कांग्रेस ने मंगलवार को आरोप लगाया कि अदाणी समूह का विदेश में निवेश का जो तरीका है वो भारत की राष्ट्रीय सुरक्षा के लिए नुकसानदेह है तथा ऐसे निवेश से चीन के मुकाबले भारत को अपनी राष्ट्रीय सुरक्षा की कीमत चुकानी पड़ सकती है। पार्टी महासचिव जयराम रमेश ने यह दावा भी किया कि प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की ‘विशेष मित्रता’ की कीमत भारत को पहले ही घरेलू और वैश्विक स्तर पर कई बार चुकानी पड़ी है। अमेरिकी संस्था ‘हिंडनबर्ग रिसर्च’ की रिपोर्ट आने के बाद से कांग्रेस अदाणी समूह पर अनियमितता और एकाधिकार के आरोप लगातार लगा रही है, हालांकि इस कारोबारी समूह ने सभी आरोपों को खारिज किया है। रमेश ने एक बयान में आरोप लगाया, ”19 जून, 2020 को नॉन-बायोलॉजिकल प्रधानमंत्री का चीन को क्लीन चिट देने वाला बयान, किसी भी भारतीय प्रधानमंत्री द्वारा दिए गए सबसे नुकसानदेह बयानों में से एक था। यह एक सफेद झूठ था जिसने हमारी स्थिति को कमजोर किया और चीनियों को हमारी सीमा के उल्लंघन एवं भूमि पर निरंतर कब्जे की वास्तविकता से इनकार करने में सक्षम बनाया।” उन्होंने दावा किया कि उसके बाद से अनियंत्रित चीनी आयात, निवेश और आप्रवासन के जोखिमों के प्रति सरकार की लापरवाही भी लगातार सामने आई है।
रमेश ने कहा, ”अदाणी समूह के चीन में निवेश करने की योजना के साथ, ऐसा लगता है कि चीन को दी गयी ‘क्लीन चिट’ उसके लिए ‘लेटर ऑफ सपोर्ट’ बनने जा रही है।” उनके मुताबिक, सबसे पहले यह ध्यान रखा जाना चाहिए कि चीन के प्रति इस सरकार का आर्थिक नीति निर्माण हमेशा से अनुचित रहा है। उन्होंने कहा, ”हमारी सीमाओं पर और हमारी भूमि के भीतर चीनी सैनिकों के बढ़ते राष्ट्रीय सुरक्षा खतरे के बावजूद, भारत सरकार इस मामले में सुस्ती बरत रही है। टिक टॉक पर प्रतिबंध लगा दिया गया है, लेकिन आयात बढ़ रहा है और घरेलू स्तर पर तबाही मची है।” कांग्रेस महासचिव ने दावा किया कि सरकार ने भारत में चीनी कामगारों के लिए ‘फास्ट-ट्रैक’ वीजा की व्यवस्था भी की है और चीनी निवेश को प्रोत्साहित किया है। उन्होंने यह आरोप भी लगाया, ”चीन और पूर्वी एशिया में अदाणी समूह के पिछले कार्य काफी संदेह के घेर में रहे हैं।
ताइवान के कारोबारी चांग चुंग-लिंग ने अदाणी समूह की कई कंपनियों में निदेशक के रूप में काम किया है। 2017 में, चुंग-लिंग के परिवार के स्वामित्व वाले एक जहाज को संयुक्त राष्ट्र के प्रतिबंधों का उल्लंघन करके उत्तर कोरिया में तेल की तस्करी करते हुए पकड़ा गया था।” रमेश ने यह आरोप भी लगाया कि पिछले कुछ वर्षों में अदाणी के विदेशी निवेश का एक पैटर्न देखा गया है जो अक़्सर राष्ट्रीय हितों को कमजोर करता है और भारत के लिए नुकसानदेह है। रमेश का दावा है, ”ऐसा प्रतीत होता है कि विदेश नीति के अलावा, ‘मोदानी’ के विदेशी निवेश से अब चीन के मुकाबले भारत को अपनी राष्ट्रीय सुरक्षा की कीमत चुकानी पड़ सकती है।” उन्होंने कहा, ”नॉन-बायोलॉजिकल प्रधानमंत्री की विशेष मित्रता की कीमत भारत को पहले ही घरेलू और वैश्विक स्तर पर कई बार चुकानी पड़ी है। चीन के मामले में इस सरकार का नीति निर्धारण पहले से ही बेहद खराब और अयोग्यता से भरा रहा है।” कांग्रेस महासचिव ने दावा किया, ”अब जोखिम यह है कि चीन में ‘मोदानी’ का निवेश, विशेष रूप से उनके संदिग्ध इतिहास को देखते हुए, भारत द्वारा चुकाई गई कीमत की इस सूची में राष्ट्रीय सुरक्षा और क्षेत्रीय संप्रभुता को भी जोड़ देगा।