आम आदमी पार्टी (आप) ने चुनावी बॉन्ड पर उच्चतम न्यायालय के फैसले का बृहस्पतिवार को स्वागत करते हुए कहा कि यह चुनावी वित्त पोषण में पारदर्शिता सुनिश्चित करने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है। उच्चतम न्यायालय ने बृहस्पतिवार को चुनावी बॉन्ड योजना को रद्द कर दिया और कहा कि यह संविधान में प्रदत्त सूचना के अधिकार और बोलने तथा अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता के अधिकार का उल्लंघन करती है। न्यायालय ने भारतीय स्टेट बैंक (एसबीआई) को छह वर्ष पुरानी योजना में दान देने वालों के नामों की जानकारी निर्वाचन आयोग को देने के निर्देश भी दिए। दिल्ली की कैबिनेट मंत्री आतिशी ने विधानसभा के बाहर पत्रकारों से कहा, ”हम इस फैसले का स्वागत करते हैं। यह चुनावी वित्त पोषण की पारदर्शिता सुनिश्चित करने में एक महत्वपूर्ण कदम है।
अन्यथा चुनावी बॉन्ड के जरिए यह पता नहीं चल पाता था कि कौन-सा व्यक्ति किस पार्टी को कितना पैसा दे रहा है। देश के लोकतंत्र के लिए महत्वपूर्ण है कि यह मालूम हो कि कौन-सा व्यक्ति किस राजनीतिक दल को कितना पैसा दे रहा है। प्रधान न्यायाधीश डी वाई चंद्रचूड़ की अध्यक्षता वाली पांच सदस्यीय संविधान पीठ ने कहा कि एसबीआई यह भी जानकारी दे कि किस तारीख को यह बॉन्ड भुनाया गया और इसकी राशि कितनी थी। साथ ही पूरा विवरण छह मार्च तक निर्वाचन आयोग के समक्ष पेश किया जाना चाहिए। पीठ ने कहा कि निर्वाचन आयोग को एसबीआई द्वारा साझा की गई जानकारी 13 मार्च तक अपनी आधिकारिक वेबसाइट पर प्रकाशित करनी चाहिए। आतिशी ने कहा, ”देश के नागरिकों के लिए केंद्र या राज्यों में शासन कर रहे राजनीतिक दलों के धन के स्रोत को जानना महत्वपूर्ण है। उनके लिए यह जानना महत्वपूर्ण है कि क्या सरकार के फैसले मतदाताओं की पसंद से प्रेरित होते हैं या उन लोगों की पसंद से जो उन्हें वित्त पोषण दे रहे हैं। यह देश के लोकतंत्र के लिए एक महत्वपूर्ण कदम है।