संसद के कर्मचारियों की नयी वर्दी को लेकर कांग्रेस ने सरकार पर हमला बोला

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संसद के कर्मचारियों के लिए पुष्प आकृति वाले नए ‘ड्रेस कोड’ ने मंगलवार को एक राजनीतिक विवाद खड़ा कर दिया और कांग्रेस ने इसे सत्तारूढ़ पार्टी के चुनाव चिह्न को बढ़ावा देने के लिए ”ओछी” रणनीति करार दिया। लोकसभा सचिवालय द्वारा जारी एक आंतरिक परिपत्र के अनुसार, मार्शल, सुरक्षा कर्मचारियों और अधिकारियों, चैंबर अटेंडेंट और चालकों को नयी वर्दी जारी की गई है, जिसे नए संसद भवन में कामकाज शुरू होने के बाद उन्हें पहनना होगा। नौकरशाहों के ‘बंद गला’ सूट की जगह मैजेंटा या गहरे गुलाबी रंग की नेहरू जैकेट पहननी होगी। उनके लिए तय की गई कमीज पर पुष्प का डिजाइन छपा होगा। साथ ही कर्मचारी खाकी रंग की पैंट पहनेंगे।

संसद के दोनों सदनों में मार्शल की नयी पोशाक में अब मणिपुरी पगड़ी शामिल होगी। संसद के सुरक्षा कर्मचारी नीले सफारी सूट के बजाय सेना की वर्दी जैसी पोशाक में नजर आएंगे। महिला अधिकारियों को सर्दियों के दौरान पहनने के लिए जैकेट के साथ चमकीले रंग की साड़ियां सौंपी गई हैं। कांग्रेस सांसद मणिकम टैगोर ने संसद के कर्मचारियों की नई वर्दी पर कमल के फूल छपे होने से संबंधित खबरों को लेकर आरोप लगाया कि सत्तारूढ़ भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) संसद को एकपक्षीय मंच बना रही है। लोकसभा में कांग्रेस के सचेतक टैगोर ने यह सवाल भी किया कि राष्ट्रीय पशु और राष्ट्रीय पक्षी क्रमश: बाघ एवं मोर के बजाय सिर्फ ‘कमल’ को ही क्यों दर्शाया जा रहा है?

उन्होंने साोशल मीडिया मंच ‘एक्स’ पर पोस्ट किया, ”सिर्फ कमल ही क्यों? मोर क्यों नहीं या बाघ क्यों नहीं? यह भाजपा पार्टी का चुनाव चिह्न नहीं है। ओम बिरला जी, यह गिरावट क्यों? खबरों में कहा गया है कि संसद के कर्मचारियों के लिए नई वर्दी होगी, जिस पर कमल के फूल अंकित होंगे। टैगोर ने कहा, ”संसद के कर्मचारियों की वर्दी पर भाजपा का चुनाव चिह्न है…उन्होंने जी20 में भी ऐसा किया था। अब ये लोग फिर से ऐसा कर रहे हैं और कह रहे हैं कि यह राष्ट्रीय पुष्प है। उन्होंने कहा कि इस तरह का ”ओछापन” ठीक नहीं है और आशा है कि भाजपा इन सबसे ऊपर उठेगी और संसद को एकपक्षीय मंच नहीं बनाएगी। टैगोर ने कहा, ”यह दुर्भाग्यपूर्ण है। संसद सभी दलों से ऊपर है। इससे पता चलता है कि भाजपा हर दूसरी संस्था में हस्तक्षेप कर रही है। संसद का विशेष सत्र 18 सितंबर से पुरानी इमारत में शुरू होने वाला है। संसद की कार्यवाही 19 सितंबर को गणेश चतुर्थी पर नए भवन में स्थानांतरित होने की उम्मीद है।

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