अगर सरकार संस्था को व्यक्ति से बड़ा मानती है तो फिर ईडी निदेशक मामले में न्यायालय क्यों गई: कांग्रेस

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कांग्रेस ने प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) के निदेशक संजय कुमार मिश्रा के कार्यकाल के विस्तार से जुड़े मामले में सरकार द्वारा उच्चतम न्याालय का रुख करने पर बुधवार को कहा कि अगर सरकार संस्था को व्यक्ति से बड़ा मानती है तो इस कदम का क्या औचित्य है। पार्टी सांसद एवं पूर्व केंद्रीय मंत्री मनीष तिवारी ने यह भी कहा कि सरकार को उच्चतम न्यायालय का निर्णय स्वीकार करना चाहिए था। उन्होंने संवाददाताओं से कहा, उच्चतम न्यायालय का फैसला बिल्कुल साफ है… जब एक बार फैसला हो चुका है तो उस निर्णय को स्वीकार करना चाहिए। तिवारी का कहना था, गृहमंत्री अमित शाह ने फैसले वाले दिन कहा था कि यह व्यक्तियों की बात नहीं है, संस्था की बात है। अगर यह सरकार मानती है कि संस्था व्यक्ति से बड़ी है, तो उसका फिर से उच्चतम न्यायालय जाने का क्या औचित्य है।

उच्चतम न्यायालय द्वारा ईडी के निदेशक संजय कुमार मिश्रा के कार्यकाल के विस्तार को ‘अवैध’ ठहराये जाने के कुछ दिन बाद केंद्र ने वित्तीय कार्रवाई कार्यबल (एफएटीएफ) की समीक्षा जारी रहने के मद्देनजर उन्हें 15 अक्टूबर तक पद पर बने रहने की अनुमति देने के लिए बुधवार को शीर्ष अदालत का रुख किया। सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने न्यायमूर्ति बी.आर. गवई, न्यायमूर्ति हिमा कोहली और न्यायमूर्ति प्रशांत कुमार मिश्रा की पीठ को बताया कि सरकार ने शीर्ष अदालत के 11 जुलाई के फैसले में संशोधन के लिए एक आवेदन दायर किया है। उच्चतम न्यायालय ने 11 जुलाई को दिए अपने आदेश में मिश्रा के कार्यकाल को तीसरा विस्तार दिए जाने को अवैध ठहराया था और उनके विस्तारित कार्यकाल को घटाकर 31 जुलाई कर दिया था।

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