नई दिल्ली। दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने शनिवार को उच्चतम न्यायालय से कहा कि प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) ने कथित आबकारी नीति घोटाले से जुड़े धन शोधन के एक मामले में ”बेहद मनमाने तरीके” से काम किया। मामले में अपनी गिरफ्तारी को चुनौती देने वाली याचिका के संबंध में ईडी के हलफनामे पर जवाब में केजरीवाल ने कहा कि उन्होंने हमेशा जांच में सहयोग किया है। आम आदमी पार्टी (आप) के नेता ने कहा कि ईडी ने शीर्ष अदालत में दाखिल अपने जवाबी हलफनामे में कहा है कि उनकी गिरफ्तारी की एक वजह यह थी कि वह नौ बार तलब किए जाने के बावजूद जांच अधिकारी के सामने उपस्थित नहीं हुए थे। केजरीवाल ने कहा कि ईडी ने अपने जवाब में कहा है कि ऐसे मामले में जांच अधिकारी का यह राय बनाना उचित था कि हिरासत में पूछताछ से आरोपी से ठोस पूछताछ हो पाएगी।
उन्होंने कहा, ”जवाब के आशय, पाठ और सामग्री से कोई संदेह नहीं रह जाता है कि ईडी ने कानून की उचित प्रक्रिया का सरासर अपमान करते हुए बहुत ही मनमाने तरीके से काम किया है।” केजरीवाल ने दावा किया कि ईडी के जवाब में उसके रुख को समग्र रूप से देखने से उसकी कार्यवाही में ”साफ झूठ” उजागर हो जाएगा। मुख्यमंत्री ने कहा कि रिकॉर्ड से पता चलेगा कि महत्वपूर्ण विवरण और जानकारी मांगने के दौरान उन्हें जारी किए गए प्रत्येक समन का विधिवत जवाब दिया गया था, जिसे किसी भी परिस्थिति में ईडी द्वारा गोपनीय होने का दावा नहीं किया जा सकता है। केजरीवाल ने दावा किया कि ईडी ने कभी भी उनके द्वारा जांच में कथित असहयोग का खुलासा नहीं किया।
उन्होंने कहा, ”याचिकाकर्ता (केजरीवाल) को किसी अधिकृत प्रतिनिधि के माध्यम से न बुलाने या उनसे लिखित में या डिजिटल माध्यम से दस्तावेज न मांगने और व्यक्तिगत रूप से उनकी उपस्थिति पर जोर देने की क्या जरूरत थी, यह पता नहीं चल पा रहा है।” आप नेता ने कहा कि उनकी याचिका स्वीकार किये जाने योग्य है और वह तुरंत रिहा किये जाने के हकदार हैं। इस सप्ताह की शुरुआत में शीर्ष अदालत में दाखिल अपने जवाबी हलफनामे में ईडी ने दावा किया कि केजरीवाल आबकारी नीति घोटाले के ”सरगना और मुख्य साजिशकर्ता” हैं और सबूत के आधार पर अपराध के लिए किसी व्यक्ति की गिरफ्तारी स्वतंत्र और निष्पक्ष चुनाव की अवधारणा का उल्लंघन नहीं करती है। ईडी ने यह भी दावा किया कि केजरीवाल ने अपने मंत्रियों और आप नेताओं के साथ मिलकर काम किया और नीति के तहत पहुंचाए गए लाभ के बदले में शराब कारोबारियों से ”रिश्वत मांगने” में भी शामिल थे। ईडी ने कहा कि गिरफ्तारी को चुनौती देने वाली केजरीवाल की याचिका में कोई तथ्य नहीं होने के आधार पर इसे खारिज करने योग्य बताया।
जांच एजेंसी ने कहा है कि जिस सबूत को आधार बनाते हुए जांच अधिकारी ने उन्हें गिरफ्तार किया था उसपर विभिन्न अदालतों द्वारा गौर किया गया था। ईडी ने 21 मार्च को केजरीवाल को गिरफ्तार किया था क्योंकि दिल्ली उच्च न्यायालय ने उन्हें संघीय धन शोधन रोधी एजेंसी द्वारा दंडात्मक कार्रवाई से राहत प्रदान करने से इनकार कर दिया था। वह फिलहाल न्यायिक हिरासत के तहत तिहाड़ जेल में बंद हैं। शीर्ष अदालत ने 15 अप्रैल को ईडी को नोटिस जारी किया और केजरीवाल की याचिका पर उससे जवाब मांगा। उच्च न्यायालय ने नौ अप्रैल को धन शोधन मामले में केजरीवाल की गिरफ्तारी को बरकरार रखते हुए कहा था कि इसमें कुछ भी अवैध नहीं है और बार-बार समन जारी करने और जांच में शामिल होने से इनकार करने के बाद ईडी के पास और विकल्प नहीं बचा था। यह मामला 2021-22 के लिए दिल्ली सरकार की आबकारी नीति के निर्माण और कार्यान्वयन में कथित भ्रष्टाचार और धन शोधन से संबंधित है। इस नीति को बाद में रद्द कर दिया गया था।