भाजपा के नेता मनोज सोनकर ने चंडीगढ़ के महापौर पद से रविवार को इस्तीफा दे दिया, और आम आदमी पार्टी (आप) के तीन पार्षद भाजपा में शामिल हो गए हैं। यह घटनाक्रम, महापौर पद के लिए हालिया चुनावों में धांधली के आरोपों को लेकर उच्चतम न्यायालय में होने वाली सुनवाई से एक दिन पहले हुआ। भाजपा की चंडीगढ़ इकाई के प्रमुख जतिंदर पाल मल्होत्रा ने कहा कि सोनकर ने निगम आयुक्त को अपना इस्तीफा सौंपा है। मल्होत्रा ने कहा कि कांग्रेस और आप के बीच कोई गठबंधन नहीं है और वे केवल जनता को बेवकूफ बना रहे हैं। उन्होंने कहा, उन्हें जनता के सामने बेनकाब किया जाएगा। इस बीच, भाजपा के वरिष्ठ नेता अरुण सूद ने कहा कि आप के तीन पार्षद नेहा, पूनम और गुरुचरण काला पार्टी के वरिष्ठ नेता विनोद तावड़े की उपस्थिति में भाजपा में शामिल हुए।
‘आप’ के तीन पार्षदों के पाला बदलने से यह तय है कि जब भी महापौर के नए चुनाव होंगे तो पलड़ा भाजपा के पक्ष में झुक जाएगा। उनके शामिल होने से पहले, 35 सदस्यीय चंडीगढ़ नगर निगम में भाजपा के 14 पार्षद थे और आप के 13 पार्षद थे। चंडीगढ़ की सांसद किरण खेर को भी निगम के सदन में मतदान का अधिकार है। कांग्रेस के सात और शिरोमणि अकाली दल का एक पार्षद है। भाजपा ने 30 जनवरी को महापौर पद के लिए हुए चुनाव में जीत हासिल की थी जिससे आप और कांग्रेस के गठबंधन को झटका लगा था तथा उसने निर्वाचन अधिकारी पर मत पत्रों में छेड़छाड़ करने का आरोप लगाया था।
सोनकर ने महापौर पद के लिए हुए चुनाव में ‘आप’ के कुलदीप कुमार को हराया था। सोनकर को 16, जबकि कुमार को 12 वोट मिले थे तथा आठ वोट अवैध घोषित किए गए थे। कुमार ने बाद में उच्चतम न्यायालय का रुख किया था। शीर्ष अदालत ने पांच फरवरी को महापौर चुनाव कराने वाले निर्वाचन अधिकारी को फटकार लगाते हुए कहा था कि यह स्पष्ट है कि उन्होंने मतपत्रों में छेड़छाड़ की थी और उन पर मुकदमा चलाया जाना चाहिए। अदालत ने यह भी कहा था कि अधिकारी का कृत्य लोकतंत्र की ”हत्या और मजाक है। अदालत ने मत पत्रों और मतदान की कार्यवाही के वीडियो को सुरक्षित रखने का भी आदेश दिया था तथा 19 फरवरी को मामले की अगली सुनवाई के दिन निर्वाचन अधिकारी को व्यक्तिगत रूप से पेश होने को कहा था।