भाजपा के जिगाजिनागी को नजरंदाज करके महताब को प्रोटेम स्पीकर क्यों चुना गया: रमेश

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लोकसभा के अस्थायी अध्यक्ष (प्रोटेम स्पीकर) की नियुक्ति को लेकर उठे विवाद के बीच कांग्रेस नेता जयराम रमेश ने रविवार को सवाल किया कि भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के सांसद भर्तृहरि महताब को उनके पार्टी सहयोगी रमेश चंदप्पा जिगाजिनागी के बजाय इस पद के लिए क्यों चुना गया, जबकि जिगाजिनागी भी लगातार सातवीं बार सांसद निर्वाचित हुए हैं। कांग्रेस ने सरकार पर आठ बार लोकसभा सदस्य रहे कोडिकुन्निल सुरेश के स्थान पर सात बार सांसद रहे भाजपा के भर्तृहरि महताब को ‘प्रोटेम स्पीकर’ चुनकर “संसदीय मानदंडों को नष्ट करने” का आरोप लगाया है।

कांग्रेस का कहना है कि परंपरा के अनुसार, सबसे वरिष्ठ सांसद सुरेश को इस पद पर नियुक्त किया जाना चाहिए था। रमेश ने रविवार को ‘एक्स’ पर एक पोस्ट में कहा, “कांग्रेस के कोडिकुन्निल सुरेश, जो अपने आठवें कार्यकाल में हैं, को प्रोटेम स्पीकर होना चाहिए था। लेकिन भाजपा के भर्तृहरि महताब को इस आधार पर नियुक्त किया गया है कि उनका दावा अधिक मजबूत है, क्योंकि यह उनका लगातार सातवां कार्यकाल है।” उन्होंने सवाल किया, “अगर यह तर्क अपनाया जाता है, तो भाजपा सांसद रमेश चंदप्पा जिगाजिनागी के नाम पर विचार क्यों नहीं किया गया? जो लगातार सातवीं बार सांसद हैं, क्या इसलिए कि वह सुरेश की तरह दलित हैं?

भाजपा प्रवक्ता शहजाद पूनावाला ने रमेश के पोस्ट पर प्रतिक्रिया देते हुए कहा कि कांग्रेस को सुरेश को नेता प्रतिपक्ष बनाना चाहिए। उन्होंने सोशल मीडिया मंच ‘एक्स’ पर कहा, “अगर आप श्री कोडिकुन्निल सुरेश के राजनीतिक करियर को लेकर इतने चिंतित हैं, तो मैं आपसे आग्रह करूंगा कि उन्हें विपक्ष का नेता और 2026 के केरल चुनाव के लिए यूडीएफ का मुख्यमंत्री का चेहरा बनाया जाए। एक अस्थायी पद के लिए इतना तनाव क्यों?” संसदीय कार्य मंत्री किरेन रीजीजू ने कहा है कि महताब को इस पद के लिए इसलिए चुना गया है क्योंकि संसद के निचले सदन के सदस्य के तौर पर उनका कार्यकाल लगातार सबसे लंबा है। उन्होंने कहा कि हालांकि सुरेश आठ बार के सांसद हैं लेकिन वह 1998 और 2004 में चुनाव हार गए थे, इसलिए वह लगातार सदस्य नहीं रहे हैं।

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