भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) ने शुक्रवार को कहा कि केंद्र अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय (एएमयू) के अल्पसंख्यक दर्जे के सवाल पर तब अपना रुख ‘दृढ़ता’ से रखेगा जब उच्चतम न्यायालय की नयी पीठ इस मामले की सुनवाई करेगी। भाजपा की यह प्रतिक्रिया उच्चतम न्यायालय की ओर से अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय के अल्पसंख्यक दर्जे संबंधी मामले को नयी पीठ के पास भेजने का निर्णय लेने के संदर्भ में आई है। न्यायालय ने इसके साथ ही वर्ष 1967 के उस फैसले को खारिज कर दिया जिसमें कहा गया था कि विश्वविद्यालय को अल्पसंख्यक संस्थान नहीं माना जा सकता क्योंकि इसकी स्थापना केंद्रीय कानून के तहत की गई थी।
भाजपा प्रवक्ता गौरव भाटिया ने पार्टी मुख्यालय में इस मसले पर पत्रकारों के सवाल के जवाब में कहा, ”केंद्र सरकार जो कि इस मामले में एक पक्षकार है, अपने पक्ष को बहुत मजबूती से सामने रखेगी। उच्चतम न्यायालय का प्राथमिक कर्तव्य संविधान के प्रावधानों की व्याख्या करना है, वह ऐसा करेगा।” उन्होंने जोर देकर कहा कि भाजपा एक ऐसी पार्टी है जो संविधान में विश्वास करती है। उच्चतम न्यायालय के फैसले पर प्रतिक्रिया देते हुए भाजपा के आईटी विभाग के प्रमुख अमित मालवीय ने 1972 में संसद में बहस के दौरान अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय को अल्पसंख्यक का दर्जा देने का विरोध करने वाले कुछ राजनीतिक दिग्गजों की टिप्पणी को उद्धृत किया। पूर्व शिक्षा मंत्री एस नूरल हसन, तत्कालीन द्रमुक सांसद सीटी धंदापानी और बारामूला से कांग्रेस सांसद सैयद अहमद आगा की टिप्पणी पोस्ट करते हुए मालवीय ने ‘एक्स’ पर लिखा, ”यहां देखें कि संसदीय बहस के दौरान एएमयू को अल्पसंख्यक दर्जा देने का विरोध करने वाले कुछ दिग्गजों ने क्या कहा था।