दिल्ली में बीजेपी का मेयर, बदल गए समीकरण

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अभिषेक उपाध्याय। दिल्ली की सियासत में बड़ा बदलाव देखने को मिला है। हाल ही में हुए मेयर चुनाव में भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) ने बाजी मार ली है। आम आदमी पार्टी (आप) के गढ़ माने जाने वाले नगर निगम में बीजेपी की वापसी ने न सिर्फ राजनीतिक हलचल बढ़ाई है बल्कि राजधानी के सत्ता समीकरण भी बदल दिए हैं।

बीजेपी के मेयर बनने के साथ ही पार्टी का फोकस अब दिल्ली की स्थानीय समस्याओं पर है — जैसे कूड़े के पहाड़, जलभराव, प्रदूषण और यमुना की सफाई। पार्टी नेताओं का कहना है कि निगम को फिर से पारदर्शी और जवाबदेह बनाया जाएगा। यह जीत बीजेपी के लिए मनोबल बढ़ाने वाली मानी जा रही है, खासकर तब जब अगले वर्ष दिल्ली विधानसभा चुनाव के संकेत पहले ही मिलने लगे हैं।

दूसरी ओर, आम आदमी पार्टी के लिए यह परिणाम झटका साबित हुआ है। निगम पर नियंत्रण खोने से उसकी प्रशासनिक पकड़ कमजोर होगी और उसकी छवि पर भी असर पड़ेगा। पार्टी अब रणनीति पुनर्गठन में जुटी है और यह साबित करने की कोशिश करेगी कि जनता के बीच उसकी लोकप्रियता अब भी बरकरार है।

विश्लेषकों का मानना है कि दिल्ली में यह परिवर्तन सिर्फ मेयर पद तक सीमित नहीं रहेगा। इसका असर आने वाले सालों की राजनीति पर भी पड़ेगा। बीजेपी जहां इसे “जनता का विश्वास” बताकर भुनाने में जुटी है, वहीं आप इसे “राजनीतिक साजिश” करार दे रही है।

अब देखने वाली बात होगी कि नया मेयर दिल्ली की जमीनी समस्याओं को किस तरह हल करता है और क्या वास्तव में बीजेपी निगम के ज़रिए राजधानी में अपनी राजनीतिक जमीन को फिर से मजबूत कर पाती है या नहीं। इतना तय है कि दिल्ली की राजनीति में समीकरण अब बदल चुके हैं।