आम आदमी पार्टी (आप) के राष्ट्रीय प्रवक्ता सौरभ भारद्वाज ने रविवार को कहा कि उपराज्यपाल (एलजी) दिल्ली सरकार के काम में बाधा नहीं डाल सकते और उन्हें कैबिनेट द्वारा पहले से ही स्वीकृत विषयों को मंजूरी देनी चाहिए। भारद्वाज ने कहा कि उपराज्यपाल को निर्णय लेने की स्वतंत्र शक्ति नहीं दी गई है और वह कैबिनेट और चुनी हुई सरकार की सहायता और सलाह से बंधे हैं। मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल और विनय कुमार सक्सेना के बीच शुक्रवार को हुई बैठक को लेकर भारद्वाज ने आरोप लगाया कि जब मुख्यमंत्री ने उपराज्यपाल को शीर्ष अदालत के आदेश के उल्लंघन के बारे में बताया तो उन्होंने उच्चतम न्यायालय के फैसले को एक राय बताया। उन्होंने कहा कि चार जुलाई 2018 को शीर्ष अदालत की एक संविधान पीठ ने एक आदेश पारित किया था जिसमें कहा गया था कि उपराज्यपाल को (हस्तांतरित विषयों के संदर्भ में) निर्णय लेने की कोई स्वतंत्र शक्ति नहीं सौंपी गई है।
भारद्वाज ने आरोप लगाया, एलजी संविधान पीठ के फैसले को नहीं मान रहे हैं। एक शख्स जो संविधान में विश्वास नहीं करता है, उन्हें संवैधानिक पद आसीन होने की अनुमति कैसे दी जा सकती है? जब मुख्यमंत्री ने एलजी को इस बात से अवगत कराया कि वह कैसे संविधान पीठ के आदेशों का उल्लंघन कर रहे हैं, तो एलजी ने उच्चतम न्यायालय के आदेशों को एक राय बताया। उन्होंने दावा किया कि कानून की जानकारी नहीं होने से एलजी अपने कदमों का बचाव नहीं कर सकते हैं। भारद्वाज ने कहा, केवल चुना हुआ मुख्यमंत्री और उनकी सरकार ही एलजी को अपनी राय दे सकती है और उन्हें चुनी हुई सरकार की सहायता और सलाह से इनकार करने का अधिकार भी नहीं है। हस्तांतरित विषयों पर एलजी की शक्तियां बहुत कम हैं। उनके पास निर्णय लेने की कोई स्वतंत्र शक्ति नहीं है।
उन्होंने दावा किया कि एलजी के पास किसी भी फैसले को खारिज करने, रोकने या संशोधित करने का कोई अधिकार नहीं है और उन्हें चुनी हुई सरकार और उसके मंत्रिपरिषद की सहायता और सलाह के अनुसार काम करना होगा। केजरीवाल और सक्सेना की शुक्रवार को एक घंटे की मुलाकात के बाद भी उपराज्यपाल और सरकार के बीच टकराव खत्म होने का नाम नहीं ले रहा है। मुख्यमंत्री ने आरोप लगाया है कि 2018 के उच्चतम न्यायालय के फैसले के मुताबिक, एलजी के पास निर्णय लेने की स्वतंत्र शक्ति नहीं है। केजरीवाल के बयान का खंडन करते हुए राज निवास के एक अधिकारी ने कहा कि एलजी के संबंध में मुख्यमंत्री के बयान ‘गुमराह करने वाले, झूठ से भरे और गढ़े गए हैं।