दिल्ली उच्च न्यायालय ने मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल को जेल में अपने वकीलों के साथ हर सप्ताह दो अतिरिक्त ऑनलाइन बैठक करने की अनुमति देते हुए कहा कि विशेष परिस्थितियों में विशेष उपायों की जरूरत होती है। केजरीवाल को कथित आबकारी घोटाला मामले में जेल नियमों के अनुसार अब तक सप्ताह में दो बार अपने वकीलों से मुलाकात की अनुमति थी। न्यायमूर्ति नीना बंसल कृष्णा ने निष्पक्ष सुनवाई और प्रभावी कानूनी प्रतिनिधित्व के उनके मौलिक अधिकार को ध्यान में रखते हुए केजरीवाल को राहत प्रदान की। आम आदमी पार्टी (आप) नेता के वकील ने कहा कि वह देशभर में लगभग 35 मामलों का सामना कर रहे हैं और निष्पक्ष सुनवाई के लिए उन्हें वीडियो कॉन्फ्रेंस के जरिए अपने वकीलों के साथ दो अतिरिक्त बैठक करने की जरूरत है।
प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) और तिहाड़ जेल अधिकारियों के वकीलों ने इस याचिका का कड़ा विरोध किया। केजरीवाल को केंद्रीय अन्वेषण ब्यूरो (सीबीआई) ने 26 जून को तिहाड़ जेल से गिरफ्तार किया था, जहां वह ईडी द्वारा दर्ज धनशोधन के एक मामले में न्यायिक हिरासत में बंद थे। ईडी द्वारा 21 मार्च को गिरफ्तार किए गए केजरीवाल को धनशोधन मामले में निचली अदालत ने 20 जून को जमानत दे दी थी। उच्च न्यायालय ने हालांकि निचली अदालत के आदेश पर रोक लगा दी थी। उच्चतम न्यायालय ने धनशोधन मामले में 12 जुलाई को उन्हें तब तक अंतरिम जमानत दे दी थी, जब तक कि एक वृहद पीठ धनशोधन निवारण अधिनियम (पीएमएलए) के तहत ”गिरफ्तारी की आवश्यकता और अनिवार्यता” के पहलू पर तीन सवालों पर विचार नहीं कर लेती। कथित आबकारी घोटाले के संबंध में सीबीआई द्वारा दर्ज भ्रष्टाचार के मामले में उन्हें अभी तक जमानत नहीं मिली है।
दिल्ली के उपराज्यपाल द्वारा आबकारी नीति के निर्माण और क्रियान्वयन से जुड़ी कथित अनियमितताओं और भ्रष्टाचार की सीबीआई जांच के आदेश दिए जाने के बाद 2022 में आबकारी नीति को रद्द कर दिया गया था। सीबीआई और ईडी के अनुसार, आबकारी नीति में संशोधन करते समय अनियमितताएं की गईं और लाइसेंस धारकों को अनुचित लाभ पहुंचाया गया।