अकाउंटेंट पंकज मंगल और कुछ अन्य के परिसरों पर छापेमारी की थी। केंद्रीय अन्वेषण ब्यूरो (सीबीआई) की एक प्राथमिकी में आरोप लगाया गया है कि दिल्ली जल बोर्ड के पूर्व मुख्य अभियंता जगदीश कुमार अरोड़ा ने एनकेजी इंफ्रास्ट्रक्चर लिमिटेड नामक कंपनी को बोर्ड का 38 करोड़ रुपये का ठेका दिया था और यह ठेका इस तथ्य के बावजूद दिया गया था कि कंपनी तकनीकी पात्रता मानदंडों को पूरा नहीं करती है। ईडी के मामले का यही आधार है। ईडी ने इस मामले में अरोड़ा और अनिल कुमार अग्रवाल नाम के ठेकेदार को 31 जनवरी को गिरफ्तार किया था। एजेंसी ने दावा किया कि एनकेजी इंफ्रास्ट्रक्चर लिमिटेड ने जाली दस्तावेज जमा करके निविदा हासिल की और अरोड़ा को इस तथ्य की जानकारी थी कि कंपनी तकनीकी पात्रता को पूरा नहीं करती है।
ईडी ने एक बयान में आरोप लगाया है कि एनकेजी इंफ्रास्ट्रक्चर लिमिटेड को ठेका देने के बाद अरोड़ा ने नकद और बैंक खातों में रिश्वत ली और उन्होंने यह पैसा डीजेबी में मामलों का प्रबंधन करने वाले विभिन्न व्यक्तियों को दिया, जिसमें ‘आप’ से जुड़े लोग भी शामिल थे। इसमें दावा किया गया है, ‘रिश्वत की रकम ‘आप’ के चुनावी कोष में भी जमा की गई।’ यह दूसरा मामला है जिसमें संघीय एजेंसी ने ‘आप’ पर रिश्वत लेने का आरोप लगाया है। एजेंसी ने दावा किया है कि 2021-22 की (अब रद्द की जा चुकी) आबकारी नीति से हासिल रिश्वत के पैसे का इस्तेमाल अरविंद केजरीवाल के नेतृत्व वाली पार्टी ने गोवा विधानसभा चुनाव में प्रचार के लिए किया था। एजेंसी ने कहा कि डीजेबी का ठेका अत्यधिक बढ़ी हुई दरों पर दिया गया ताकि ठेकेदारों से रिश्वत वसूली जा सके। ईडी ने कहा कि ठेके का मूल्य 38 करोड़ रुपये था और इस पर सिर्फ 17 करोड़ रुपये खर्च किए गए और शेष राशि का विभिन्न फर्जी खर्चों की आड़ में गबन कर लिया गया। ईडी ने दावा किया, इस तरह के फर्जी खर्च रिश्वत और चुनावी कोष के लिए किए गए थे।