दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने मंगलवार को राष्ट्रीय राजधानी सिविल सेवा प्राधिकरण (एनसीसीएसए) को एक “तमाशा” करार दिया, जिसमें कहा गया कि भाजपा के नेतृत्व वाला केंद्र गुपचुप तरीके से दिल्ली सरकार चलाने की कोशिश कर रहा है। एनसीसीएसए की पहली बैठक के बाद एक संवाददाता सम्मेलन को संबोधित करते हुए केजरीवाल ने कहा कि राष्ट्रीय राजधानी में सेवाओं के नियंत्रण पर केंद्र का अध्यादेश मंत्रियों, मुख्यमंत्री और मंत्रिमंडल के ऊपर नौकरशाहों के हाथों में अत्यधिक शक्ति देता है। उन्होंने आरोप लगाया, “कैबिनेट में लिए गए प्रत्येक निर्णय को अब उपराज्यपाल (एलजी) और मुख्य सचिव द्वारा अधिकृत करना होगा। यह केवल औपचारिकता के लिए है कि उन्होंने एनसीसीएसए बनाया है, जिसमें मुख्यमंत्री और केंद्र को रिपोर्ट करने वाले दो अधिकारी, एलजी और मुख्य सचिव हैं।
उन्होंने दावा किया कि अध्यादेश एलजी कार्यालय को “मनमाने अधिकार” भी प्रदान करता है जो उन्हें संविधान में भी नहीं प्राप्त है। उन्होंने कहा, सर्वोच्च निकाय के रूप में संदर्भित किया जाने वाला मंत्रिमंडल जो भी निर्णय ले, अंततः मुख्य सचिव ही तय करेगा कि यह महत्वपूर्ण निर्णय सही है या गलत। केजरीवाल ने कहा कि भाजपा दिल्ली में चार चुनाव हार गई और पार्टी को अगले कई वर्षों तक राष्ट्रीय राजधानी में चुनाव जीतने की कोई उम्मीद नहीं है। उन्होंने आरोप लगाया, इसलिए उन्होंने (भाजपा ने) इस अध्यादेश के जरिए दिल्ली पर नियंत्रण करने की कोशिश की है… इस तरह से पार्टी चुनाव हारने के बाद चोरी-छिपे दिल्ली सरकार चलाना चाहती है। दिल्ली के मुख्यमंत्री ने दोहराया कि वे इस मामले को उच्चतम न्यायालय में ले जाएंगे।
उन्होंने कहा, हम स्पष्ट रूप से इस मुद्दे को उच्चतम न्यायालय में ले जाएंगे और हमें विश्वास है कि यह हमारे पक्ष में फैसला सुनाएगा क्योंकि यह असंवैधानिक है। यदि यह अध्यादेश संसद में पहुंचता है तो हमें कई विपक्षी दलों का भी समर्थन प्राप्त है। हमें विश्वास है कि यह राज्यसभा में अगले सत्र में खारिज हो जाएगा। एनसीसीएसए के बारे में बताते हुए आप संयोजक ने दावा किया कि केंद्र उसे यह आभास देना चाहता है कि एक निकाय है जो दिल्ली के लिए महत्वपूर्ण निर्णय लेता है, लेकिन वास्तव में ऐसा नहीं है। उन्होंने कहा, “यह और कुछ नहीं बल्कि दिल्ली में चुनी हुई सरकार को कोई काम नहीं करने देने की साजिश है…।