कांग्रेस ने राज्यसभा में कृषि मंत्री शिवराज सिंह चौहान द्वारा उनके मंत्रालय के कामकाज पर हुई चर्चा के बाद दिए गए जवाब को लेकर सोमवार को उन पर सदन में झूठ बोलने एवं गुमराह करने का आरोप लगाया तथा दावा किया कि मोदी सरकार का किसान विरोधी चरित्र फिर से उजागर हो गया है। मुख्य विपक्षी दल ने यह भी कहा कि कृषि मंत्री पर विशेषाधिकार हनन का मामला बनता है। चौहान ने कांग्रेस को किसान विरोधी करार देते हुए राज्यसभा में राजनीतिक दलों से अपील की कि वे किसानों को वोट बैंक मानना बंद करें तथा उनके साथ इंसान की तरह व्यवहार करें। उच्च सदन में कृषि मंत्रालय के कामकाज पर हुई चर्चा का जवाब देते हुए कृषि मंत्री ने कहा कि प्रधानमंत्री किसान सम्मान निधि से न केवल छोटे एवं सीमांत किसान सशक्त हुए बल्कि उनका सम्मान भी बढ़ा है।
कांग्रेस के वरिष्ठ नेता दिग्विजय सिंह ने संसद के बाहर संवाददाताओं से कहा, ”देश के कृषि मंत्री को झूठ बोलने की आदत है। कमलनाथ जी के नेतृत्व में मध्य प्रदेश की कांग्रेस सरकार ने लगभग 37 लाख किसानों का कर्ज माफ किया था। तत्कालीन मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान का बयान भी आया था कि कांग्रेस के समय किसानों का कर्ज माफ हुआ है। लेकिन सदन में उन्होंने कहा कि कांग्रेस को जो मौका मिला, उसमें किसानों का कर्ज माफ नहीं किया गया।” उन्होंने कहा, ”यह बिल्कुल झूठ है। इसका प्रमाण हमारे पास है, जो कल तक आप सभी को मिल जाएगा।” कांग्रेस महासचिव रणदीप सुरजेवाला ने दावा किया, ”मोदी सरकार का चाल, चरित्र और चेहरा किसान विरोधी है। देश के कृषि मंत्री शिवराज सिंह चौहान का ट्रैक रिकार्ड रायसेन और मंदसौर में किसानों के खून से होली खेलने का है, लेकिन दुर्भाग्य की बात है कि अब वह देश के कृषि मंत्री बन गए हैं।
उन्होंने कहा कि एक तरफ मोदी सरकार ने सदन में कहा कि वह लागत पर 50 प्रतिशत मुनाफा देगी और कांग्रेस ने स्वामीनाथन आयोग की रिपोर्ट को कूड़ेदान में डाल दिया था, दूसरी तरफ उसने 6 फरवरी 2015 को उच्चतम न्यायालय में शपथ पत्र देकर कहा कि किसान को लागत पर कभी भी 50 प्रतिशत मुनाफा नहीं दिया जा सकता और कांग्रेस ने स्वामीनाथन आयोग की 175 सिफारिशों को लागू कर दिया था। कांग्रेस महासचिव ने सवाल किया कि ऐसे में सच क्या है और झूठ क्या है? सुरजेवाला ने आरोप लगाया, ”भाजपा सिर्फ लोगों को गुमराह करने की कोशिश कर रही है। यह दर्शाता है इनकी सोच किसान विरोधी है।” उन्होंने कहा कि कृषि मंत्री के खिलाफ विशेषाधिकार हनन का मामला बनता है।