भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) ने कांग्रेस की ओर से जातिगत जनगणना की मांग को समाज के पिछड़े वर्गों के लिए उसका ‘आंसू बहाना’ करार दिया और कहा कि देश की प्रमुख विपक्षी पार्टी को यह मांग करने का कोई नैतिक अधिकार नहीं है क्योंकि सबसे लंबे समय तक सत्ता में रहने के बावजूद उसने कभी जातिगत जनगणना नहीं कराई। भाजपा के अन्य पिछड़ा वर्ग (ओबीसी) मोर्चा के अध्यक्ष और पार्टी के संसदीय बोर्ड के सदस्य के. लक्ष्मण ने बातचीत में कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे और पार्टी के नेता राहुल गांधी से यह सवाल पूछा कि सत्ता में रहते हुए कांग्रेस ने कभी जातिगत जनगणना क्यों नहीं करवाई?
लक्ष्मण ने कहा, ”खरगे जी हों या राहुल गांधी जी हों, मैं सीधा सवाल पूछना चाहता हूं कि 1931 के बाद देश में जातिगत जनगणना कब हुई? सच्चाई ये है कि आजादी के बाद देश में कभी भी जातिगत जनगणना नहीं हुई। कांग्रेस इतने सालों तक सत्ता में रही। उसे जाति आधारित जनगणना की मांग करने का कोई नैतिक अधिकार नहीं है। ज्ञात हो कि कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे ने प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी को पत्र लिखकर आग्रह किया है कि देश में हर 10 साल पर होने वाली जनगणना को कराया जाए और व्यापक जाति आधारित जनगणना को इसका अभिन्न हिस्सा बनाया जाए।
न्होंने यह आग्रह ऐसे वक्त में किया है, जब राहुल गांधी ने कर्नाटक में रविवार को एक चुनावी सभा में प्रधानमंत्री मोदी को 2011 में हुई जाति आधारित जनगणना के आंकड़े सार्वजनिक करने की चुनौती दी और आरक्षण पर 50 प्रतिशत की सीमा को हटाने की मांग की। लक्ष्मण ने कहा कि भाजपा जाति आधारित जनगणना के खिलाफ नहीं है लेकिन यह जटिल प्रक्रिया है और इसके लिए काफी अध्ययन की आवश्यकता होती है। उन्होंने कहा, ”इसमें समय लगता है। इसमें काफी जटिलताएं भी हैं। सिर्फ चुनाव के समय मांग उठाने से नहीं होता है। राज्यसभा के सदस्य लक्ष्मण ने कहा कि इतने सालों तक कांग्रेस ने देश के कई राज्यों में भी शासन किया लेकिन कभी वहां भी जातिगत जनगणना नहीं कराई और कहीं अगर उसने कराई भी तो आंकड़े सार्वजनिक नहीं किए।
उन्होंने कहा, कर्नाटक में सिद्धरमैया जब मुख्यमंत्री थे तब उन्होंने जातिगत जनगणना कराई लेकिन उन्होंने इसके आंकड़े जारी नहीं किए। तेलंगाना में भारत राष्ट्र समिति की सरकार ने भी जनगणना कराई लेकिन आंकड़े जारी नहीं किए। उन्होंने कहा, कांग्रेस को पहले यह जवाब देना चाहिए कि कभी उसने जातिगत जनगणना क्यों नहीं कराई? चाहे ओबीसी समाज हो, या कोई अन्य समाज, ये सिर्फ आंसू बहाने वाले लोग हैं। जब मौका था कांग्रेस के पास तब तो उसने कुछ किया नहीं और आज आंसू बहा रहे हैं। कांग्रेस ने तो इसके उलट हमेशा आरक्षण का विरोध ही किया है। उन्होंने ओबीसी आरक्षण का विरोध किया, चाहे मंडल आयोग हो या काका कालेलकर आयोग हो। भाजपा के वरिष्ठ नेता लक्ष्मण ने दावा किया कि चुनाव के मद्देनजर कांग्रेस ने यह मांग उठाई है लेकिन मतदाताओं पर इसका कोई असर नहीं होगा। उन्होंने कहा, ओबीसी समाज हो या अन्य समाज, उनका जितना मान-सम्मान मोदी जी के राज में बढ़ा है वह पहले कभी नहीं हुआ। केंद्र सरकार में 27 मंत्री ओबीसी समाज के हैं। ओबीसी आयोग को संवैधानिक दर्जा दिया गया…यह सब मोदी जी के कार्यकाल में हुआ।
कांग्रेस पर निशाना साधते हुए लक्ष्मण ने कहा कि विपक्षी पार्टी सिर्फ ‘अपने परिवार’ का हित देखती है जबकि भाजपा समाज के सभी वर्गों की हितैषी है। ज्ञात हो कि भारत में 1931 में पहली बार जाति आधारित जनगणना की गई थी और इसके आंकड़े भी सार्वजनिक किए गए थे। इसके बाद 2011 में सामाजिक आर्थिक जातिगत जनगणना करवाई तो गई, लेकिन इस प्रक्रिया में हासिल किए गए जाति से जुड़े आंकड़े कभी सार्वजानिक नहीं किए गए। केंद्र सरकार ने संसद में कहा है कि उसके पास 2011 की जनगणना के दौरान इकट्ठा किया गया जातीय आंकड़ा उपलब्ध तो है लेकिन वह इसलिए इसे जारी नहीं कर रही है क्योंकि इसके आंकड़े पुराने हो गए हैं और इस्तेमाल करने योग्य नहीं रहे।