लोकसभा में विपक्ष ने महंगाई को लेकर मोदी सरकार पर कड़ा प्रहार करते हुए सोमवार को कहा कि पिछले आठ साल के दौरान देश की अर्थव्यवस्था चौपट हुई है और महंगाई तथा बेरोजगारी ने आम लोगों की कमर तोड़ कर रख दी है। लोकसभा में कांग्रेस के मनीष तिवारी ने महंगाई पर नियम 193 के तहत चर्चा की शुरुआत करते हुए कहा कि मोदी सरकार ने अर्थव्यवस्था को अपनी दूरदृष्टि सोच के कारण तबाह किया है। उनका कहना था कि अर्थव्यवस्था कोरोना के कारण जरूर कमजोर पड़ी है लेकिन पहले से ही मोदी सरकार की गलत नीतियों के कारण देश की अर्थव्यवस्था कंगाल हो चुकी थी और नोटबंदी के बाद से यह एकदम धराशायी हुई। महंगाई आसमान छूने लगी जिससे आम लोगों का जीवन कठिन हो गया।
उन्होंने कहा कि किसी भी देश की अर्थव्यवस्था को आगे बढ़ाने के लिए बजट, निवेश, उत्पादन, खपत और रोजगार जैसे पांच मूलभूत आधार होते है, लेकिन यहां इन पांचों स्तरों पर मोदी सरकार ने भारत की अर्थव्यवस्था को बर्बाद किया है। इसी का परिणाम है कि कांग्रेस सरकार में जहां 27 करोड़ लोग गरीबी की रेखा से ऊपर आ गए थे वहीं 2022 की रिपोर्ट के अनुसार 22 करोड़ लोग अब फिर गरीबी की रेखा से नीचे चले गए है।
कांग्रेस नेता ने कहा कि जिस मनरेगा को मोदी सरकार गड्ढा खोदने की योजना कहकर उसका मजाक उड़ाती थी वहीं मनरेगा आज गरीबों के जीवन का आधार बना हुआ है और गत जून में 3.17 करोड़ परिवार मनरेगा पर आश्रित हुए है। मनरेगा की मांग पिछले कई वर्षों से लगातार बढ़ रही है जिससे साबित होता है कि गरीब के लिए मनरेगा ही एकमात्र सहारा बना हुआ है। बेरोजगारी को लेकर उन्होंने कहा कि सरकार बेरोजगारी को नियंत्रित करने में असमर्थ हो रही है और लाखों लोगों का रोजगार आए दिन छीना जा रहा है। देश में बेरोजगारी की दर 2017 में जहां 4.77 प्रतिशत थी। वहीं 2022 में बढ़कर यह 7.8 प्रतिशत हो गई है। महंगाई की चर्चा करते हुए उन्होंने कहा कि रसोई गैस सिलेंडर की कीमत आज 1050 से ज्यादा पहुंच गई है। खाद्य तेलों और आवश्यक वस्तुओं को गरीब की पहुंच से बाहर है। उन्होंने इसके लिए मोदी सरकार की नीतियों को दोषी बताया और कहा कि सरकार की कोई नीति नहीं है इसलिए देश का आम आदमी निरंतर दलदल में फंस रहा है।