सेवा विवाद: केंद्रीय कानून के खिलाफ दिल्ली सरकार की याचिका को सूचीबद्ध करने पर विचार करेगा सुप्रीम कोर्ट

30
149

नई दिल्ली। उच्चतम न्यायालय ने दिल्ली सरकार से शुक्रवार को कहा कि वह राष्ट्रीय राजधानी में सेवाओं को नियंत्रित करने में निर्वाचित व्यवस्था पर उपराज्यपाल की प्रधानता स्थापित करने के केंद्र सरकार के कानून को चुनौती देने वाली उसकी याचिका को सूचीबद्ध करने पर विचार करेगा। आम आदमी पार्टी (आप) सरकार की ओर से पेश वरिष्ठ अधिवक्ता अभिषेक सिंघवी ने प्रधान न्यायाधीश डी वाई चंद्रचूड़ और न्यायमूर्ति जे बी पारदीवाला एवं न्यायमूर्ति मनोज मिश्रा की पीठ से आग्रह किया कि पूरा प्रशासन ठप हो गया है और मामले की सुनवाई किए जाने की जरूरत है।

प्रधान न्यायाधीश ने कहा कि फिलहाल नौ न्यायाधीशों की पीठ के समक्ष एक मामले की सुनवाई जारी है और वह इस अनुरोध पर विचार करेंगे। वर्तमान में, प्रधान न्यायाधीश की अध्यक्षता वाली नौ-न्यायाधीशों की पीठ यह जटिल कानूनी सवाल उठाने वाली याचिकाओं पर सुनवाई कर रही है कि क्या निजी संपत्तियों को संविधान के उस अनुच्छेद 39 (बी) के तहत ”समुदाय के भौतिक संसाधन” माना जा सकता है, जो राज्य के नीति निर्देशक सिद्धांतों का हिस्सा है। इससे पहले शीर्ष अदालत ने केंद्र के पिछले साल 19 मई के उस अध्यादेश को चुनौती देने वाली दिल्ली सरकार की याचिका को पांच न्यायाधीशों वाली संविधान पीठ के पास भेज दिया था, जिसने शहर की निर्वाचित व्यवस्था से सेवाओं पर नियंत्रण छीन लिया था। इसके कारण सत्ता के दो केंद्रों के बीच एक नया विवाद शुरू हो गया था। बाद में, इस मामले पर अध्यादेश को केंद्रीय कानून में बदल दिया गया।

30 COMMENTS

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here