सुप्रीम कोर्ट ने कहा है कि किसी भी हवाई अड्डे पर भारतीय विमानपत्तन प्राधिकरण (एएआई) द्वारा प्रदान की जाने वाली सभी प्रकार की सेवाएं कर योग्य हैं और उन पर सेवा कर लगाया जा सकता है। न्यायालय ने वर्ष 2003 से 2007 के बीच सेवा कर देयता के खिलाफ दायर हवाई अड्डा नियामक की अपील को खारिज कर दिया। न्यायमूर्ति पंकज मिथल और न्यायमूर्ति पी.बी. वराले की पीठ ने सीमा शुल्क, उत्पाद शुल्क और सेवा कर अपीलीय न्यायाधिकरण (सीईएसटीएटी) के एक मार्च, 2017 के आदेश को बरकरार रखा, जिसमें माल के निर्यात सहित एएआई द्वारा प्रदान की जाने वाली सेवाओं पर सेवा कर लगाने को मंजूरी दी गई थी।
एएआई अपने कर्तव्यों के निर्वहन में, हवाई अड्डों पर माल का प्रबंधन करता है जिसमें माल का निर्यात भी शामिल, जिसके तहत माल का उतारा जाना, ढुलाई, एक्स-रे, निर्यात के लिए पैकिंग आदि जैसी कई गतिविधियां शामिल हैं। एएआई ने तर्क दिया कि सेवा कर की मांग जिन सेवाओं के लिए की गई थी, उसमें निर्यात किये जाने वाले माल का प्रबंधन भी शामिल है, लेकिन इसे वित्त अधिनियम, 1994 की धारा 65 की उपधारा (23) के तहत बाहर रखा गया था। कानून के प्रावधानों का विश्लेषण करने के बाद पीठ ने कहा कि कर योग्य सेवा की परिभाषा बहुत व्यापक है और हवाई अड्डे पर हवाई अड्डा प्राधिकरण द्वारा किसी भी व्यक्ति को प्रदान की जाने वाली किसी भी प्रकार की सेवा इसके दायरे में आती है।