सीबीआई ने ईडी मामले में जमानत के बाद मेरी ‘बीमा गिरफ्तारी’ की, कोर्ट में बोले केजरीवाल

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दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने बृहस्पतिवार को उच्चतम न्यायालय से कहा कि कथित आबकारी नीति घोटाले में केंद्रीय अन्वेषण ब्यूरो (सीबीआई) ने करीब दो साल तक उन्हें गिरफ्तार नहीं किया और प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) द्वारा दर्ज ”अधिक कठोर” धन शोधन मामले में जमानत मिलने के बाद 26 जून को उनकी ”बीमा गिरफ्तारी” की। मुख्यमंत्री की ओर से पेश वरिष्ठ अधिवक्ता अभिषेक सिंघवी ने न्यायमूर्ति सूर्यकांत और न्यायमूर्ति उज्ज्वल भुइयां की पीठ से कहा कि गिरफ्तारी से पहले सीबीआई ने केजरीवाल को कोई नोटिस नहीं दिया और निचली अदालत ने गिरफ्तारी का एकतरफा आदेश पारित किया। जेल में बंद दिल्ली के मुख्यमंत्री के लिए जमानत का अनुरोध करते हुए सिंघवी ने कहा कि केजरीवाल एक संवैधानिक पदाधिकारी हैं और उनके भागने का कोई खतरा नहीं है।

सिंघवी ने कहा कि केजरीवाल का नाम सीबीआई की प्राथमिकी में नहीं है और इसके अलावा ”उनके भागने का खतरा भी नहीं” है। उन्होंने कहा कि शीर्ष अदालत ने धन शोधन मामले में केजरीवाल को अंतरिम जमानत देते हुए कहा था कि मुख्यमंत्री समाज के लिए खतरा नहीं हैं। उन्होंने कहा, ”अगस्त 2023 में जो शुरू हुआ, वह इस साल मार्च में धनशोधन मामले में गिरफ्तारी का कारण बना।” सिंघवी ने कहा कि शीर्ष अदालत और एक अधीनस्थ अदालत ने इस मामले में पहले ही उन्हें जमानत दे दी है। केजरीवाल की याचिकाओं पर सुनवाई जारी है। शीर्ष अदालत ने 23 अगस्त को सीबीआई को मामले में जवाबी हलफनामा दायर करने की अनुमति दी थी और केजरीवाल को प्रत्युत्तर के लिए दो दिन का समय दिया था।

केजरीवाल ने जमानत से इनकार किए जाने के खिलाफ और मामले में सीबीआई द्वारा गिरफ्तारी के खिलाफ दो अलग-अलग याचिकाएं दायर की हैं। उन्होंने अपनी गिरफ्तारी को बरकरार रखने के दिल्ली उच्च न्यायालय के पांच अगस्त के आदेश को चुनौती दी है। आम आदमी पार्टी (आप) के संयोजक को 26 जून को सीबीआई ने गिरफ्तार किया था। शीर्ष अदालत ने 14 अगस्त को मामले में केजरीवाल को अंतरिम जमानत देने से इनकार कर दिया था और गिरफ्तारी को चुनौती देने वाली उनकी याचिका पर एजेंसी से जवाब मांगा था।