राज्यसभा में बृहस्पतिवार को आम आदमी पार्टी (आप) सदस्य संजय सिंह ने सरकार पर हमला बोलते हुए दावा किया कि किसानों व छात्रों के ऋण माफ करने तथा पुरानी पेंशन व्यवस्था शुरू करने के लिए केंद्र के पास पैसे नहीं हैं लेकिन उसने 43 कंपनियों के 3,53,000 करोड़ रुपये के कर्ज माफ कर दिए। वित्त विधेयक 2024-25 पर उच्च सदन में हुयी चर्चा में भाग लेते हुए आप सदस्य ने कहा कि महंगाई पर नियंत्रण, छात्रों व किसानों के ऋण माफ करने, अग्निवीर योजना के बदले पहले की व्यवस्था बहाल करने और पुरानी पेंशन योजना फिर से लागू करने के लिए सरकार के पास पैसे नहीं हैं, लेकिन उद्योगपतियों को लाभ देने के लिए सरकार के पास पैसे हैं।
सिंह ने कहा कि सरकार के पास शिक्षा , स्वास्थ्य , इलाज के लिए पैसे नहीं हैं लेकिन कंपनियाों के ऋण माफ करने के लिए उसके पास पैसे हैं। सिंह ने कहा कि देश की 43 कंपनियों पर बैंकों का 5,44,000 करोड़ रुपये का बकाया था और उसमें से 3,53,000 करोड़ रुपये माफ कर दिए गए। सत्तापक्ष की टोकाटोकी के बीच उन्होंने विभिन्न कंपनियों के नाम लिए और उनसे जुड़े आंकड़े पेश किए। आसन ने आप सदस्य को अपने आंकड़ों को अभिप्रमाणित करने को कहा। इस पर सिंह ने कहा कि वह सरकार द्वारा मुहैया कराए गए आंकड़े पेश कर रहे हैं। उन्होंने कहा कि कांग्रेस नीत सरकार ने अपने कार्यकाल में किसानों की कर्जमाफी के लिए 70,000 करोड़ रुपये दिए थे और इस सरकार ने उससे पांच गुना राशि इन कंपनियों को दे दिया।
चर्चा में भाग लेते हुए द्रमुक सदस्य कनिमाझी एनवीएन सोमू ने स्वास्थ्य बीमा प्रीमियम पर लगने वाली 18 प्रतिशत जीएसटी को हटाने की मांग की और कहा कि सरकार को इस संबंध में जीएसटी परिषद से सिफारिश करनी चाहिए। वाईएसआर कांग्रेस सदस्य वी विजय साई रेड्डी ने शेयर बाजार के निवेशकों को प्रोत्साहित करने की जरूरत पर जोर दिया। उन्होंने कहा कि स्टॉक बाजार से जुड़े विभिन्न दरों में वृद्धि की गयी है जिससे मध्यम वर्ग हतोत्साहित होगा। रेड्डी ने बचत खाता में निर्धारित राशि से कम जमा रहने पर सरकारी बैंकों द्वारा लिए जाने वाले जुर्माने का जिक्र किया और कहा कि पांच साल में इस मद में सरकारी बैंकों को 8400 करोड़ रुपये से अधिक की आमदनी हुई है। उन्होंने कहा कि यह जुर्माना गरीब व आम आदमी से लिया गया है। उन्होंने इस जुर्माने पर रोक लगाने और जुर्माने में ली गयी राशि को लौटाने की मांग की।
तृणमूल कांग्रेस की डोला सेन ने बांग्ला भाषा में अपनी बात रखी। उन्होंने लाभ अर्जित कर रहे पीएसयू (सार्वजनिक क्षेत्र के उपक्रम) के विनिवेश की आलोचना की। उन्होंने श्रमिक, किसान व आम लोगों को राहत देने की सरकार से मांग की। बीजद के देवाशीष सामंतराय ने कहा कि भाजपा ने चुनाव के समय दो घोषणापत्र जारी किए थे- एक राष्ट्रीय और दूसरा ओडिशा के लिए। उन्होंने कहा कि सरकार ओडिशा से किए गए अपने वादों को पूरा करे। उन्होंने मौजूदा वित्त वर्ष के केंद्रीय बजट की आलोचना करते हुए कहा कि यह क्षेत्रीय आकांक्षाओं को पूरा करने में नाकाम रहा है। उन्होंने कहा कि ओडिशा से खनिज लिया जा रहा है लेकिन जब खनिज खत्म हो जाएंगे तो उसके बाद राज्य का क्या होगा। उन्होंने स्वास्थ्य बीमा पर लगने वाली 18 प्रतिशत जीएसटी को वापस लेने की मांग की और कहा कि यह राशि केंद्र को मिलती है। राजद के संजय यादव ने कहा कि इस सरकार की 10 साल की आर्थिक नीतियों का विश्लेषण किया जाए तो पता लगेगा कि यह चंद उद्योगपतियों को फायदा पहुंचाने के लिए है।
उन्होंने कहा कि दूसरी ओर ग्रामीण क्षेत्र के लोग एवं किसान गरीब से गरीब होते जा रहे हैं जो सरकार की आर्थिक नीति की विफलता है। उन्होंने कहा कि बजट में सरकार की पूरी तरह से अनदेखी की गयी है और राज्य के लिए न तो किसी कारखाने की और न ही किसी नयी ट्रेन की घोषणा की गयी है। उन्होंने कहा कि बिहार में बैंकों में एनपीए (गैर निष्पादित आस्ति) सबसे कम है लेकिन इसके बाद भी वहां किसान क्रेडिट कार्ड की संख्या काफी कम है। बीआरएस सदस्य रविचंद्र वद्दीराजू ने अपनी बात तेलुगु में रखी। भाजपा के संजय सेठ ने कहा कि यह बजट आर्थिक दस्तावेज नहीं बल्कि प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के विकसित भारत के संकल्प का प्रतीक है। उन्होंने कहा कि इस बजट में विभिन्न तबकों और क्षेत्रों का ध्यान रखा गया है। उन्होंने कहा कि मध्यम वर्ग को नजरअंदाज नहीं किया जा सकता और सरकार ने इस वर्ग का भी ख्याल रखा है। उन्होंने कहा कि करों की दरों में कमी की गयी है और बजट को जनकेंद्रित बनाया गया है। उन्होंने कहा कि संविधान का अनुच्छेद 370 हटाए जाने के बाद जम्मू कश्मीर में पर्यटकों की संख्या में खासी वृद्धि हुयी है। उन्होंने कहा कि सरकार ने जम्मू कश्मीर के विकास पर ध्यान देते हुए एक लाख करोड़ रुपये से ज्यादा का प्रावधान किया है।